डीएनए हिंदी: देश के नैशनल कैपिटल रीजन यानी एनसीआर में ऐसी कई वारदात हुई हैं, जिसने देश-दुनिया की निगाह अपनी ओर खींची है. जांच एजेंसियों की लापरवाहियों की वजह से ये सभी केस लंबा खिंचे. लेकिन इन केसों ने देश को अपने ढंग से अलर्ट किया. ऐसे केसों के पीड़ितों की मदद के नए दरवाजे खुले. कुछ केसों में ठीक से जांच के लिए लोगों ने संगठन बनाए, तब केस अपने मुकाम पर पहुंचा.
देश की राजधानी दिल्ली मे हुए निर्भया गैंग रेप और मर्डर केस ने तो सबको हिलाकर रख दिया था. इसी तरह नोएडा की निठारी से गुम हो रहे बच्चों का जब राजफाश हुआ और उनके कंकाल कोठी डी-5 के पास के नाले से निकलने लगी तो सब भौंचक्क रह गए थे. नोएडा में ही आरुषि-हेमराज की मर्डर मिस्ट्री कई दिन तक देश-विदेश के अखबारों की सुर्खियां बनी रही थी. जेसिका लाल हत्याकांड तो इस कदर छाया रहा कि उस पर फिल्म भी बन चुकी है. फिल्म तो आरुषि-हेमराज मर्डर मिस्ट्री को लेकर भी बनाई गई है. दिल्ली से सटे गाजियाबाद में नीतीश कटारा की हत्या ऑनर किलिंग थी. देश के नैशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में हुई इन 5 हत्याकांडों पर पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट :
निर्भया गैंग रेप और मर्डर केस
देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की ठंड भरी रात में 23 बरस की फिजियोथेरेपी की छात्रा के साथ चलती बस में 6 लोगों ने गैंगरेप किया था. इस वारदात को अंजाम देने में अपराधियों ने जो वीभत्सता दिखाई थी, उससे राजधानी दिल्ली समेत देश भर में उबाल था. इस केस में 17 दिसंबर को ही राम सिंह गिरफ्तार कर लिया गया था इसके बाद 5 मुलजिम (मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता के अलावा एक नाबालिग) पकड़ लिए गए थे. इस केस में लोअर कोर्ट ने पांचों मुजरिम को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को सही बताया था. राम सिंह को इस मामले में मुख्य संदिग्ध बताया गया था लेकिन केस पर सुनवाई के दौरान ही उसने मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. 20 मार्च 2020 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में सवेरे 5:30 बजे मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को एकसाथ दी गई फांसी. इससे पहले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग अभियुक्त को दोषी माना था और तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा. दुखद यह भी रहा कि 29 दिसंबर को निर्भया की मौत सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई और फिर उसकी लाश दिल्ली लाई गई.
आरुषि-हेमराज मर्डर मिस्ट्री
यह एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री है जिससे 15 बरस बाद भी पर्दा नहीं उठ सका है. 15-16 मई 2008 की दरम्यानी रात आरुषि तलवार की हत्या उसके बेडरूम में कर दी गई थी. नोएडा के जलवायु विहार के एल-32 में हुई इस हत्या में शक की सुई घर के घरेलू सहायक हेमराज की ओर घूमी, क्योंकि वह इस कांड के बाद से लापता था. लेकिन एक दिन बाद ही उसकी लाश उसी घर की छत पर मिल गई. अब तो बड़ा सवाल उठा कि आखिर ये डबल मर्डर किसने किए. बता दें कि आरुषि तलवार की मां नूपुर तलवार और पिता राजेश तलवार नोएडा के जाने-माने दंत चिकित्सक रहे हैं. जांच के दौरान हत्या के 2 दिन बाद यानी 18 मई 2008 को पुलिस ने बताया कि हत्या सर्जिकल ब्लेड से की गई है और फिर मर्डर का शक आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश पर चला गया. 23 मई 2008 को आरुषि के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर में गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय मायावती थीं यूपी की मुख्यमंत्री. सरकार ने 1 जून 2008 को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया. आरुषि और हेमराज के कत्ल में सीबीआई ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया. फिर 29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को क्लीन चिट दे दी. इसी के साथ सीबीआई ने आरुषि-हेमराज की हत्या का शक मां-बाप पर जताया. क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानकर मुकदमा चला. 26 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मानते हुए उम्रकैद सुनाई. आरुषि के मां-बाप इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे. 12 अक्टूबर 2017 को हाई कोर्ट ने मामले में तलवार दंपती को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इसी के साथ यह रहस्य अब भी कायम है कि आखिर आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की?
निठारी कांड
दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी गांव में 2006 में हुई वारदात के खुलासे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली की वजह से निठारी देशभर में पहचाना जाने लगा. दरअसल नोएडा के सेक्टर 31 की कोठी नंबर D-5 के पास से 2005-06 के बीच कई बच्चे गायब हुए थे. इस दौरान 31 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज की गई थी. 2006 में पायल नाम की एक युवती गायब हुई. इस युवती की खोज कर रही पुलिस उसके मोबाइल फोन के लोकेशन के आधार पर सुरेंद्र कोली तक पहुंची. फिर उसके बयान से जो चौंकाने वाली बात पुलिस को पता चली तो उसने डी-5 के पास के नाले की तलाशी ली. इस नाले से 19 कंकाल मिले. ये कंकाल बच्चों और बच्चियों के थे. सीबीआई को इंसानी हड्डियों के साथ 40 इस तरह के पैकेट मिले थे जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंका गया था. इस घटना के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को गिरफ्तार कर लिया था. मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में नोएडा पुलिस के 3 सीनियर अफसरों समेत कई पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए थे. इसी 16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निठारी कांड के दोनों मुलजिमों कोली और पंढेर को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष इन दोनों का अपराध साबित करने में नाकाम रहा. इलाहबाद हाई कोर्ट ने यह भी कहा, ''ये परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मामला है. ये प्रॉसिक्यूशन की जिम्मेदारी है कि वह साबित करे की अभियुक्त दोषी हैं.'
जेसिका लाल हत्याकांड
जेसिका लाल की हत्या 29 अप्रैल 1999 को महरौली की कुतुब कोलोनेड हवेली के अंदर तंबरिंड बार में हुई थी. दिल्ली की हाई क्लास सोसायटी में पहचान रखने वाली बीना रमानी इस रेस्टोरेंट की मालिक थीं. वो और उनके पति जॉर्ज मेलहॉट मिलकर रेस्टोरेंट चलाया करते थे. इसी बार में शराब न मिलने से बौखलाए मनु शर्मा ने गोली मारकर जेसिका लाल की हत्या कर दी थी. इस वक्त मनु शर्मा के साथ विकास यादव, अमरदीप गिल और आलोक खन्ना भी थे. कुतुब कोलोनेड में खचाखच लोग भरे थे. इस केस में गिरफ्तार मुलजिमों पर 6 साल मुकदमा चला, लेकिन 21 फरवरी 2006 को इस हाई प्रोफाइल केस में अदालत ने सभी को रिहा कर दिया. रिहा होने की खबर अगले दिन मीडिया की सुर्खियों में थी. दिल्ली के एक अंग्रेजी दैनिक ने इस खबर की हेडिंग बनाई - नो वन किल्ड जेसिका. इसके बाद इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए फिर से जांच करने का निर्देश जांच एजेंसी को दिया. बाद में यह केस हाई कोर्ट में चला और हाई कोर्ट ने लगातार 25 दिनों तक इस केस की सुनवाई की. इसके बाद लोवर कोर्ट के फैसले को बदलते हुए 20 दिसंबर 2006 को मनु शर्मा को आजीवन कारावास और विकास यादव को 4 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई.
नीतीश कटारा हत्याकांड
नीतीश कटारा की हत्या 17 फरवरी 2002 को की गई थी. ऑनर किलिंग के इस केस में दिल्ली के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी जबकि इन दोनों के सहयोगी सुखविंदर पहलवान को 20 साल की. इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 2014 में हाई कोर्ट ने विकास और विशाल की सजा बरकरार रखी. इस फैसले के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. 2016 सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की सजा 25 साल कर दी. दरअसल डीपी यादव की बेटी भारती यादव और नीतीश कटारा में करीबी रिश्ते थे. यह बात यादव परिवार को मंजूर नहीं थी. डीपी यादव के बड़े बेटे विकास यादव ने इस मामले में कई बार नीतीश को धमकाया कि वह भारती से दूर रहे. बावजूद नीतीश और भारती आपस में बात करते रहे. 17 फरवरी 2002 को गाजियाबाद के एक शादी समारोह में डीपी यादव का पूरा परिवार पहुंचा था. यहां नीतीश कटारा भी आया हुआ था. यहीं से रात 12:30 बजे विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव ने नीतीश कटारा का अपहरण कर लिया और उसकी हत्या कर दी. खास बात यह है कि इस हत्याकांड के वक्त विकास यादव जेसिका लाल हत्याकांड में जमानत पाकर बाहर आया था और आते ही उसने यह नया कांड कर दिया.
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