डीएनए हिंदी: लंबे समय से कांग्रेस (Congress) में एंट्री के लिए प्रयास कर रहे प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की कोशिशें फिलहाल थम गई हैं. प्रशांत किशोर ने मंगलवार को ट्वीट करके बताया कि वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं. कांग्रेस की ओर से भी जानकारी दी गई है कि पीके (PK) ने एम्पावर्ड ऐक्शन ग्रुप का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है. पीके के इस फैसले के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं. कई लोगों का यह भी कहना है कि कांग्रेस प्रशांत किशोर को फ्री हैंड नहीं देना चाहती थी इसीलिए बात नहीं बन पाई.
2014 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए चुनावी कैंपेन तैयार करने वाले प्रशांत किशोर लंबे समय से कांग्रेस में शामिल होना चाह रहे थे. राजनीतिक हलको में यह चर्चा थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में निचले स्तर से लेकर शीर्ष तक बदलाव की बात की थी. कुछ महीनों पहले भी कांग्रेस नेताओं से उनकी मुलाकात हुई थी, लेकिन बात नहीं बन पाई थी. इस बार खुद सोनिया गांधी के रुचि दिखाने की वजह से यह कयास लगाया जा रहा था कि इस बार प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो ही जाएंगे.
ये भी पढ़ें- बुधवार को कांग्रेस को फिर लगेगा झटका! TMC मे शामिल होंगे कई नेता
प्रियंका को अध्यक्ष बनाना चाहते थे पीके!
प्रशांत किशोर ने अपनी प्रजेंटेशन में पार्टी के संगठन में बड़े बदलाव की बात कही थी. उनकी राय थी कि पार्टी को अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में दो अलग-अलग चेहरों का चुनाव करना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर चाहते थे कि पार्टी के अध्यक्ष के रूप में प्रियंका गांधी को आगे लाया जाए. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने यह स्पष्ट किया है कि वे दोनों अध्यक्ष पद के इच्छुक नहीं हैं. कहा जा रहा है कि पीके ऐसा इसलिए चाहते थे, क्योंकि प्रियंका गांधी उन्हें पसंद करती हैं और प्रियंका के अध्यक्ष बनने से पीके को अपने हिसाब से काम करने में आसानी होती.
दूसरे दलों से नजदीकी बनी बड़ी वजह
कांग्रेस के धड़े का मानना है कि प्रशांत किशोर पर इतने बड़े स्तर पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए. इसकी वजह ये है कि पीके अलग-अलग दलों के साथ काम कर चुके हैं और एक स्तर के बाद वह कहीं टिक नहीं पाए हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए काम करने के बाद प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, बंगाल में ममता बनर्जी समेत कई अलग-अलग विचारधारा के लोगों और पार्टियों के साथ काम किया है. जेडीयू में तो वह उपाध्यक्ष तक बने थे, लेकिन फिर जो उनका हश्र हुआ वह सबके सामने है.
ये भी पढ़ें- Congress में शामिल नहीं होंगे Prashant Kishor, पार्टी के खास ग्रुप का सदस्य बनने से किया इनकार
पीके के इसी चरित्र को देखते हुए कांग्रेस के नेताओं का मानना था कि अगर पीके सचमुच कांग्रेस में रहकर काम करना चाहते हैं, तो वे बाकी दलों से अपना नाता तोड़ लें. नाता तोड़ना तो दूर, कांग्रेस से चर्चा के बीच ही प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के विरोधी के चंद्रशेखर राव से मुलाकात की. इस घटना ने आग में घी का काम किया और कांग्रेस नेताओं का भरोसा और डगमगा गया.
प्रियंका को भरोसा, लेकिन राहुल ने नहीं दिखाई रुचि
यह जगजाहिर है कि कांग्रेस में गांधी परिवार की पूर्ण सहमति के बिना कुछ नहीं हो सकता. अभी भी राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से फैसले वही लेते हैं. ऐसे में राहुल गांधी की मर्जी के बिना पीके का कांग्रेस में आना और इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेना आसान नहीं था. सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी ने पीके के समर्थन में जबरदस्त लॉबिंग की, लेकिन राहुल गांधी ने खास रुचि नहीं दिखाई. इसका भी कारण यह रहा है कि पिछले कुछ सालों में प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी के खिलाफ कई बयान दिए हैं. पीके ने यह भी कहा था कि राहुल गांधी को लगता है कि बस समय की बात है और लोग नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे.
ये भी पढ़ें- रूस की Sarmat Missile क्यों है दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल?
स्पष्ट नहीं रहा है प्रशांत किशोर का स्टैंड
बेशक प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार के रूप में काफी हद तक सफल रहे हों, लेकिन फुल टाइम राजनीति में उन्हें अभी गंभीर कैरेक्टर नहीं माना जाता. इसका कारण यह है कि विचारधारा के स्तर पर कभी क्लियर स्टैंड लेते नहीं दिखते. कभी वह तीसरे मोर्चे को जोड़ने की कोशिश करते हैं, तो कभी ममता बनर्जी के लिए बंगाल के बाद गोवा में रणनीति बनाने लगते हैं. कभी-कभी तो वह फिर से नरेंद्र मोदी की ही तारीफ करने लगते हैं. लगातार अलग-अलग तरह के नेताओं और पार्टियों से उनका जुड़ाव भी उनके खिलाफ जाता रहा है.
फिलहाल, इतना तय हो चुका है कि प्रशांत किशोर अभी कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं. प्रशांत किशोर का मानना था कि कांग्रेस को फिर से जीवित करके ही नरेंद्र मोदी को चुनौती दी जा सकती है. उनके फैसले के बाद अब देखने वाली बात यह होगी कि उनका अगला कदम क्या होगा. क्या वह किसी और पार्टी में शामिल होने की कोशिश करेंगे? क्या वह तीसरे मोर्चे को मजबूत करते हुए खुद रणनीतिकार की ही भूमिका निभाएंगे या फिर वह चुनावी राजनीति में आने का अपना प्लान छोड़ ही देंगे.
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.
- Log in to post comments
Priyanka Gandhi ने खूब दिया साथ, फिर Congress से क्यों नहीं बन पाई Prashant Kishor की बात?