डीएनए हिन्दी : देश के टॉप यूनिवर्सिटीज़ में एक माने जाने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय में अब नामांकन प्रक्रिया (admission process) थोड़ी अधिक पारदर्शी होने जा रही है. बीते सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय ने नोटिफिकेशन ज़ारी किया कि आने वाले सालों से अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षाएं ((admission test) ली जाएंगी.
बीते 17 दिसंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय की मीटिंग हुई थी जिसमें 2022-23 से होने वाले अकेडमिक सेशन में एडमिशन की प्रक्रिया पर विचार किया गया. यहीं यह निर्णय लिया गया कि आने वाले सेशन में दिल्ली विश्वविद्यालय सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट [Central University Common Entrance Test (CUCET)] या फिर डेल्ही यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट [Delhi University Common Entrance Test (DUCET)] के ज़रिये लिया जाएगा. इसके बारे में बाक़ी जानकारियाँ आगे दी जायेंगी.
क्या है बैकग्राउंड ?
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फ़ैसले के पीछे कई सालों से नंबर के आधार पर होने वाले एडमिशन से पैदा हुए असंतोष को एक कारण माना जा रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय के टॉप कॉलेज में जहाँ कट ऑफ लिस्ट अक्सर 90% के पायदान से ऊपर ही रह जाता है (कई बार 99% और 100% भी), एंट्रेंस एग्जाम की मांग काफ़ी पहले से थी. इस मांग के पीछे वजह यह थी कि स्टेट बोर्ड और किसी वजह से कम अंक लाने वाले छात्रों के लिए भी दिल्ली विश्वविद्यालय के दरवाजे खुलें. हालाँकि कई लोगों ने इसका विरोध भी किया है. उनका मत है कि इस वक़्त जब स्कूल अधिकतम ऑनलाइन ही चल रहे हैं, एंट्रेंस परीक्षा कहीं न कहीं से स्टूडेंट्स पर अधिकतम दवाब डालेगी. विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक इसे न्यू एजुकेशन पॉलिसी के विस्तार के तौर पर देख रहे हैं.
क्या कहना है आम लोगों का
उर्वशी का कहना है कि यह स्वागत योग्य क़दम है. इससे मेरे जैसे लोग जिन्हें बारहवीं में 65% अंक होने पर यूनिवर्सिटी में दाख़िला नहीं मिला था, अब जगह पा सकते हैं. एंट्रेस एग्जाम होता तो मैं भी अपने प्रिय विषय में बेहतर कर सकती थी.
दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा रही स्मिता का कहना है कि ऐसे वक़्त में जब स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन ऑप्शन ही उपलब्ध है, संदेह है कि इसमें ग्रामीण इलाके के छात्र शामिल हो पायेंगे. इसका मूल उद्देश्य ही जब रूरल एरिया के स्टूडेंट्स को भी दिल्ली विश्वविद्यालय तक पहुँचाना है, टेस्ट को इस तरह तैयार किया जाना चाहिए कि उन्हें वास्तव में फ़ायदा मिल सके. वहीं कुलदीप मार्क्स और एंट्रेस टेस्ट के डबल मॉडल की बात करते है.
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