डीएनए हिंदीः ठंड में ब्लैक अस्थमा (सीओपीडी) का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ये फेफड़े की वो गंभीर बीमारी है जो सर्दियों में अचानक तापमान के कम होने से होती है. ठंड बढ़ने के साथ-साथ प्रदूषण के कारण भी बढ़ जाती है. आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
काला दमा क्या है
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज तब होता है जब फेफड़ों की नलियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. यह पहले नलियों के सिकुड़ने और सूजन के कारण शुरू होता है और धीरे-धीरे इसमें सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है.
सीओपीडी के कारण
काला दमा रोग होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं और पहला कारण सर्दी की ठंडी हवा हो सकती है जो इस रोग को ट्रिगर कर सकती है. इसके अलावा भी इसके कई कारण हो सकते हैं. जैसे कि-धूल और रसायनों के संपर्क में आना जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और सीओपीडी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.
- -कोयले की धूल
- - धूम्रपान से
- - अनाज और आटे की धूल
- -वेल्डिंग का धुंआ
- कैडमियम धूल और धुएं से
- आइसोसाइनेट से
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ब्लैक अस्थमा के लक्षण
सीओपीडी के लक्षण अक्सर तब तक सामने नहीं आते जब तक कि फेफड़ों के अंदर कुछ नुकसान न हो जाए. ऐसे में शरीर में कई तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं. जैसा
- -सांस लेने में कठिनाई
- -शारीरिक गतिविधियों के दौरान घरघराहट
- -सीने में जकड़न
- एक पुरानी खांसी जिसमें सफेद या पीले या पीले रंग का बलगम आ सकता है.
- बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना.
ब्लैक अस्थमा की बीमारी से बचने का तरीका
पहले धूम्रपान छोड़ दिया जाए. इसके अलावा, इसके जोखिम को कम करने के लिए फ्लू टीकाकरण और न्यूमोकोकल न्यूमोनिया के खिलाफ नियमित टीकाकरण प्राप्त करें. इसके बाद ठंड से बचें और घर से बाहर निकलते समय अच्छे कपड़े पहनें, मास्क लगाएं और धूल व धुएं से दूर रहें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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ठंड में अस्थमा के डबल अटैक से काला दमा का खतरा बढ़ा, जानें क्या है ये बीमारी और कैसे बचें