डीएनए हिंदी: देश में तेजी से खांसी-जुकाम और बुखार के केस बढ़ रहे हैं. इसके चलते कोरोनावायरस की नई लहर आने की चर्चा बढ़ी है, लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि कोरोना नहीं इन्फ्लूएंजा के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) समेत देश के कई हिस्से में लोग खांसी, बुखार और शरीर दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि देश भर में फ्लू और वायरल बुखार के मामलों में इजाफे की वजह इन्फ्लुएंजा ए का सब वेरिएंट एच3एन2 वायरस (H3N2 Virus) है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कहा है कि इन्फ्लुएंजा ए वायरस की वजह से देश भर में फ्लू के मामलों में अचानक इजाफा हुआ है. सरकार ने इसे लेकर एक एजवाइजरी जारी की है.
देश के अलग-अलग हिस्सों से इन्फ्लूएंजा के कई मामले सामने आए हैं. ज्यादातर लोग कई दिन इस बीमारी से झेल रहे हैं. कुछ लोग बीमार होने के बाद लंबे समय तक खांसी, बुखार, शरीर में दर्द, और दूसरे लक्षणों से गुजर रहे हैं.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, सितंबर और जनवरी के बीच पश्चिमी हिस्से में अचानक तेजी से बढ़े मामले ही बढ़ते मामलों के जिम्मेदार हैं.
क्या है Spring influenza?
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस जनित रोग है. इसकी वजह से सबसे पहले सांस लेने में परेशानी होती है. शुरुआत में हल्की लगने वाली यह बीमारी गंभीर भी हो सकती है. यह जानलेवा बीमारी में तब्दील हो सकती है.
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक देश में इन्फ्लूएंजा के मामले जून से सितंबर के दौरान अपने चरम पर होते हैं. नवंबर से फरवरी तक पूरे सर्दियों में इस बीमारी से लोग जूझते हैं.
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फ्लू, रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस (RSV), एडिनोवाइरस, राइनोवायरस और कई दूसरे वायरल देश में तेजी से फैल रहे हैं. देश में कई डॉक्टरों का कहना है कि हर हिस्से में लोग इस बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं.
क्या हैं Spring influenza के लक्षण?
- बुखार
- गला खराब होना
- खांसी
- बहती नाक और छींक
- थकान
- मांसपेशियों और शरीर में दर्द
क्या है Spring influenza का उपचार?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के मुताबिक, इसके लक्षण आमतौर पर 50 साल से 15 साल आयुवर्ग के लोगों में देखे जाते हैं. कुछ लोगों में बुखार के साथ फेफड़े का इन्फेक्शन भी देखा जा रहा है. कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रदूषण की वजह से लोग बीमारी का शिकार हो रहे हैं. IMA ने डॉक्टरों को केवल लक्षणों के आधार पर इलाज की सलाह दी है. एक्सपर्ट्स ने कहा है कि एंटीबायोटिक दवाएं देने की कोई जरूरत नहीं है.
IMA ने कहा है कि डॉक्टर्स लोगों को ऐथरेसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दे रहे हैं. जब वे ठीक होने लगते हैं तो इलाज बंद कर देते हैं. उन्होंने कहा कि इसे रोकने की जरूरत है. यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम कर सकते हैं.
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IMA ने कहा है कि जब भी एंटीबायोटिक दवाओं की असली जरूरत पड़ेगी, तब यह काम नहीं करेगा. मेडिकल यूनियन ने भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने, हाथ साफ रखने, साफ-सफाई और फ्लू के खिलाफ वैक्सीनेशन की सलाह दी है.
बुजुर्गों और महिलाओं को क्या है सलाह?
प्राइमस हॉस्पिटल, चाणक्यपुरी के डॉक्टरों ने कहा कि अस्थमा के रोगियों और फेफड़ों के गंभीर संक्रमण वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है. बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा है. इसलिए, उन्हें बाहर निकलते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. डॉक्टरों का कहना है कि अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों वाले रोगियों को इससे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. यह गंभीर श्वसन संबंधी समस्याओं और अस्थमा के दौरे को बढ़ा सकता है.
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