समय के साथ बढ़ती सुविधा और व्यस्तता के बीच बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. इनमें कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं, जो जन्मजात से ही हो रही है. इनमें बच्चों का बचना तक मुश्किल होता है. इन्हीं सबसे घातक बीमारियों में से एक स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी है. एक महीने में ही मेरठ में इस बीमारी के दो केस सामने आए हैं. स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy) एक जेनेटिक डिसऑर्डर है. यह जन्म लेने वाले बच्चे के तंत्रिका तंत्र (Nerve System) और मांसपेशियों को प्रभावित करती है. यह बेहद दुर्लभ बीमारी है, जो 10 हजार नवजात बच्चों में से किसी एक में पाई जाती है. वहीं भारत में इसका आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी का इलाज 17 करोड़ रुपये की वैक्सीन है.
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बेहद गंभीर बीमारियों में से एक है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी बहुत ही दुर्लभ बीमारी है. इसमें भी टाइप 1 (SMA) को सबसे गंभीर माना जाता है. यह बीमारी (Spinal Muscular Atrophy Treatment) बच्चों में मांसपेशियों का कमजोर कर देता है. इससे नवजात को सांस लेने से लेकर निगलने में दिक्कत होती है. इस बीमारी के दिमाग से जुड़ी परेशानियों के रूप मे लक्षण दिखाई देते हैं. अगर इसका जल्द इलाज करा जाये तो इस पर काबू पाया जा सकता है.
ये हैं स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी के लक्षण
पीडियाट्रिक्स रेयर डिसऑर्डर्स एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कुछ बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी के लक्षण (Spinal Muscular Atrophy Symptoms) देरी से नजर आते हैं. यह लक्षण बच्चों में रीढ़ की हड्डी में मोटर न्यूरॉन के डैमेज होने पर दिखाई देता है. इस बीमारी की पहचान सिर्फ लक्षण के आधार पर ही नहीं की जा सकती. इसकी जांच के लिए सबसे जरूरी ब्लड टेस्ट का जांच कराना है. एक्सपर्ट के अनुसार, नवजातों बच्चों में SMA से जुड़े लक्षणों या आनुवांशिक म्यूटेशन का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कराना होता है. इससे बीमारी को डिटेक्ट किया जा सकता है.
यह है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी के बचाव
एक्सपर्ट डॉक्टर्स के अनुसार, बेहद दुलर्भ बीमारियों में से एक स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी से बचाव ही एक बड़ा उपाय है. गर्भावस्था के दौरान जांच कर अनुवांशिका म्यूटेशन की पहचान की जा सकती है. ऐसी स्थिति में माता-पिता फैमिली प्लानिंग के बारे में सही डिसीज़न ले सकते हैं. इसके अलावा भी दूसरे रास्ते हैं, जिनकी मदद से गर्भ के दौरान बच्चे में इसे होने से रोका या कम किया जा सकता है, लेकिन पूर्ण तरह से सही होना पाना मुश्किल है.
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तीन तरह के उपचार
डॉक्टर्स के अनुसार, स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy Treatment) को तीन तरह से मैनेज किया जा सकता है. इस बीमारी को मैनेज करने के लिए सबसे पहले जीन थेरेपी करा सकते हैं. इसके बाद मिसिंग वाली जीन इंजेक्शन के माध्यम से दिया जा सकता है. इसके अलावा फिजियोथेरेपी और तीसरी है Zolgensma इंजेक्शन. यह बेहद महंगा होता है. यह बीमारी बहुत ही गंभीर होती है. इसके साथ ही इस बीमारी में मल्टी डिसिप्लिनरी केयर की जरूरत होती है.
17 करोड़ रुपये का लगता है इंजेक्शन
एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी को खत्म करने के लिए सबसे इफेक्टिव Zolgensma इंजेक्शन है. यह इंजेक्शन बेहद महंगा होता है. इसकी कीमत करीब 17 करोड़ रुपये है. इसकी वजह इस दवाई को बड़े ही मुश्किल तरीके से कई महीनों में तैयार किया जाता है. इसे तैयार करने वाली कंपनी भी एक ही है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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जानें क्या है वो दुर्लभ बीमारी, जिसका इलाज 17 करोड़ रुपये की वैक्सीन से ही संभव