डीएनए हिंदी: आजकल घंटों लैपटाॅप पर बैठ कर काम करने और जरूरत से ज्यादा फोन चलाने की वजह से लोगों की आंखों पर बुरा असर पड़ (Glaucoma Weaken Eyesight) रहा है, इससे आंखों की रोशनी कमजोर हो रही है. इसके अलावा कुछ बीमारियां भी आंखों के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं. इन्हीं में से एक है ग्लूकोमा, जिसे काला मोतियाबिंद भी कहते हैं. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण आमतौर पर दिखाई (Silent Eye Diseases) नहीं देते हैं. इतना ही नहीं इसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता, केवल कंट्रोल किया जा सकता है. बता दें कि ग्लूकोमा दरअसल आंख से जुड़ी ऐसी समस्या है जिसमें आंख की ऑप्टिक नर्व को नुकसान (Glaucoma) पहुंचने पर आंख की रोशनी कम होने लगती है. इससे व्यक्ति की आंखों की (Glaucoma Risk Factors) रोशनी जा सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
क्या है ग्लूकोमा
बता दें कि ग्लूकोमा के कारण आंख की ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचने पर आंख की रोशनी कम होने लगती है. ये ऑप्टिक नर्व हमारे ब्रेन को किसी सीन से जुड़ी सारी सूचना भेजती है और इसी के जरिए हम किसी चीज को पहचानने का काम कर पाते हैं. ऐसे में कुछ वजहों से अगर ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़े और वो कमजोर हो जाए तो चीजें पहचानने की क्षमता कमजोर हो जाती है और इससे रोशनी कम होने लगती है.
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जानें ग्लूकोमा की बड़ी वजह
बता दें कि इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह आंखों का प्रेशर बढ़ना होता है. अगर लंबे समय तक आंखों का प्रेशर बढ़ा रहे तो इससे ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगती है. इसके अलावा इसके ब्लड की सप्लाई समेत कई कारण होते हैं, लेकिन इसे लेकर एक्सपर्ट्स के बीच एकराय नहीं है. बता दें कि आमतौर पर लोगों की आंखों का नॉर्मल एवरेज प्रेशर 21 mmHg से नीचे होता है और लोगों की आंखों के हिसाब से इसमें थोड़ा बहुत बदलाव देखने को मिलता है. आंखों की इस परेशानी का पता लोगों को नहीं चलता है और केवल जांच के जरिए ही ग्लूकोमा का पता लगाया जा सकता है.
इन लोगों को अधिक होता है ग्लूकोमा का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के मुताबिक दुनियाभर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण ग्लूकोमा ही है और इन लोगों को ग्लूकोमा का खतरा अधिक होता है...
- बता दें कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में ग्लूकोमा का खतरा अधिक होता है.
- इसके अलावा एशियाई मूल के लोगों में एंगल क्लोजर ग्लूकोमा का खतरा अधिक होता है.
- वहीं जापानी मूल के लोगों में लो-टेंशन ग्लूकोमा का जोखिम अधिक होता है.
- बता दें कि आख में कोई पुरानी सूजन या पतले कॉर्नियां के कारण आंख पर दबाव बढ़ सकता है.
- आंख में चोट लगने से भी आंख पर दबाव बढ़ता है और ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ता है.
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- इसके अलावा कुछ प्रकार के ग्लूकोमा जेनेटिक होते हैं और अगर आपके माता-पिता या दादा-दादी में किसी को ग्लूकोमा हुआ है तो आप भी इसके जोखिम में हैं.
- वहीं जिन लोगों को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है या किसी तरह की दिल की बीमारी है, उनमें भी ग्लूकोमा का जोखिम अधिक होता है.
- वहीं लंबे समय तक कोर्टिकोस्टेरॉइड का इस्तेमाल करने से भी सेकेंड्री ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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आंखों की रोशनी छीन लेने वाली इस बीमारी के नहीं दिखते लक्षण, ये लोग रहें सावधान