डीएनए हिंदी: सुरपरटेक के इन ट्विन टावर को ध्वस्त करने की पूरी तैयारी की गई है ताकि इसका असर वातावरण से लेकर हेल्थ तक पर न होने पाएं. तो सबसे पहले यह जान लें कि इन ट्विन टावर को ध्वस्त करने के लिए क्या व्यवस्था की गई है. ट्विन टावर को जियो टेक्सटाइल कपड़ों से ढका गया है, ताकि धूल और बारुद के कण बाहर न निकलने पाएं. वहीं धूल और नैनो पार्टिकल्स को दबाने के लिए स्मॉग गन लगाए गए हैं.
ब्लॉस्ट इंप्लोजन टेकनीक से होगा , यानी धूल या डिस्पोज मैटेरियल अंदर की ओर गिरेंगे. ये बाहर नहीं छिटकेंगे. यही कारण है कि छेद को बिल्डिंग के अंदर बनाया गया है. स्टेप बाई स्टेप ये ब्लास्ट होंगे और पूरे ब्लास्ट होने के बाद बिल्डिंग झरने की तरह से गिरेगी. सारा ही काम 12 सेकेंड के अंदर ही होगा.
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अब बात हेल्थ प्वाइंट ऑफ व्यू से करते हैं. भले ही इन ट्विन टावर को गिराने के लिए व्यवस्था चाक चौबंद हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि इस ध्वस्तीकरण का असर वातावरण या आसपास के लिए नुकसानदायक नहीं होगा. ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित जनरल फिजिशियन डॉक्टर आतिश आनंद के अनुसार बारुद के कण और धूल के नैनो पार्टिकल्स से से फेफड़ों से लेकर आंख और दिल तक को खतरा हो सकता है.
बरुद के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है. हानिकारक विषाक्त कणों के फेफड़ों में पहुंचने से समस्या बढ़ सकती है. हवा अगर ज्यादा प्रदूषित हुई तो आंख और कान को भी समस्या होगी. धूल कण और धुंआ खून के प्रवाह में रुकावट ला सकते हैं. दिमाग को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने से स्ट्रोक भी हो सकता है. लेकिन ये तभी होगा जब ट्विन टावर से निकलने वाले धुएं, धूल आदि की कंट्रोलिंग फेल होगी. हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसका अंदाजा ही लगा पा रहे हैं क्योंकि ऐसा पहली बार होने जा रहा है.
सामान्य से लेकर इन गंभीर बीमारियों का हो सकता है खतरा
दीवाली पर पटाखें जलाने भर से पॉल्यूशन लेवल हाई हो जाता है और इन पटाखों के कारण बढ1े पॉल्यूशन से सर्दी जुकाम और एलर्जी का कारण बन सकता है. साथ ही छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है. ऐसे में सुपरटेक ट्विन टावर में 3700 किलोग्राम बारूद का इस्तेमाल हो रहा है. साथ ही कुतुब मीनार से उंची बिल्डिंग के ध्वस्त होने से बिल्डिंग मैटेरियल्स का धूल भी होगा.
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बात दें कि बारुद से धूल के कणों पर कॉपर, जिंक, सोडियम, लैड, मैग्निशियम, कैडमियम, सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जमा हो जाते हैं. इन गैसों के हानिकारक प्रभाव होते हैं. इसमें कॉपर से सांस की समस्याएं, कैडमियम-खून की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम करता है, जिससे व्यक्ति एनिमिया का शिकार हो सकता है. जिंक की वजह से उल्टी व बुखार व लेड से तंत्रिका प्रणाली को नुकसान पहुंचता है. मैग्निशियम व सोडियम भी सेहत के लिए हानिकारक होता है.
100 डेसिबल से ज्यादा आवाज या शोर तनाव, अवसाद, उच्च रक्तपचाप, सुनने में परेशानी, टिन्नीटस, नींद में परेशानी आदि का कारण बन सकता है. तनाव और उच्च रक्तचाप सेहत के लिए घातक है, वहीं टिन्नीटस का खतरा भी बढ़ा सकती है.
क्या बरतें सावधानी
डॉक्टर आतिश आनंद का कहना है कि सुपरटेक ट्विन टावर के एक्सप्लोजन के समय सावधानी ही बीमारियों से बचाएंगी. खासकर गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और हार्ट से लेकर लंग्स तक के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी. शरीर में टॉक्सिन्स का स्तर न बढ़ने पाएं इसके लिए अपने घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और पर्दे जरूर लगा लें. ताकि धूल या धुएं के कण बिलकुल अंदर न आ सकें. चाहें तो घर के अंदर भी मास्क लगाकर रखें और आंखों पर चश्मा और कान में रुई डाल कर रखें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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Noida Twin Tower Blast: आंख-कान से लेकर फेफड़ों तक पर होगा असर, जानिए बढ़ा पॉल्यूशन तो क्या होगा खतरा