डीएनए हिंदीः आयुर्वेद में मुलेठी को कई बीमारियों की जबरदस्त दवा माना गया है. मुलेठी की डंठल अगर रोज गाले में दबा कर उसका रस चूसा जाए तो गले और छाती से जुड़ी कई समस्याएं पैदा ही नहीं होंगी.
मुलेठी पुराने से पुरानी खांसी, गले में सूजन, छाती में दर्द, जकड़न, कफ-बलगम की रामबाण दवा है. पूरी सर्दी भर इसे रोज सुबह या शाम के समय मुंह में चबाकर उसे रस को चूसते रहें. अगर ऐसा कर लिया तो आपके कफ या खंासी जैसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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सर्दियों में खांसी, बुखार, जुकाम, गले की खराश, बदन दर्द और टॉन्सिल्स जैसी समस्याएं आम जरूर है लेकिन इनसे कष्ट बहुत होता है लेकिन मुलेठी अगर आपके पास है तो संभवतः आपके पास ये बीमारी फटकेगी ही नहीं.
मुलेठी क्या है
मुलेठी को स्वीटवुड कहा जाता है और ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है. इसका उपयोग हेल्थ से लेकर ब्यूटी तक में किया जाता है. इसे चबाकर, पाउडर या काढ़े के रूप में भी लिया जाता है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल श्वसन और पाचन विकारों के इलाज के लिए कहा जाता है.
मुलेठी के फायदे
रिसर्चगेट में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक मुलेठी में एंटी-वायरल, एंटी.इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणांे से भरी होती है. ये पाचन तंत्र से लेकर कब्ज, गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर की प्रभावी दवा है. इम्युनिटी को बढ़ाने के साथ ही ये हाई कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रक्त वाहिकाओं को फैलाने में मदद करते हैं और धमनियों में प्लाक जमा नहीं होने देता है.
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कैसे करें मुलेठी का इस्तेमाल
शरीर में कई बीमारियों के इलाज में मदद करने के अलावा, मुलेठी खांसी और सर्दी को ठीक करने में मदद करती है. यह गले में खराश और अन्य श्वसन लक्षणों के लिए एक बढ़िया समाधान है.
मुलेठी का काढ़ा है बढ़िया उपाय
मुलेठी की कुछ छड़ियों को पानी में उबाल सकते हैं. एक बार हो जाने के बाद, गले की खराश को ठीक करने के लिए इसे धीरे-धीरे घूंट-घूंट कर पिएं. इसे बनाने का दूसरा तरीका यह है कि गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद में थोडा मुलेठी पाउडर मिला लें. यह सूखी खांसी को ठीक करने में मदद कर सकता है. आप मुलेठी की जड़ का एक टुकड़ा भी ले सकते हैं, इसमें तुलसी और पुदीना की कुछ पत्तियां मिला सकते हैं और इसे 10 मिनट के लिए धीमी आंच पर पकने दें. पत्तियों और जड़ों को छान लें और गर्म या गर्म पिएं.
मुलेठी को चबाना भी है असरदार उपाय
अगर आपको मुलेठी का काढ़ा या इससे बनी चाय पसंद नहीं है, तो आप इसे आयुर्वेदिक जड़ी बूटी को कच्चा चबा सकते हैं. गले में खराश और दर्द के साथ ही कफ के लिए मुलेठी की एक टहनी चबाना भी एक प्रभावी उपाय है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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