डीएनए हिंदीः डायबिटीज . टाइप 1 या टाइप 2 . एक ऐसी स्थिति है जहां शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है. कुछ मामलों में इंसुलिन का उपयोग सही तरीके से शरीर नहीं कर पाता. अग्न्याशय से इंसुलिन नामक हार्मोन बनता है और ये ब्लड में ग्लूकोज को कम या बहुत ज्यादा नहीं होने देता लेकिन जब इंसुलिन कम होता है या सही तरीेके काम नहीं करता तब ब्लड में शुगर बहुत अधिक या अचानक से बहुत कम हो जाता है.
ऐसे में जान जाने से लेकर दिल दिमाग तक के लिए खतरा होता है. एक ऐसी ही बीमारी है ब्रेन फॉग हो शुगर के बहुत ज्यादा या कम होने के कारण होती है. ब्रेन फॉग यानी दिमाग का सही तरीके से काम न कर पाना, मोमोरी लॉस या कई अन्य दिक्कतें सामने आने लगती हैं.
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ब्रेन फॉग होने पर दिखते हैं ऐसे संकेत
- एकाग्रता में कमी
- मूड स्विंग होना
- याददाश्त कमजोर होना
- छोटी-छोटी चीजें भी भूलना
हाई ब्लड शुगर के कारण ब्लड सेल्स को भी नुकसान होता है इससे ब्लड सर्कुलेशन भी डिस्टर्ब होता है. नतीजा मस्तिष्क तक ब्लड सही मात्रा में नहीं पहुंच पाता है और जब मस्तिष्क में अपर्याप्त रक्त परिसंचरण होता है तो ये सोचने समझने की शक्ति पर असर डालता है.
बहुत अधिक रक्त शर्करा मस्तिष्क में सेरोटोनिन और न्यूरोट्रांसमीटर को बढ़ा देता है. बहुत ज्यादा सेरोटोनिन बढ़े हुए न्यूरोट्रांसमीटर विपरीत प्रभाव डालने लगता है. इससे इससे मस्तिष्क कोशिका और तंत्रिका में क्षति होती है और मस्तिष्क में सूजन हो जाती है. ये सभी स्मृति हानि यानी ब्रेन फॉग की वजह बनते हैं.
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वहीं, जब शुगर अचानक से कम होता है तो हाइपोग्लाइसीमिया होता है और इससे भी मस्तिष्क पर नकारात्मक असर दिखता है. कम शुगर होने पर जब ब्रेन फॉग होता है तो थकान, सिर दर्द, चक्कर जैसे लक्षण नजर आते हैं. असल में जब जब शरीर को ऊर्जा के लिए पर्याप्त चीनी या ग्लूकोज नहीं मिलता है तो मस्तिष्क की कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं. इससे ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है.
ब्रेन फॉग होने पर क्या होती है दिक्क्त, जानें
- थकान
- चिड़चिड़ापन
- चक्कर आना
- उलझन यी महसूस होना
- स्मृति या याददाश्त कम होना
- किसी चीज को समझने में कठिनाई होना
- सही शब्द खोजने में परेशानी
- ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
- सुस्ती और आलस्य छाए रहना
- किसी काम को करने में धीमी गति
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इस बीमारी के अन्य नुकसान
ब्रेन फॉग से पहले मस्तिष्क की क्रियाएं प्रभावित होती हैं और धीरे-धीरे ये नसों को क्षतिग्रस्त करने लगता है. इसके बाद हार्ट से लेकर किडनी तक की खराबी का खतरा बढ़ता है. संक्रमण जनित रोग बहुत होते हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि आप अपने ब्लड शुगर को संतुलित रखें. बहुत कम या ज्यादा न होने दें.
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ब्लड शुगर ज्यादा या कम होने पर होता है ब्रेन फॉग का खतरा, समय रहते पहचान लें इसके लक्षण