डीएनए हिंदी : हाल में प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक़ भारत में दमा या अस्थमा पेशेंट को भारत में समुचित इलाज नहीं मिल पाता है. इस जर्नल को लिखने वाले लेखकों के मुताबिक़ भारत में 90% अस्थमा के मरीज़ केवल इसलिए जान गंवाते हैं कि उन्हें सही ट्रीटमेन्ट नहीं मिल पाता है.

भारत में 30 मिलियन से अधिक अस्थमा के पेशेंट हैं 
आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में लगभग 34.3 मिलियन अस्थमा के मरीज़ हैं जबकि पूरी दुनिया में कुल 262 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. यह कुल संक्रमित लोगों का  अनुमानतः 13 प्रतिशत है. हर साल दुनिया भर में चालीस लाख से अधिक दमा पेशेंट की मौत हो जाती है. उन मरने में चालीस प्रतिशत लोग भारत के होते हैं, यानी हर पांच दमा से मरने वाले में दो भारतीय होते हैं. 

हर दमा मरीज़ के पास नहीं उपलब्ध होता है इनहेलर 
एक्सपर्ट्स के अनुसार इनहेल किए जाने वाले कोर्टिकोस्टेरॉयड  (ICS) दमा की मुख्य दवाई और इलाज़ हैं. भारत में यह IQVIA (Intercontinental Marketing Services and Quintiles) बेचती है. कंपनी के दिए हुए डेटा के मुताबिक़ 3 करोड़ 43 लाख मरीज़ों के लिए कम से कम 38.4 करोड़ यूनिट इनहेलर बिकना चाहिए मगर 2020-21 में केवल 2 करोड़ ४० लाख इनहेलर ही बिके. इसका सीधा अर्थ है कि देश के 90% दमा पेशेंट को सही चिकित्सा नहीं मिल पाई. 
इसके अतिरिक्त दमा से जुड़ी गलतफहमियां भी इस बीमारी को गंभीर बनाने में मदद करती हैं. इस वक़्त जब दुनिया भर में दमा के मरीज़ कम हो रहे हैं, भारत में इसके मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 

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(यह आर्टिकल केवल सूचना के लिए है. यह किसी भी तरह से आधिकारिक चिकित्सकीय उपचार नहीं है. किसी भी उपचार के लिए अपने नज़दीकी पंजीकृत डॉक्टर/अस्पताल से ही संपर्क करें.)

 

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In Indian more than 90 percent asthma patients dont get right medication
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 Asthma : 90% मरीज़ों को नही मिल पाता है सही इलाज़, मरने वालों में 40% भारतीय 
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Hindi
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