डीएनए हिंदी : एक नई स्टडीज के मुताबिक Hybrid Immunity कोरोना महामारी को कम करने में बहुत कारगर साबित हो सकती है. दावा है कि हाइब्रिड इम्युनिटी जिन लोगों में होगी वो कोरोना संक्रमण से आसानी से बच सकेंगे. कोरोना के नए वैरिएंट से हाब्रिड इम्युनिटी वाले आसानी से मुकाबला कर सकेंगे. Hybrid Immunity कोरोना के खिलापफ जंग में कैसे काम करती है, चलिए इसके बारे में डिटेल में जानें.
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिएि मजबूत इम्युनिटी का होना बहुत जरूरी है.ऐसे में ये Hybrid Immunity क्या है और इसे कैसे हासिल किया जा सकता है, ये सवाल लाजमी है? हाइब्रिड इम्युनिटी शरीर में तब डवलप होती है जब या तो उस वायरस से मरीज ग्रसित रहा हो वैक्सीन ली हो. इन दोनों ही तरीको से शरीर में हाइब्रिड इम्युनिटी डवलप होती है.
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साइंटिस्ट्स का मानना है कि कोरोना संक्रमित लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है और ऐसे में Hybrid Immunity बड़ी संख्या में लोगों को फ्यूचर में संक्रमण से बचाने में कारगर साबित हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब शरीर पर किसी वायरस का अटैक होता है तो उससे मुकाबला करने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज बन जाते हैं, जो दोबारा इस तरह की बीमारी के अटैक होने पर शरीर को बचाते हैं. शरीर में इस क्षमता को प्रतिरक्षा या इम्युनिटी कहते हैं. वैक्सीन भी इसी तरीके से काम करती है. कोरोना की वैक्सीन भी वायरस के सेल से बनती है ताकि वह शरीर में वह एंटीबॉडी बना सके.
क्या हाइब्रिड इम्युनिटी सेफ है?
वैक्सीन लगवाने से पहले वायरस से संक्रमित रहे लोगों में डवलप हो चुकी हाइब्रिड इम्युनिटी पूरी तरह से वायरस के अटैक से बचा नहीं सकता है, लेकिन वायरस के अटैक का असर कम जरूर होता है.
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कोरोना से जंग में क्यों अहम है ये स्टडी?
अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन एलायंस गावी की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना इंफेक्शन के बाद शरीर में बनी एंटीबॉडी की तुलना में वैक्सीन लिए हुए शख्स के शरीर में 17 गुना ज्यादा एंटीबॉडी होती है. स्टडी के अनुसार वैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडी शरीर के सेल्स में वायरल फैक्टर की एंट्री रोकने में भी ज्यादा कारगर है. इसका शरीर के ज्यादा हिस्सों में असर भी होता है. लेकिन शरीर में T-Cell जो कि वायरल लोड को शरीर से खत्म करने में काफी अहम होती है वह पहले संक्रमित हो चुके शख्स के शरीर में ज्यादा बेहतर स्थिति में होती है.स्टडी में पाया गया कि वैक्सीन लगवा चुके लोगों की तुलना में 5 से 20 गुना तक कम चांस होता है.
ज्यादा प्रभावी कैसे है Hybrid immunity?
स्टडीज बताती हैं कि केवल संक्रमण या वैक्सीनेशन से बनी एंटीबॉडी की तुलना में Hybrid immunity ज्यादा प्रभावी होती है. संक्रमित रहे लोग अगर वैक्सीन ले लेते हैं तो उनके दोबारा इंपफेक्टेड होने के चांसेज 58 फीसदी कम हो जाते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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Hybrid Immunity बन रही Corona का अचूक हथियार, जानिए कैसे हासिल होती है ये?