डीएन हिंदीः अक्टूबर के महीने में डेंगू (Dengue) और मच्छर जनित बीमारियां सबसे ज्यादा लोगों की जान लेते हैं. इसमें डेंगू इस समय सबसे खतरनाक चल रहा है. डेगू में खून में प्लेटलेट्स के कम होने से जान पर खतरा आता है लेकिन तीन चीजें ऐसी हैं जो आपके खून से प्लेटलेट्स (Low Platelets in Blood) को गिरने ही नहीं देंगी.
डेंगू का पहला संकेत मिलते ही अगर आप इन तीन चीज को पीना शुरू कर दें तो आप घर बैठे ही इस बीमारी को मात दे सकते हैं. खास बात ये है कि बकरी का दूध और दो पत्तों का रस बच्चों को भी दिया जा सकता है और इसके कोई भी साइड इफेक्ट नहीं हैं.
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डेंगू में बकरी का दूध क्यों है फायदेमंद
बकरी का दूध पीना न केवल एंटीबॉडीज को मजबूती देता है बल्कि बुखार के कारण तेजी से गिर रही प्लेटलेट्स को को बढ़ाने का भी काम करता है. बकरी के दूध में विटामिन बी6, बी12, सी और डी की मात्रा बहुत होती है साथ ही इसमें फोलेट बाइंड करने वाले अवयव ज्यादा होते हैं. इसी से फोलिक एसिड बनता है. बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन गाय, भैंस की तरह जटिल नहीं होता. इसलिए बकरी का दूध पचाना भी आसन होता है. साथ ही यह रक्त कणिकाओं की संख्या में बढ़ाने का काम भी करता है. बकरी के दूध में खास तरह का प्रोटीन होता है और ये प्रोटीन ही डेंगू के मरीज़ में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने का काम करता है. चिकनगुनिया में भी ये ही प्रोटीन काम करता है.
गिलोय का रस
गिलोय में ऐंटिऑक्सीडेंट्स, ऐंटिइंफ्लामेट्री प्रॉपर्टीज होती हैं. इसमें ग्लूकोसाइड, फास्फोरस, कॉपर, कैल्शियम, जिंक और मैग्निशियम जैसे मिनरल्स भी होते हैं. जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं.
डेंगू में गिलोय का इस्तेमाल कैसे करें?
गिलॉय के पत्तों का जूस या पानी (Giloy juice) नियमित रूप से पीने से भी डेंगू के बुखार का संकट टलता है. 10 गिलोय के बेल के टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरकर और दो चुटकी अजवाइन के साथ 5-7 मिनट तक उबालें. इसे गुनगुना कर रोगी को खाली पेट देने से चमत्कारी लाभ मिलता है.
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एक दिन में कितना लेना चाहिए गिलोय
बुखार में गिलोय का सेवन करने के पाउडर, काढ़ा या रस के रूप में करना चाहिए. गिलोय के पत्ते और तने को एक साथ सुखाकर पाउडर बनाया जाता है. वैसे बाजार में गिलोय की गोली भी मिलती हैं. एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.
पपीते के पत्ते के रस
पपीते के पत्ते के रस की दो औषधीय क्षमता है- इसमें एंटी-थ्रोम्बोसाइटोपेनिक और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव
प्लेटलेट बढ़ाता है. पपीता के पत्तों के रस में विटामिन सी और ए होता है, जो प्लेटलेट बढ़ाता है.
डेंगू के लिए कितने चम्मच पपीते के पत्ते का रस?
पपीते के पत्तों को पीस लें. छानकर इसका रस निकाल ले. इसके 2 बड़े चम्मच दिन में 2 बार पिएं. पपीते के पत्ते का जूस नियमित रूप से पीना चाहिए. यह स्वाद में काफी कड़वा होता है. इसके टेस्ट को बेहतर करने के लिए इसमें शहद व नींबू मिलाकर पिया जा सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए पपीते पत्तों को धोकर मिक्सी में पीस लें और फिर इसके जूस में शहद व नींबू मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करें.
नोटः डेंगू में बेड रेस्ट बहुत जरूरी है. वरना कोई औषधि या दवा काम नहीं करेगी. साथ ही शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. खानपान हल्का और सुपाच्य होना चाहिए. नारियल पानी, नींबू पानी, फलों के रस आदि अधिक से अधिक मात्रा में लेना जरूरी है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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डेंगू होते ही बकरी के दूध के साथ पीएं इन दो पत्तियों का रस, ब्लड में प्लेटलेट्स की नहीं होगी कमी