डीएनए हिंदीः बाढ और बरसाती पानी का जमाव और मौसम में कभी गर्म और ठंड का होना डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया के मच्छरों के लिए सबसे अनुकूल है. डेंगू की गंभीर स्थिति डेंगू शॉक सिंड्रोम है जिसमें मरीज के जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. डेंगू से लड़ने के लिए जरूरी है कि आपका इम्युन सिस्टम मजबूत हो और शरीर में दो खास चीजों की कमी न हो.
ज्यादातर लोगों को यह एहसास नहीं है कि कम प्लेटलेट काउंट हमेशा किसी आपात स्थिति का संकेत नहीं होता है और यह एक भ्रामक पैरामीटर है. संक्रमण की गंभीरता का सबसे मुख्य कारक है हीमो एकाग्रता यानी ब्लड में हीमोग्लोबिन के स्तर में असामान्य वृद्धि. क्योंकि इससे ब्लड में प्लाज्मा लीक होने लगता है और पेट और फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा होता जाता है. जिसका मतलब है कि गंभीर निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन के कारण ब्लड अपना मैट्रिक्स खो रहा है और ब्लड की मात्रा बढ़ाने के लिए अंतःशिरा तरल पदार्थों के साथ आक्रामक तरीके से इलाज नहीं किया जाता है, तो शरीर सदमे में चला जाता है और यही डेंगू शॉक सिंड्रोम कहलाता है.
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डेंगू शॉक सिंड्रोम होने पर क्या होता है
इससे रक्तचाप में गिरावट आने लगती है, बहु-अंग विफलता और यहां तक कि मृत्यु भी हो जाती है. किसी भी मरीज, जिसका हीमोग्लोबिन का स्तर बुखार के दौरान 10 प्रतिशत बढ़ जाता है, लेकिन फिर भी प्लेटलेट काउंट सामान्य सीमा के भीतर रहता है, उसे अस्पताल ले जाना चाहिए. इसलिए प्लेटलेट काउंट से पहले आपको मरीज के हीमोग्लोबिन के बढ़ते स्तर पर नजर रखना ज्यादा जरूरी है, प्लेटलेट ड्रॉप का गिरना इसके बाद आता है.
डेंगू के लक्षण
डेंगू में तेज बुखर, शरीर में दर्द, दाने, पेट में दर्द, लगातार बुखार, निम्न रक्तचाप और उनींदापन जैसे लक्षण दिखते हैं. डेंगू वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड दो से 14 दिनों तक होता है, लेकिन आमतौर पर औसतन चार से सात दिनों के बीच लक्षण प्रकट होते हैं. आमतौर पर चार से पांच दिनों में बुखार कम होने के बाद मरीज बेहतर महसूस करता है.
इस चीज की कमी पहुंचा देगी अस्पताल.
चार से पांच दिनों में बुखार कम होने के बाद मरीज बेहतर महसूस करता है लेकिन इस अवधि के दौरान रोगी ने खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड नहीं रखता है, तो चौथे दिन के बाद जटिलताएं बढ़ने लगती हैं. निर्जलीकरण निश्चित रूप से आपको अस्पताल पहुंचाएगा. इसलिए एक दिन में तीन से पांच लीटर पानी पीना या सीधे शब्दों में कहें तो हर घंटे घूंट-घूंट करके पानी पीना बेहद जरूरी है. डेंगू को पर्याप्त जलयोजन से नियंत्रित किया जा सकता है.
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डेंगू बुखार में कभी न करें ये काम
चाहे शरीर में कितना भी दर्द क्यों न हो, दर्दनिवारक या नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (एनएसएआईडीएस) न लें. वे प्लेटलेट्स को और नीचे लाते हैं, आपकी किडनी को प्रभावित करते हैं और गैस्ट्राइटिस का कारण बनते हैं. अपने बुखार को नियंत्रण में रखने के लिए हर छह से आठ घंटे में पेरासिटामोल लें. एंटीबायोटिक्स के बारे में तो सोचें भी नहीं. प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूज़न की आवश्यकता तब होती है जब उनकी संख्या 10,000 से कम हो जाती है. बिना डॉक्टर के परामर्श से कोई भी दवा न ले.
इन बातों पर भी ध्यान दें
(1) यदि आपको इस मौसम में 101 से अधिक लगातार बुखार है, तो लक्षण शुरू होने के 48 घंटों के भीतर डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया पैनल परीक्षण एक साथ कराएं.
(2) मलेरिया का इलाज विशिष्ट दवाओं से किया जा सकता है और चिकनगुनिया से प्लेटलेट स्तर में कोई बदलाव नहीं आता है. लेकिन यह आपको गंभीर जोड़ों का दर्द देता है. डेंगू इन तीनों में सबसे खराब है, इसलिए अगले तीन महीनों तक सतर्क रहें.
(3) कूलर-गमलों के नीचे जमा होने वाले पानी को साफ करते रहें.
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(4) अपने घर के आसपास साफ-सफाई रखें और आस-पास धुंआ करें और तन के ढकने वाले पूरे कपड़े पहनें.
(6) मच्छरों को भगाने वाले क्रीम और स्प्रे का यूज करें या मच्छरदानी में सोएं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने से ज्यादा खतरनाक है खून में इस एक चीज का बढ़ना, शरीर में कम न होने दें पानी