डीएनए हिंदी : भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. अन्य क्षेत्रों में तेजी से विकास हासिल करने के बावजूद जब स्वास्थ्य देखभाल के मानकों को देखा जाता है तो भारत का प्रदर्शन खराब रहता है(Medical Facility in India). सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रमुख चर्चाओं में से एक भारत में योग्य चिकित्सा डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की पर्याप्त संख्या की भारी कमी है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार कि भारत का डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 है. वही भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात WHO द्वारा निर्धारित 1:1000 के मानदंड से कम है.
स्वास्थ्य विभाग की सूचना के अनुसार भारत में साल 2021 तक रजिस्टर्ड एलोपैथिक चिकित्सक की संख्या कुल 13,01,319 है . वही देश में 80% पंजीकृत डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 है. और पंजीकृत एलोपैथिक आयुष डॉक्टरों की संख्या 5.65 लाख है. आधिकारिक आकड़ो की बात करे तो भारत में 2.89 लाख पंजीकृत dentists और 13 लाख हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स है.
Medical Facility in India : बहुत कम हैं नर्सें भी
भारतीय नर्सिंग परिषद के रिकॉर्ड के अनुसार, लगभग 33.41 लाख पंजीकृत नर्सिंग स्टाफ हैं. नर्सिंग कर्मियों जिसमें 23,40,501 पंजीकृत नर्स और पंजीकृत शामिल हैं ,दाइयों (आरएन एंड आरएम) और 10,00,805 नर्स एसोसिएट्स (9,43,951 सहायक नर्स) है. वही देश में दाइयों (एएनएम) और 56,854 महिला हेल्थ VISITORS (LHV) के तौर पर कार्यरत है . वर्तमान में देश में नर्स-जनसंख्या अनुपात प्रति 1000 जनसंख्या पर 1.96 नर्स है.
ग्रामीण क्षेत्रो के हेल्थ सेंटर्स में अभी भी 30.8% की कमी
रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के डाटा के अनुसार भारत में राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रो में कुल 25140 PHC (प्राइमरी हेल्थ सेक्टर ) और 156101 उप स्वास्थ्य केंद्र चल रहे है जिनके तहत 20937 स्वास्थ्य कार्यकर्ता (महिला)/एएनएम पीएचसी में तैनात हैं .जिनकी संख्या मात्र 20.6% ही है वही पीएचसी में एचडब्ल्यू (एफ)/एएनएम की कुल आवश्यकता के मापे तो अभी भी 30.8% की कमी है
सीएचसी में 79.9% विशेषज्ञों की कमी
सीएचसी में विशेषज्ञ डॉक्टरों(Specialist Doctors in India) की संख्या 2005 में 3550 से बढ़कर 2021 में 4405 हो गई है। जो अभी भी मौजूदा बुनियादी ढांचे की आवश्यकता की तुलना में काफी काम है. भारत के सभी CHC में कुल मिला कर 83.2% सर्जन, 74.2% प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 82.2% चिकित्सक और 80.6% बाल रोग विशेषज्ञ है . इसके बावजूद मौजूदा सीएचसी की आवश्यकता की तुलना में सरकारी आकड़ो के मुताबिक सीएचसी में 79.9% विशेषज्ञों की कमी है.
ग्रामीण भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में डॉक्टरों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में सुधार हुआ है. लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में विशेषज्ञों का गंभीर संकट पूरे देश में बना हुआ है, सरकारी आंकड़ों से पता चलता है. 2015-16 में ग्रामीण पीएचसी में 26,464 डॉक्टर थे। 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 31,716 हो गई, जो 20% की वृद्धि को दर्शाती है.
हालांकि, इसी अवधि के दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी में विशेषज्ञों की संख्या 4,192 से बढ़कर 4,405 हो गई जिसमे कि लगभग 5 प्रतिशत का सुधार दर्ज़ हुआ है . ताज़ा आकड़ो के मुताबिक मार्च 2021 तक, ग्रामीण सीएचसी में 21,924 की आवश्यकता के मुकाबले सिर्फ 4,405 विशेषज्ञ थे. स्वस्थ विभाग के आकड़ो के मुताबिक “कुल मिलाकर, सीएचसी में आवश्यकताओं की तुलना में 79.9 % विशेषज्ञों की कमी है।
स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वीकृत विशेषज्ञों के कुल दो तिहाई से अधिक पद अभी भी खाली
भारत के CHC में विशेषज्ञों(Specialist Doctors in India) के अलावा लगभग 17012 जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (GDMO) 2955 जीडीएमओ आयुष के साथ एलोपैथिक व 514 आयुष विशेषज्ञ भी हैं . वही औसतन ग्रामीण क्षेत्रो में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वीकृत विशेषज्ञों के कुल 63.3 % पद अभी भी खली हैं .
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी
हाल ही में जारी ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के आकड़ो के अनुसार आज के समय में भारत के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा(Medical Facility in India) क्षेत्र की स्थिति आज भी सराहनीय नहीं है. ये आंकड़े भारत में एक बड़े स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करते हैं. भारत के ग्रामीण इलाकों के बुनियादी ढांचे की स्थिति की बात करे को एक आकड़ो के अनुसार लगभग 67% सीएचसी में नवजात शिशु देखभाल केंद्र है, लेकिन दुर्भाग्य से, बाल रोग विशेषज्ञों के 63% पद खाली हैं. 86 % से अधिक सीएचसी में ऑपरेशन थियेटर हैं, लेकिन 68 % से अधिक सर्जन के पद खाली हैं. एससी और पीएचसी में कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता लोगों को विशेषज्ञ परामर्श और उपचार लेने के लिए सीएचसी तक पहुंचने के लिए मजबूर करती है. साथ ही, सीएचसी स्वयं विशेषज्ञों और अन्य कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं जो समस्या को और बढ़ा देते हैं.
ग्रामीण इलाकों में स्वस्थ सुविधाओं की भारी कमी से भारत की ग्रामीण आबादी एससी और पीएचसी की अपर्याप्तता और सीएचसी स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों और कर्मचारियों की अनुपलब्धता के बीच फंसी हुई है. और संघर्ष कर रही है. स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की इस कमी के कारण ढांचागत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. यह स्वास्थ्य संबंधी नीतियों के खराब डिजाइन को दर्शाता है.
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