डीएनए हिंदी: बहुत कम ही ऐसे कलाकार होते हैं जो भाषा की सीमाएं तोड़कर अदाकारी के आसमान में एक आजाद परिंदे की तरह उड़ते हैं और सबकी आंखें सपनों से भर देते हैं. Sridevi उनमें से एक थीं. साउथ के सिनेमा से शुरुआत कर उन्होंने हिंदी सिनेमा के दर्शकों के बीच ऐसी जगह बनाई कि सब मंत्रमुग्ध हो गए. श्रीदेवी ने महज 4 साल की उम्र से ही बतौर बाल कलाकार शुरुआत कर दी थी. श्रीदेवी की पहली तमिल फिल्म थुनाईवन थी. साल 1967 से 1975 तक श्रीदेवी ने बतौर बाल कलाकार तमिल, तेलगु, मल्यालम और कन्नड़ में फिल्मों में काम किया.
1978 में आई फिल्म 'सोलवा सावन' से श्रीदेवी ने बतौर लीड एक्ट्रेस हिंदी फिल्मों में कदम रखा लेकिन इसके बाद चार साल तक श्रीदेवी ने कोई फिल्म साइन नहीं की. साल 1983 में श्रीदेवी को फिल्म 'हिम्मतवाला' में साइन किया गया. इसमें उनकी जोड़ी जितेन्द्र के साथ बनी. फिल्म बॉक्सऑफिस पर हिट रही और यहीं से शुरू हुआ श्रीदेवी के पहली फीमेल सुपरस्टार बनने का सफर. साल 1986 में डायरेक्टर हरमेश मल्होत्रा की फिल्म 'नगीना' उनके करियर में एक नया मोड़ लेकर आई. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तूफ़ान मचा दिया और साल की सबसे बड़ी ब्लॉकस्टर साबित हुई. फिल्म के हीरो ऋषि कपूर थे लेकिन फिल्म की कामयाबी श्रीदेवी के नाम रही.
नहीं आती थी हिंदी
श्रीदेवी की मातृभाषा हिंदी नहीं थी. शुरू-शुरू में उन्हें हिंदी बोलने में बहुत परेशानी होती थी. उन्होंने एक बार कहा था कि वे किसी तोते की तरह अपने डायलॉग रटती थीं. हिंदी में कंफर्टेबल न होने की वजह से कई सालों तक श्रीदेवी की फिल्मों में उनके डायलॉग की डबिंग किसी और से करवाई जाती थी. उनकी दर्जनों फिल्मों में एक्ट्रेस नाज ने उनकी डबिंग की थी. अमिताभ के साथ फिल्म आखिरी रास्ता में सदाबहार रेखा ने उनके डायलॉग की डबिंग की थी.
एक्सपोज करने से किया मना
एक बार जब एक्टर और डायरेक्टर फिरोज खान अपनी फिल्म 'जांबाज' के लिए श्रीदेवी को साइन करने पहुंचे तो श्रीदेवी ने कहा कि वो उनकी फिल्म में काम नहीं कर सकतीं क्योंकि उनकी फिल्मों में तो हीरोइन को बहुत एक्सपोज करना पड़ता है. श्रीदेवी की बात सुनकर फिरोज मुस्कुरा दिए. वो बोले कि उन्हें उनकी फिल्म के लिए सिर्फ श्रीदेवी का चेहरा चाहिए. वादा निभाते हुए फिरोज ने श्रीदेवी के साथ बेहद खूबसूरत गीत 'हर किसी को नहीं मिलता' फिल्माया जिसकी इतनी धूम मची कि फिल्म की असली हीरोइन डिंपल कपाड़िया से कहीं ज़्यादा चर्चा श्रीदेवी की हुई.
इंडस्ट्री में श्रीदेवी ने की थी मम्मी कल्चर की शुरुआत
फिल्म इंडस्ट्री में असलियत में मम्मी कल्चर की शुरुआत श्रीदेवी ने की थी. श्रीदेवी के साथ सेट पर हमेशा उनकी मम्मी या बहन जाया करती थीं उन्होंने ही सेट पर मम्मी को ले जाने कल्चर शुरू किया था. कहते हैं कि प्रोड्यूसर को हर छोटी बड़ी-बात के लिए श्रीदेवी की मम्मी से ही परमिशन लेनी पड़ती थी. श्रीदेवी अपनी शर्तों पर काम करने वाली हीरोइन रहीं. फिल्मों में किसिंग सीन और रेप जैसे सीन से दूर रहने का ऐलान श्रीदेवी ने 80 के दशक में ही कर दिया था.
किसिंग सीन में बॉडी डबल के इस्तेमाल पर भी भड़क गई थीं श्रीदेवी
किसिंग सीन ना देने के ऐलान के बावजूद फिल्म गुरू के वक्त वो मुसीबत में फंस गईं. फिल्म गुरू में मिथुन चक्रवर्ती के साथ किसिंग सीन में डॉयरेक्टर उमेश मेहरा ने श्रीदेवी की बॉडी डबल का इस्तेमाल कर लिया और इसपर श्रीदेवी बेहद नाराज हुईं. विवाद और तब बढ़ा जब डायरेक्टर ने मैग्जीन में यह बयान दिया कि किसींग सीन खुद श्रीदेवी ने दिया है. उस विवाद के बाद श्रीदेवी की शर्तें और सख्त होती गईं.
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Sridevi: शूटिंग के लिए सेट पर साथ जाती थीं मां, किसिंग सीन और रेप सीन से था परहेज़