डीएनए हिंदी: श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से 35 किलोमीटर दूर राजस्थान का भरतपुर शहर. इस शहर में है 'मोहल्ला गोपालगढ़'. दूसरे शहरों की तरह इस मोहल्ले में भी एक टैलेंट 'बड़ा ख्वाब' बुन रहा था. उस टैलेंट ने एक ऐसा 'ऑड करियर' चुना जिसके बारे में लोग पूछते- बांसुरी बजाना भी कोई करियर होता है?
हम बात कर रहे हैं इंडियाज गॉट टैलेंट (India's Got Talent) में अपनी परफॉर्मेंस से धूम मचा रहे बांसुरी वादक मनुराज सिंह राजपूत की. दिव्यांश और मनुराज की इस जोड़ी ने रियलिटी शो इंडियाज गॉट टैलेंट में 12 गोल्डन बजर हासिल कर इतिहास रचा है. कभी यह जोड़ी शो में आने के लिए संघर्ष कर रही थी लेकिन आज उनकी परफॉर्मेंस से एक से एक सेलिब्रिटी मुरीद हैं.
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मनुराज सिंह राजपूत की सक्सेस स्टोरी
मनुराज सिंह राजपूत (Manuraj Singh Rajput) ने डीएनए हिंदी से कहा, कोई भी चीज इतनी आसानी से हासिल नहीं की जा सकती. हमने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष किया है. जब मैं 11 साल का था तब मम्मी मंदिरों में ढोलक बजाती थीं, उन्हें इसका शौक था. वह टीचर थीं, जब स्कूल जाती तो मुझे भी अपने साथ लेकर जाती. वहां से लौटते समय गुरुजी के पास हारमोनियम सीखती. मैं भी उनके साथ प्रेक्टि्स करता. बस यहीं से मुझे संगीत की लगन लग गई. इसी दौरान मुझे जयपुर में एक कैंप में बांसुरी सीखने का मौका मिला.
— Manuraj Rajput (@Manurajflute) March 11, 2022
चाय की दुकान पर सीखी बांसुरी
महीनेभर के कैंप के बाद जब भरतपुर लौटा तो यहां 'गुरु' की खोज शुरू हो गई तब मुझे बिहारी जी मंदिर के बांसुरी वादक राकेश बंसीवाला मिले. वह चाय की दुकान चलाते थे और इतनी मधुर बांसुरी बजाते कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते. मैंने उनसे चाय की दुकान पर तालीम लेना शुरू कर दिया, इधर उम्र बढ़ी तो करियर चुनने का दबाव बढ़ने लगा. 12वीं के बाद मां ने कहा कि एक बार इंजीनियरिंग कर लो, भले ही अपने शौक को बरकरार रखना. जाहिर है उनपर भी सामाजिक दबाव था.
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मैं इंजीनियरिंग करने जयपुर चला गया लेकिन इसमें मन नहीं लगता. अब घरवालों से पैसे मांगने में भी संकोच होने लगा. जब कॉलेज नहीं जाता था तब फाइन लगता. फिर मैंने कॉलेज के पास मोबाइल की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया. वहां से 2700-2800 रुपये की सैलेरी मिली तो मैंने इससे बांसुरी खरीद ली.
#DivyanshAndManuraj ne dedicate kiya apna act saare judges ko aur jeeta unka dil! Dekhiye aise hi kayi saare impressive acts #IndiasGotTalent Season 9 ke #JudgesSpecialEpisode mein, iss Sat-Sun raat 8 baje, sirf Sony par. pic.twitter.com/bxDMJQHvJP
— sonytv (@SonyTV) April 7, 2022
गुरुकुल में हुआ एडमिशन
अब बांसुरी तो मिल गई लेकिन गुरुजी नहीं थे, फिर इसी खोज में मुझे संदीप सोनी जी मिले. उन्होंने मुझसे कहा कि यदि आगे बढ़ना है तो दिल्ली और मुंबई में प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेनी होगी. इसके बाद मैं रवि प्रसन्ना गुरुजी से बांसुरी सीखने दिल्ली चला गया. यहां एक छोटे से कमरे में रहकर मैं अपने ख्वाब बुनता रहता.
करीब एक साल यहां रहने के बाद मैंने मुंबई का रुख किया. यहां मैं पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी के गुरुकुल में गया लेकिन एंट्री लेना काफी मुश्किल काम था. उन्होंने मुझे सीनियर्स से सीखने के लिए कह दिया, मेरी भी जिद थी कि एक न एक दिन हरिप्रसाद जी से सीखूंगा.
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मैं इंजीनियरिंग के लिए जयपुर आता तो दूसरी तरफ फ्लूट सीखने मुंबई जाता. फिर जब 2010 में इंजीनियरिंग खत्म की तब मैंने गुरुजी से कहा- अब यदि आपने मुझे गुरुकुल में रहकर सीखने की इजाजत नहीं दी तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा. मेरी लग्न देखकर अंतत: उन्होंने मुझे गुरुकुल में एडमिशन दे दिया.
गुरुकुल पहुंचने में लग गए 9 साल
मनुराज ने आगे कहा, 2011 में मुझे गुरुकुल में एडमिशन मिला. यहां पहुंचने में मुझे 9 साल लग गए. यहां करीब चार साल रहा. एक दो साल बाद ही मुझे बड़े शोज ऑफर होने लगे. मैं सोनू निगम और अन्य सिंगर्स के साथ विदेशों में परफॉर्म करने गया लेकिन अब भी खुद की पहचान नहीं मिली. लोग पूछते थे तुम्हारी आइडेंटिटी क्या है? जब धीरे-धीरे मैंने शोज में परफॉर्म करना शुरू कर दिया तो लोग नाम से पहचानने लगे. फिर मैंने अपनी काबिलियत को 'इंडियाज गॉट टैलेंट' के मंच से परफॉर्म करने का फैसला लिया.
10 परफॉर्मेंस पर 12 गोल्डन बजर
यहां बीट बॉक्सर दिव्यांश भी आए हुए थे. यहीं मेरी उनके साथ जोड़ी जम गई और हमने इस तरह परफॉर्म किया कि बादशाह, शिल्पा शेट्टी, किरण खेर और मनोज मुंतजिर जी से हमें एक के बाद एक गोल्डन बजर मिलने लगे. अब तक 10 परफॉर्मेंस पर 12 गोल्डन बजर मिल चुके हैं जो इस शो के इतिहास में सबसे ज्यादा है. अब हम जहां भी जाते हैं लोग हमसे हमारे बारे पूछने लग जाते हैं. सच कहूं तो पीछे देखता हूं तो अपनी मेहनत पर बहुत फख्र होता है.
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सपने पूरे होते हैं
मनुराज ने कहा, जहां भी जाते हैं लोग सेल्फी लेते हैं, तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साह बढ़ाते हैं. छोटे शहरों के करियर के बारे में पूछे जाने वाले सवाल भले ही चुभते हों लेकिन यही आपकी हिम्मत और ताकत भी बन जाते हैं. अब हम फाइनल 7 में पहुंच चुके हैं और जीत के बेहद करीब हैं. इसके लिए रविवार को 8 से 12 बजे तक वोटिंग होगी. मनुराज ने कहा, पहले मैं भी रियलिटी शो के बारे में सोचता था यह फिक्स होता होगा लेकिन यहां आकर पता चला है कि टैलेंट को पहचान के लिए कितनी मेहनत चाहिए.
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Manuraj Singh Rajput: जब लोग पूछते थे-बांसुरी बजाना भी कोई करियर होता है?