डीएनए हिंदी: आपने अक्सर देखा होगा कि बच्चे अपने माता-पिता से कभी चॉकलेट, कभी आईक्रीम के लिए लड़ते हैं तो कभी अपने सपनों के लिए. इसी दुनिया में कई ऐसे भी लोग भी मौजूद हैं जिन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए अपने सपने को पीछे छोड़ दिया. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है बल्कि सच्चाई है फिल्मों में गाना गाने वाले सिंगर शाहिद माल्या की जिन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया है. शाहिद माल्या भले ही आज बॉलीवुड के जाने-माने गायकों में से एक है पर एक दौर ऐसा भी था जब वे केवल आम इंसान थे. डीएनए हिंदी को दिए अपने इंटरव्यू में शाहिद माल्या ने अपने जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें शेयर की जिसे जानकर शायद आप भी अपने आपको रोने से रोक नहीं पाएंगे.
7 साल की उम्र में सीखा संगीत
शाहिद ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनके पिता भी एक सिंगर है. वे कई कार्यक्रमों में गाना गाया करते थे. शाहिद भी उन प्रोग्राम में तबले के ताल के साथ अपने पिता का खूब साथ निभाया करते थे. वहीं से उनको संगीत को सीखने की प्रेरणा मिली.
'मैं म्यूजिक प्रोफेसर बनना चाहता था'....शाहिद
शाहिद ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि वे एक बड़े सिंगर बने पर दुर्भाग्यवश एक एक्सीडेंट के कारण उनके पिता अपने सपने को पूरा नहीं कर पाएं. "मेरे ऊपर घर को संभालने की जिम्मेदारी थी और मुंबई के स्ट्रगल से मैं वाकिफ था. इसलिए मैंने तय किया कि म्यूजिक की पढ़ाई करके मैं कहीं किसी स्कूल या कॉलेज में म्यूजिक प्रोफेसर की नौकरी कर लूंगा जिससे एक बंधी हुई तनख्वा आती रहेगी" लेकिन पिता के चेहरे की मायूसी मेरे से देखी नहीं गई और मैं चल दिया सपनों की नगरी मुंबई में उनके सपने को पंख देने.
'मेरी क्रिएटीविटी ने दिलाया पहला प्रोजेक्ट'
साल 2011 में फिल्म यमला पगला दीवाना में गुरुबानी से मुझे ब्रेक मिला था. उन दिनों मैं फिल्मों और टीवी सीरियल्स में ब्रैकग्रांउड म्यूजिक गाया करता था. ताकि कहीं कोई बड़ा मौका मिल जाए. गुरुबानी वही एक बड़ा मौका था जो मुझे म्यूजिक कंपोजर संजय चौधरी से मिला. उन्होंने मुझे एक अलाप गाने के लिए बुलाया था लेकिन मैंने उनसे कहा कि सर इसमें कुछ शब्द भी आ सकते हैं. वहां मैंने अपनी क्रिएटीविटी के दम से सबका दिल जीत लिया और उसके बाद मेरे सिंगिंग सफर ने रफ्तार पकड़ ली.'
Versatile सिंगर बनना चाहते हैं Shahid Mallya
फिल्म जुबली में गाए गीत 'दिल जहां पे ले चला' को लेकर जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि 'मैं हर तरह के गाने गाना चाहता हूं. फिर चाहे वो कोई भजन हो, रेट्रो हो, सैड हो, रोमांटिक हो, किसी भी तरह का गाना क्यों ना हो. मैं खुदको एक जगह बांधकर नहीं रखना चाहता हूं.
'स्ट्रगल को ही जुगाड़ कहते हैं'....
अक्सर ये सवाल उठता है कि आपको इंडस्ट्री में बने रहना है या आपको कदम रखना है तो आपके पास कोई गॉडफादर होना चाहिए वरना आपको कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इस मुद्दे को लेकर शाहिद माल्या ने साफ तौर पर अपनी बात रखी कि 'आपका जो स्ट्रगल होता है उसी को जुगाड़ कहते हैं.'
"ऐसा होता है कि आप जब इंडस्ट्री में काफी समय से काम कर रहें होते हैं या स्ट्रगल के दौर में होते हैं तो आप काफी लोगों के साथ काम करते हैं. कई लोगों को आपका काम पसंद आता है. जब आपका एक गाना हिट हो जाता है तो दूसरा गाना कहां से आएगा इसके लिए तो आपको किसी ना किसी से बात करनी ही पड़ेगी, हो सकता है आपको ऑडिशन भी देना पड़े. ऐसा बहुत कम होता है कि बिना टैलेंट के सिर्फ जुगाड़ के भरोसे आपको जीवन भर काम मिले."
''मैं यही कहूंगा कि स्ट्रगल का दौर आपको विनम्र बनाता है''.
मुझे सभी म्यूजिक डायरेक्टर से प्यार मिला....
डीएनए हिंदी के स्पेशल इंटरव्यू में शाहिद ने बताया कि आजतक जितने भी लोगों के साथ उनको काम करने का मौका मिला उन सभी से उनको आदर और सम्मान मिला फिर चाहे वो म्यूजिक कंपोजर हो या फिर म्यूजिक डायरेक्टर.
शाहरूख खान के बेटे की आवाज बनना चाहते हैं शाहिद माल्या
अक्सर ऐसा होता है कि कुछ सिंगर कई एक्टर्स के लिए लंबे समय तक गाना गाते हैं. कई फिल्मों में उनकी आवाज बनते हैं. इसको लेकर शाहिद माल्या ने बताया कि वे फिलहाल बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर की आवाज बन चुके हैं लेकिन भविष्य में शाहरूख खान के बेटे एक्टिंग में आते हैं तो वे उनके लिए गाना जरूर गाना चाहेंगे. फिल्मों में उनकी आवाज बनना चाहेंगे.
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अब मैं मर भी जाऊं तो कोई गम नहीं.....
शाहिद माल्या ने बताया कि बतौर प्लेबैक सिंगर जब उनका पहला बड़ा गाना आया और उसके बाद लगातार कई सॉन्ग आए तो उनके पिता बेहद खुश थे. 'जैसा कि मैंने बताया कि मेरे पिता प्लेबैक सिंगर बनना चाहते थे पर नहीं बन पाए. जब मैंने उनका ये सपना सच कर दिखाया तो वे बेहद खुश हुए थे. मैं बस यही कहूंगा मुझे मिले सभी सम्मानों पर उनका हक है. मैं आज जो कुछ भी हूं उन्हीं की वजह से हूं."
बिखरने का मुझको शौक है बड़ा....
हाल में आई कला फिल्म में शाहिद ने बैक टू बैक 4 गाने गाए हैं. कला फिल्म में लेकर अपने अनुभव को शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि ''यशराज स्टूडियों में इस फिल्म और इसके गानों का काम चल रहा था. मुझे म्यूजिक डायरेक्टर अमित त्रिवेदी जी ने वहां बुलाया और डायरेक्टर अनमिता दत्त से मिलवाया. इसके बाद वहां मेरा ऑडिशन हुआ और मुझे ये प्रोजेक्ट मिला.''
जल्द ही आप मुझे ऑन स्क्रीन देख पाएंगे....
"शाहिद माल्या ने डीएनए हिंदी के स्पेशल इंटरव्यू में बताया कि इन दिनों वे फिल्मों से अलग खुद के सिंगल सॉन्ग रिकॉर्ड कर रहे हैं. इस बार जब गाने सबके सामने आएंगे तो फैंस मुझे वीडियों में देख पाएंगे क्योंकि मैं खुद अब म्यूजिक वीडियो में फीचर होने वाला हूं."
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