डीएनए हिंदी: 68th National Film Awards: हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की गई है. नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए विनर्स का ऐलान कर दिया गया है. इस लिस्ट में बेस्ट एक्टर, बेस्ट फिल्म और बेस्ट एक्ट्रेस के साथ-साथ कई कैटेगरीज में विजेताओं का ऐलान हो गया है. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार इस साल के अंत में एक समारोह में दिए जाएंगे. कई फिल्म और एक्टर्स के नाम नेशनल अवॉर्ड रहा पर एक 15 मिनट की हिंदी डॉक्युमेंट्री फिल्म ने सभी का ध्यान अपनी तरफ कर लिया है. सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्म 'जस्टिस डिलेड बट डिलिवर्ड' (Justice Delayed But Delivered) को नेशनल अवॉर्ड मिला जो फिल्म के मेकर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
*Justice Delayed But Delivered* A Film by @JammuKashmirNow
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) August 2, 2020
Here is the story of Dalit Radhika Gill's struggle & hope in Jammu Kashmir. How did she, her Valmiki Community & Women get justice after Abrogation of #Art370.#Watch Full Documentary here 👇👇👇https://t.co/kvrfHxP5E1 pic.twitter.com/WPkfKmw9r2
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार या नेशनल अवॉर्ड भारत में सिनेमा के क्षेत्र में दिया जाने वाले सबस अहम पुरस्कार है. भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से इन नेशनल अवॉर्ड का आयोजन होता है. इस साल भी नेशनल पुरस्कारों की घोषणा हुई जिसमें काफी फिल्मों और एक्टर्स को सम्मान मिला पर जिसने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा वो है सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्म जस्टिस डिलेड बट डिलिवर्ड. इस फिल्म को सामाजिक मुद्दों पर बनी बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला. फिल्म बेहद खास विषय पर बनी हुई है. फिल्म आर्टिकल 370 और 35ए पर आधारित है.
फिल्म में 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर के दलितों के हालातों को दिखाया गया है. फिल्म एक दलित लड़की की कहानी है जो सफाई कर्मी की बेटी है. उसने बताया कि Article 370 हटने से पहले उससे कहा जाता था कि सफाई कर्मी का बच्चा सफाई ही करेगा बल्कि वो लड़की पढ़ना चाहती थी, नौकरी करना चाहती थी. ये लड़की कोई और नहीं एथलीट राधिका गिल (Radhika Gill) है. वो दलित एथलीट जिसने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया. राज्य स्तरीय एथलीट खिलाड़ी राधिका गिल पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है.
कौन हैं राधिका गिल
जम्मू की रहने वाली राधिका गिल राज्य स्तरीय एथलीट खिलाड़ी हैं. राधिका के पिता चरण सिंह जम्मू में सफाई कर्मचारी हैं. राधिका अपने खेल और पढ़ाई के दम पर एक अच्छी सरकारी नौकरी करना चाहती थीं पर आर्टिकल 35 के कारण उन्हें जम्मू कश्मीर में एक अच्छी सरकारी नौकरी करने का अधिकार नहीं था.
राधिका गिल दलित समुदाय से संबंध रखती हैं. अनुच्छेद 35 ए के अनुसार वो राज्य में सिर्फ सफाई कर्मचारी का ही काम कर सकती थीं. राधिका ने अनुच्छेद 35 ए को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी. हालांकि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए निरस्त होने के बाद राधिका गिल समेत कई दलित समुदायों के नागरिकों को एक समान अधिकार मिला है. 370 निरस्त होने के बाद राधिका के पास किसी भी नौकरी और पढ़ाई के लिए आवेदन करने का अधिकार आ गया था. साथ ही नए डोमिसाइल कानून के तहत उन्हें जम्मू-कश्मीर की नागरिकता भी मिली है.
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दलित लड़की पर बनी इस हिंदी डॉक्युमेंट्री को मिला National Award, आर्टिकल 370 और 35ए से है कनेक्शन