डीएनए हिंदी: इन दिनों बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों के बीच संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) एक ग्रैंड फिल्म को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं. हम बात कर रहे हैं आलिया भट्ट (Alia Bhatt) स्टारर फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' (Gangubai Kathiawadi) की. 'गंगूबाई' की ट्रैजिक और उतार- चढ़ाव से भरी जिंदगी पर बन रही इस फिल्म में आलिया लीड रोल निभाएंगी. फिल्म में 'गंगूबाई' की शख्सियत का परिचय देने के लिए कई शानदार डायलॉग्स का इस्तेमाल किया गया है जैसे- 'कहते हैं कमाठीपुरा में कभी अमावस की रात नहीं होती, क्योंकि वहां गंगू रहती है'... लेकिन क्या आप 'गंगूबाई काठियावाड़ी' की असली कहानी जानते हैं?
कुछ ऐसी है कहानी
'गंगूबाई काठियावाड़ी' की कहानी मशहूर लेखक एस हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' से ली गई है. इस किताब में बताया गया है कि गुजरात के काठियावाड़ से आईं गंगूबाई कठियावाड़ी, 60 के दशक में मुंबई के कमाठीपुरा में वेश्यालय चलाती थीं. गंगूबाई का असली नाम 'गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी' था. काठियावाड़ से कमाठीपुरा तक पहुंचने की उनकी कहानी काफी दर्दनाक है.
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हीरोइन बनने का सपना
गंगा गुजरात के काठियावाड़ के एक समृद्ध परिवार से थीं और परिवार वाले उन्हें पढ़ा- लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे लेकिन गंगा का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और कम उम्र से ही उनका सपना हीरोइन बनने का था. किताब में बताया गया है कि बेहद 16 साल की उम्र में गंगा को पिता के अकाउंटेंट रमणीकलाल से प्यार हो गया था. दोनों भाग कर मुंबई आ गए शादी कर ली लेकिन गंगा को पता नहीं था कि वो जिस पर भरोसा करके अपना घर छोड़ आई है वही उसे जिंदगी का सबसे बड़ा धोखा देने वाला है.
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पति ने दिया सबसे बड़ा धोखा
हरजीवनदास काठियावाड़ी के पति ने महज 500 रुपए के लिए उन्हें एक कोठे पर बेच दिया. इसके बाद गंगा की जिंदगी में आए तूफान ने उन्हें कोठेवाली गंगूबाई बना डाला. गंगा को वक्त ने हालातों से लड़ना सिखा दिया और धीरे- धीरे वो एक स्ट्रॉन्ग और निडर महिला के तौर पर उभर कर आईं. गंगूबाई अपने दौर में हमेशा सेक्स वर्कस के अधिकारों के लिए आवाज उठाती थीं. उनके साथ जो हुआ वो किसी और औरत के साथ ना हो इसलिए गंगूबाई किसी को अपनी मर्जी के बिना कोठे पर नहीं रखती थीं. सिर्फ यही नहीं गंगूबाई ने अपनी जिंदगी में सेक्सवर्कस और अनाथ बच्चों के लिए बहुत काम किया था.
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करीम लाला से करीबी
हुसैन जैदी की किताब में गंगूबाई काठियावाड़ी की माफिया डॉन करीम लाला से करीबी का भी जिक्र है. करीब उस दौर में काफी कुख्यात डॉन हुआ करता था. करीम के लिए काम करने वाले आदमियों में से एक शौकत खान नाम का बदमाश भी था. शौकत अकसर गंगूबाई के कोठे पर जाया करता था. बताया जाता है कि एक वो कोठे पर जाकर गंगूबाई के साथ जबरदस्ती करता था और एक बार उनकी हिम्मत इतनी बढञ गई की शौकत की हैवानियत की वजह से गंगूबाई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. गंगूबाई ने भी ठान लिया था कि वो शौकत को इसका जवाब जरूर देंगीं. उन्होंने करीम लाला के पास जाकर उसकी शिकायत और शौकत को अपने किए की सजा भी मिली.
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सबसे बड़ी महिला डॉन
बताया जाता है कि करीम लाला की इस बात ने गंगूबाई काठियावाड़ी का दिल जीत लिया था और उन्होंने करीम को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था. डॉन को राखी बांधकर गंगू बाई करीम लाला की बहन बन गई और इलाके में गंगू का रौब हो गया. बताया जाता है कि कई लोग गंगू को भी डॉन के नाम से पहचानते थे. हुसैन जैदी की किताब के मुताबिक बाद में गंगूबाई मुंबई की सबसे बड़ी महिला डॉन की लिस्ट में शामिल हो गईं.
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