वहीं, जन्मदिन से एक दिन पहले अभिनेत्री को 'दादासाहब फाल्के पुरस्कार'(Dadasaheb Phalke Award) से सम्मानित किया गया. 'जब प्यार किसी होता है', 'दिल देके देखो', 'कटी पतंग' और उस जमानें की कई सुपरहिट फिल्मों में अपनी एक्टिंग से इंडियन सिनेमा का चेहरा बदलने वाली एक्ट्रेस को उनकी इस उपलब्धि के लिए बड़ी हस्तियों से बधाईयां मिल रही हैं.
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जब कभी भी 60 और 70 के दशक की सबसे बेहतरीन अदाकाराओं की बात होती है तो उसमें आशा पारेख का नाम जरूर शामिल होता है. एक समय था जब अदाकारा का फिल्मी पर्दे पर सिक्का चला करता था. उनके चुलबुले अंदाज और ग्लैमरस अवतार के लाखों फैंस थे. अभिनेत्री का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता था. अपने शानदार अभिनय से आशा ने लाखों दिलों पर राज किया लेकिन फिर भी वे असल जिंदगी में अकेली रह गईं. आइए आज उनके जन्मदिन के अवसर पर उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में जानते हैं.
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2 अक्तूबर 1942 को गुजरात में जन्मी आशा आशा पारेख की मां मुस्लिम और पिता गुजराती थे. अभिनेत्री आज 80 साल की हो चुकी हैं. उन्होंने लंबे समय तक इंडस्ट्री पर राज किया लेकिन एक समय पर किसी ने आशा जी को कहा था कि वह कभी हीरोइन नहीं बन सकती. आशा पारेख ने महज 10 साल की उम्र में फिल्म 'आसमान' से बतौर चाइल्ट आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी. हालांकि, फिल्म चली नहीं तो आशा फिर पढ़ाई में बिजी हो गईं.
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इसके बाद 16 की उम्र में उन्होंने फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' से हीरोइन के तौर पर डेब्यू करना चाहा लेकिन उन्हें यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया कि वह स्टार मटीरियल नहीं हैं और ना ही कभी बन पाएंगी. अत्रिनेत्री को रिजेक्ट करने वाले विजय भट्ट थे.
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इधर, इसके ठीक 8 दिन बाद ही नासिर हुसैन ने उन्हें फिल्म 'दिल देके देखो' में साइन कर लिया. फिल्म सुपरहिट रही और आशा ने फिर कभी यहां से पीछे मुड़ कर नहीं देखा. दिल देके देखो के बाद नासिर हुसैन साहब के साथ ही अभिनेत्री की 6 फिल्में आईं और छह की छह हिट रहीं. दोनों ने लंबे समय तक साथ में काम किया. लोगों को उनकी जोड़ी पसंद आने लगी और असल जिंदगी में भी आशा और नासिर के बीच एक खास बॉन्ड बन गया.
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बता दें कि आशा पारेख को उस समय केवल उनकी फिल्मों के लिए ही नहीं बल्कि उनकी फीस के लिए भी जाना जाता था. आशा पारेख उस दशक में सबसे अधिक फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में शुमार थीं.
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पर्दे पर लाखों दिलों की धड़कन बन चुकीं आशा पारेख असल जिंदगी में बिलकुल अकेली हैं. कहा जाता है कि नासिर साहब के साथ काम करने के दौरान अदाकारा उन्हें दिल दे बैठीं लेकिन नासिर हुसैन पहले से ही शादी-शुदा थे. आशा किसी का बसा बसाया घर बर्बाद नहीं करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने ताउम्र ऐसे ही कुंवारे रहने का फैसला कर लिया. एक इंटरव्यू के दौरान शादी से जुड़े सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा था, 'मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय यही था कि मैं सिंगल रहूं. मैं एक शादीशुदा आदमी से प्यार करती थी. मैं नहीं चाहती थी कि मैं कोई घर तोड़ने वाली औरत बनूं तो मेरे पास एक यही चॉइस थी कि मैं सिंगल रहूं. इसलिए मैंने अपनी पूरी जिंदगी ऐसे ही गुजारी है.'
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इतना ही नहीं, एक अन्य इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके अपोजिट काम करने वाले एक्टर्स अक्सर उनसे डरते रहते थे. आशा ने कहा, 'मेरी ऑन-स्क्रीन छवि कुछ इस कदर बन गई थी कि पुरुष मुझसे बातचीत करने में कतराने लगे थे.' अभिनेत्री ने आगे बताया, 'इकलौती संतान होने के नाते मैं थोड़ी बिगड़ी हुई भी थी. वहीं, हो सकता है इसका कारण मेरी मां हों. दरअसल, मेरी मां बहुत सख्त थीं. उन्होंने कभी किसी को मेरे पास नहीं आने दिया.'
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हालांकि, आशा एक बच्चे को गोद जरूर लेना चाहा था लेकिन उनका वो सपना भी अधूरा रह गया. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिस बच्चे को वह गोद लेना चाहती थी, वह कई बीमारियों से ग्रस्त था इसलिए डाक्टरों ने उन्हें इसकी अनुमति देने से मना कर दिया. इन सब के चलते एक समय ऐसा भी आया जब अकेलेपन के चलते अभिनेत्री ने और जीने की इच्छा ही छोड़ दी. माता-पिता के देहांत के बाद वह और अकेली पड़ गई थीं लेकिन उन्हें खुद को संभाला.
Short Title
Asha Parekh Birthday: शादीशुदा मर्द से हुआ प्यार, फिर पूरी जिंदगी काटी अकेले