डीएनए हिंदी: बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर प्रेम चोपड़ा (Prem Chopra) किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वो बॉलीवुड के फेमस विलेन में से एक रहे हैं. हिंदी सिनेमा के इस खलनायक ने अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में अलग जगह बना ली है. दिग्गज एक्टर के लिए ये राह आसान नहीं थी. वैसे तो वो फिल्मों में हीरो बन गए थे, लेकिन कुछ समय बाद बॉलीवुड के यादगार विलेन बन गए. फिल्मों में उनके डायलॉग्स भी काफी मशहूर रहे हैं. उनका फिल्मी करियर काफी शानदार रहा. उन्होंने लगभग 380 फिल्मों में काम कर अपनी एक्टिंग से दर्शकों के बीच पहचान बनाई है.
23 सितम्बर,1935 को लाहौर में जन्मे प्रेम चोपड़ा साल 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन (India-Pakistan Partition) के बाद अपने परिवार के साथ शिमला आ गए थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई शिमला में ही हुई थी. इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी (Panjab University) से आगे की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान प्रेम का झुकाव एक्टिंग की तरफ हुआ और वो कॉलेज में होने वाले प्ले में हिस्सा लेने लगे. पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना सपना पूरा करने के लिए प्रेम मुंबई आ गए पर फिल्मी दुनिया में कदम रखना आसान नहीं था.
फिल्मों में संघर्ष के साथ-साथ प्रेम चोपड़ा एक नामी अखबार में काम करने लगे. पहला मौका उन्हें साल 1960 में आई फिल्म मुड़-मुड़के ना देख में मिला. इसमें भारत भूषण हीरो थे. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई. इसके बाद प्रेम को पंजाबी फिल्म 'चौधरी कर्नल सिंह' में काम करने का मौका मिला. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही. इसके बाद प्रेम चोपड़ा की फिल्म 'वो कौन थी' आई जिसमें वो खलनायक की भूमिका में नजर आए थे.
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प्रेम चोपड़ा ने राज कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म बॉबी में डायलॉग बोलता था- 'प्रेम नाम है मेरा, मेरा चोपड़ा'. उनके इस डायलॉग ने उन्हें रातों-रात मशहूर कर दिया था. प्रेम चोपड़ा ने शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, दो रास्ते, कटी पतंग, दो अनजाने, जादू टोना, काला सोना, दोस्ताना, क्रांति, फूल बने अंगारे जैसी फिल्मों में काम किया है, जिनके लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे.
प्रेम को देख पत्नियों को छुपा लेते थे लोग
86 साल के हो चुके प्रेम चोपड़ा ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्हें देखते ही लोग अपनी पत्नियों को छुपा लिया करते थे. एक इंटरव्यू में प्रेम ने कहा था, 'जी हां, लोग मुझे देखते ही अपनी पत्नियों को छुपा लेते थे. मैं अक्सर उनके पास जाता था और बात करता था तो वो यह देखकर अचंभे में रह जाते थे कि रियल लाइफ में मैं भी उनके जैसा ही इंसान हूं. लोग मुझे असल में खूंखार विलेन समझते थे, लेकिन मैं इसे कॉम्प्लीमेंट की तरह लेता था और सोचता था कि मैं अपना काम अच्छे से कर रहा हूं.'
प्रेम चोपड़ा के आइकॉनिक डायलॉग
- फिल्म बॉबी- 'प्रेम नाम है मेरा…प्रेम चोपड़ा'
- फिल्म सौतन- 'जिनके घर शीशे के बने होते हैं… वो बत्ती बुझाकर कपड़े बदलते हैं.'
- फिल्म खिलाड़ी- 'राजनीति की भैंस के लिए दौलत की लाठी की जरूरत होती है.'
- फिल्म सौतन- 'मैं वो बला हूं, जो शीशे से पत्थर को तोड़ता हूं'
- फिल्म कटी पतंग- 'मैं जो आग लगाता हूं उसे बुझाना भी जानता हूं'
- फिल्म आग का गोला- 'शराफत और ईमानदारी का सर्टिफिकेट ये दुनिया सिर्फ उन्हें देती है जिनके पास दौलत होती है.'
- फिल्म राजा बाबू- 'कर भला हो तो भला'
प्रेम काफी समय से फिल्मों से दूर हैं. वो आखिरी बार साल 2019 में आई वेब सीरीज लाइन ऑफ डिसेंट में नजर आए थे.
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Prem Chopra यूं बने थे हिंदी फिल्मों के विलेन, पाकिस्तान से है खास कनेक्शन