डीएनए हिंदी: स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आज पहली पुण्यतिथि है. 6 फरवरी, 2022 को आज ही के दिन उनका निधन हो गया था. वह कोरोना से संक्रमित थीं जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, फिर भारत ने एक अनमोल रत्न खो दिया. लता मंगेशकर को गए एक साल गुजर गया है लेकिन उनकी यादें आज भी उन्हें चाहने वालो के दिलों में पहले जैसी ही ताजा हैं. दिवंगत सिंगर की पहली पुण्यतिथी पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातों के बारे में साथ ही सुनेंगे उनके कुछ एवरग्रीन सॉन्ग-
लता मंगेशकर ने अपने करियर में 36 भाषाओं में तकरीबन 50,000 से ज्यादा गाने गाए थे. उनकी आवाज लोगों के दिलों को छू जाया करती थी लेकिन क्या आप जानते हैं कि लता मंगेशकर खुद लता मंगेशकर नहीं बनना चाहती थीं?
दरअसल, एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर से पूछा गया था कि क्या वे अगले जन्म में भी लता मंगेशकर ही बनना पसंद करेगीं? इस सवाल का जवाब ना में देते हुए स्वर कोकिला ने कहा था, 'मैं फिर कभी लता मंगेशकर नहीं बनना चाहूंगी. लोगों ने बस लता की शोहरत देखी है लेकिन जो तकलीफें हैं, वो बस मैं ही जानती हूं.'
बता दें कि दिवंगत सिंगर ने अपने बचपन से लेकर आखिरी सांस तक कई दुख झेले हैं. लता बेहद छोटी थीं जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. वहीं, 4 छोटे भाई-बहनों मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ में सबसे बड़ी होने के चलते घर की सारी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर आ गई. तब पैसे बचाने के वे खूब संघर्ष किया करती थीं. मीलों तक चलकर स्टूडियो जाना, ताकि बचे हुए पैसों से दो वक्त का खाना मिल सके, ऐसे ना जानें कितने किस्से हैं जो उनके मुश्किलों भरे दिन की याद दिलाते हैं.
इतनी थी पहली फीस
लता मंगेशकर की पहली कमाई 25 रुपए थी. उन्होंने 13 साल की उम्र में फिल्म पहिली मंगलागौर से डेब्यू किया था. वहीं, संगीत से अलग बात करें तो लगा मंगेशकर को खाना बनाने का भी बहुत शौक था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लता दीदी चिकन और हलवा बहुत अच्छा बनाती थीं. इसके अलावा वे खुद भी खाने-पीने की बहुत शौकीन थीं. सी फूड और गोवा की फिश उन्हें बहुत पसंद थी. वहीं, मीठे में वे केसर की जलेबी खाना पसंद करती थीं.
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Lata Mangeshkar: 'अगले जन्म में लता मंगेशकर नहीं बनना चाहूंगी', जब स्वर कोकिला का छलका था दर्द