डीएनए हिंदी: दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) की आने वाली फिल्म चमकिला (Chamkila) का फर्स्ट लुक आउट हो गया है. इस फिल्म में दिलजीत की झलक देख उनके फैंस हैरान रह गए हैं. इस शॉर्ट टीजर में सिंगर पहली बार बिना पगड़ी के नजर आ रहे हैं. दिलजीत इम्तियाज अली की इस फिल्म में दिलजीत पंजाब के सबसे ज्यादा रिकॉर्ड बेचने वाले सिंगर अमर सिंह चमकिला का रोल निभाएंगे. ऐसे में इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है और लोग इस सिंगर के बारे में जानने के लिए काफी एक्साइडेट हैं.
दिलजीत दोसांझ की ये अपकमिंग फिल्म एक म्यूजिकल बायोपिक होने वाली है. इसमें वो अमर सिंह चमकिला का रोल निभाएंगे. इम्तियाज अली के निर्देशन में बनी ये फिल्म चमकिला की कहानी को बताएगी जो एक समय पंजाब में सबसे ज्यादा बिकने वाले संगीतकार थे. वो पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में सबसे महान और सबसे प्रभावशाली कलाकारों में से एक थे पर उनकी 27 साल की उम्र में हत्या कर दी गई थी.
पंजाब में सेट इस फिल्म में दिलजीत के अलावा परिणीति चोपड़ा उनकी पार्टनर अमरजोत कौर का रोल निभाने वाली हैं. इस फिल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे 1988 में चमकिला अपने बैंड के दो सदस्यों के साथ मारे गए थे. आज कर उनकी मौत की कहानी अनसुलझी बनी हुई है.
चमकिला बनना चाहते थे इलेक्ट्रीशियन
जुलाई 1960 में धनी राम के रूप में जन्मे चमकिला लुधियाना के पास दुगरी गांव में जन्मे थे. वो करतार कौर और हरि सिंह संडीला के सबसे छोटे बेटे थे. स्थानीय स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद धनी राम ने इलेक्ट्रीशियन बनना चाहते थे पर उन्हें लुधियाना में एक कपड़ा मिल में काम करने को मजबूर होना पड़ा. हालांकि संगीत में उनका करियर टीन में ही शुरू हो गया था.
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यूं बने धनी राम से अमर सिंह चमकिला
धनी राम ने 1970 के दशक के अंत में मंच नाम अमर सिंह चमकिला अपनाया था. सिंगर सुरिंदर सोनिया के साथ साझेदारी करते हुए, उन्होंने उनके साथ आठ गाने लिखे और गाए, जो 1980 में ताकुए ते तकुआ नामक एक एल्बम के रूप में रिलीज किए गए थे. ये एल्बम एक बड़ी सफलता थी और चमकिला को रातोंरात स्टार बना दिया.
1980 के दशक में बीच में उनका परिचय सिंगर अमरजोत कौर से हुआ, जो उनकी सिंगिंग पार्टनर और बाद में उनकी पत्नी बनी गईं. 1980 के दशक के अंत तक, चमकिला को पंजाब में सबसे सफल गायक माना जाता था, जो अक्सर एक महीने में 30 से ज्यादा स्टेज शो करते थे. वो राज्य के ग्रामीण इलाकों में काफी फेमस थे.
इस तरह से हुई थी दर्दनाक मौत
8 मार्च 1988 को चमकिला और अमरजोत को मेहसमपुर में परफॉर्म करना था. दोपहर करीब 2 बजे जब वो इवेंट पर जाने के लिए अपनी गाड़ी से निकले तो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. दोनों इस दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए और काफिले के अन्य सदस्य भी घायल हो गए. बाद में जांच में आतंकवादियों के कथित रूप से शामिल होने की ओर इशारा किया गया, लेकिन इस मामले में कभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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