भारत के पसंदीदा बिजनेस रियलिटी शो शार्क टैंक इंडिया ने श्रीकांत बोला को अपना नया जज बनाया है. दृष्टिहीन होने के बावजूद श्रीकांत बोला ने अपने जीवन में जो मुकाम हासिल किया है वैसी जिंदगी जीने का लाखों लोग सपना देखते हैं. उनकी लोकप्रियता और प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बॉलीवुड की एक फिल्म 'श्रीकांत' भी उनकी जिंदगी पर बन चुकी है जिसमें उनका किरदार एक्टर राजकुमार राव ने निभाया था. आज हम आपको इन नए शार्क की पढ़ाई-लिखाई और करियर के बारे में सबकुछ बताने वाले हैं.
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कौन हैं श्रीकांत बोला
श्रीकांत बोला एक भारतीय उद्योगपति हैं जो बोलैंट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ, को-फाउंडर और चेयरमैन हैं. वह अमेरिकी की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के स्लोअन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में मैनेजमेंट साइंस की पढ़ाई करने वाले पहले दृष्टिबाधित स्टूडेंट्स हैं. उनकी कंपनी बोलैंट में फिलहाल 500 कर्मचारी काम करते हैं और इसका कारोबार 150 मिलियन अमरीकी डॉलर से ज्यादा है.
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शुरुआती जीवन
7 जुलाई 1991 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के सीतारामपुरम में जन्मे श्रीकांत बोला एक तेलुगु परिवार से आते हैं. उनके माता-पिता बिलकुल भी पढ़े-लिखे नहीं थे और पेशे से किसान थे. दृष्टिहीन पैदा होने की वजह से उन्होंने पढ़ाई करने में काफी संघर्ष करना पड़ा. लेकिन बचपन से ही वह कुशाग्र बुद्धि के थे. मैट्रिकुलेशन परीक्षाओं में वह आंध्र प्रदेश के टॉप स्कोरर में से एक थे लेकिन साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करने के लिए उन्हें लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी क्योंकि उस समय सरकारी नियमों के अनुसार दृष्टिहीन स्टूडेंट्स को इस स्ट्रीम में दाखिला लेने की इजाजत नहीं थी. 12वीं के बोर्ड में 98 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी आईआईटी सहित कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने बोला को एडमिशन देने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका कहना था कि वह एक दृष्टिहीन स्टूडेंटस की पढ़ाई करवाने में सक्षम नहीं हैं.
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इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड, बर्कले और कार्नेगी मेलन सहित कई विदेशी यूनिवर्सिटी में आवेदन किया और आखिरकार एमआईटी में दाखिला लेने का फैसला लिया. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर दृष्टिबाधित क्रिकेट, अंतर्राष्ट्रीय शतरंज, बेसबॉल और तैराकी जैसी कई खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है. एमआईटी में अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने अपने जैसे दृष्टिबाधित स्टूडेंट्स के लिए एक कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया.
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श्रीकांत बोला की उपलब्धियां
साल 2005 में श्रीकांत बोला लीड इंडिया 2020: द सेकेंड नेशनल यूथ मूवमेंट के सदस्य बन गए जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का शुरू किया गया एक आंदोलन था. साल 2011 में उन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए समन्वय सेंटर की सह-स्थापना भी की जहां उन्होंने ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की. अप्रैल 2017 में बोला फोर्ब्स मैग्जीन की एशिया भर में 30 अंडर 30 में शामिल होने वाले तीन भारतीयों में से एक थे.
करियर
श्रीकांत बोला ने 2012 में रवि मंथा के साथ बोलैंट इंडस्ट्रीज की शुरुआत की जिसे रतन टाटा ने फंड दिया था. यह कंपनी दिव्यांग लोगों को रोजगार देती है और क्राफ्ट पेपर बनाने के लिए नगर निगम के कचरे या गंदे कागज का इस्तेमाल करती है और कचरे को उपयोगी प्रोडक्ट में बदलती है. आज उनकी कहानी लाखों लोगों को प्रेरित करती है.
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Srikanth Bolla
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