निपुण अग्रवाल वर्तमान में लखनऊ में पुलिस उपायुक्त के पद पर कार्यरत हैं. उनका करियर कई मील के पत्थर और उपलब्धियों से भरा रहा है. स्कूल छोड़ने से लेकर आईपीएस अधिकारी बनने तक का उनका सफर उनकी दृढ़ता और समर्पण का प्रमाण है. हालांकि आईपीएस बनने का उनका सफर आसान नहीं था लेकिन आज वह व्यक्तिगत कठिनाइयों और पेशेवर चुनौतियों को पार करते हुए सफलता और बहादुरी का प्रतीक बन चुके हैं.
यह भी पढ़ें- भारत के वो प्रेसिडेंट जिन्होंने राष्ट्रपति भवन में रहने से कर दिया था इनकार, आते ही बंद करवा दिए 330 कमरे
छोटी उम्र में ही करना पड़ा परेशानियों का सामना
6 नवंबर 1985 को अलीगंज लखनऊ में जन्मे निपुण को छोटी उम्र से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. जब वह अपनी कक्षा 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, तब उनकी मां को कैंसर का पता चला, जिसके कारण उन्हें अपनी मां की देखभाल के लिए पढ़ाई से ब्रेक लेना पड़ा. जब उन्हें लगा कि शायद हालात सुधर सकते हैं, तभी उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा और उनके परिवार को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. फिर भी इन व्यक्तिगत त्रासदियों के बावजूद निपुण के माता-पिता ने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया. उनमें यह विश्वास जगाया कि वह अपने आईआरएस अधिकारी दादा के नक्शेकदम पर चल सकते हैं.
यह भी पढ़ें- बचपन से पढ़ाई में फिसड्डी थे ये 5 IAS-IPS अधिकारी, फिर UPSC क्रैक कर रच दिया
कंप्यूटर साइंस से कर चुके हैं बीटेक
अपनी 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद अग्रवाल ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के लिए नोएडा के जेपी कॉलेज में दाखिला लिया. इस दौरान उनकी मां की मृत्यु हो गई. उन्होंने साल 2009 में बीटेक पूरा किया उन्हें टीसीएस से अच्छे पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला. उनका सपना हमेशा एक आईपीएस अधिकारी बनने का था तो उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए इस ऑफर को ठुकरा दिया.
निपुण अग्रवाल का आईपीएस बनने का सफर चुनौतियों से भरा रहा. उन्होंने 2016 में सफलता पाने से पहले कई बार यूपीएससी परीक्षा दी और अपने छठे प्रयास में जाकर 197वीं रैंक हासिल की. उनकी लगन और कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्हें 2017 बैच में आईपीएस अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया. अपने पूरे करियर के दौरान अग्रवाल ने गाजियाबाद में एसपी सिटी और अयोध्या में एएसपी के रूप में सेवा देने सहित कई खास पदों पर काम किया है. अयोध्या में उन्हें 2020 में ऐतिहासिक राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई थी. 2019 में बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद तनावपूर्ण समय के दौरान उनके नेतृत्व कौशल में क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित हो सकी.
यह भी पढ़ें- IIT से वेदांत तक का सफर... क्यों आचार्य जयशंकर नारायणन ने मोटी सैलरी वाली जॉब की बजाय चुना आध्यात्म का रास्ता?
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की उपाधि
न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की उपाधि दिलाई. 2022 में गाजियाबाद में एसपी सिटी के रूप में निपुण अग्रवाल ने कुख्यात अपराधी राकेश दुजाना को खत्म कर दिया जिसके सिर पर 50,000 रुपये का इनाम था. उन्होंने एक महिला की हत्या के मामले को सुलझाने और माफिया सरगना लक्ष्य तंवर को गैंगस्टर एक्ट के तहत जेल भेजने और 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
अपनी असाधारण सेवा और बहादुरी के कारण निपुण अग्रवाल को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उनकी कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो साबित करती है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और लचीलापन सबसे कठिन परिस्थितियों को भी सफलता की सीढ़ी में बदल सकता है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments

IPS Nipun Agarwal
पढ़ाई छोड़ने से लेकर 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' तक, प्रेरणा से भरा हुआ है इस IPS अधिकारी का सफर