इस साल फिर से एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी आरोपों के कटघरे में खड़ा है. दो उम्मीदवारों ने जेईई (मेन्स) 2025 के अपने रिजल्ट नें गड़बड़ियों का दावा किया है. इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने जेईई (मेन्स) 2025 के स्कोरकार्ड में कथित हेरफेर की फोरेंसिक जांच और सीबीआई जांच का निर्देश दिया है. 14 मई को सुनवाई के दौरान जस्टिस विकास महाजन ने आदेश दिया कि मामले को सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) और सीबीआई को भेजा जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा, 'दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सच्चाई का पता लगाने के लिए मामले को विशेषज्ञों को सौंपना जरूरी है.' अगली सुनवाई 23 मई को होनी है. उम्मीदवारों को सीएफएसएल वेरिफिकेशन के लिए न्यायालय रजिस्ट्री को रजिस्टर्ड ईमेल आईडी मुहैया करनी होगी. सीएफएसएल निदेशक से अनुरोध किया गया है कि वे जांच में तेजी लाएं और 22 मई तक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत करें क्योंकि जेईई (एडवांस्ड) 2025 के परिणाम 2 जून को घोषित किए जाएंगे. कोर्ट ने सीएफएसएल को जांच के दौरान किसी भी रिपोर्ट का खुलासा करने से रोक दिया और ऐसी सूचना को अत्यंत संवेदनशील बताया.
मार्क्स की हेराफेरी का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि परीक्षा के पहले सत्र के मूल स्कोरकार्ड(जो पहले एनटीए की वेबसाइट पर उपलब्ध थे) को रिवाइज्ड वर्जन के साथ बदल दिया गया जिसमें गलत मार्क्स दिखाए गए. एक याचिकाकर्ता ने कहा कि मूल पर्सेंटाइल ने उसे जेईई (एडवांस्ड) के लिए योग्य बना दिया है और उसने राहत का अनुरोध किया. कोर्ट ने कहा कि सीएफएसएल सहायता या जानकारी के लिए याचिकाकर्ताओं से संपर्क कर सकता है.
वहीं एनटीए के अनुसार इसमें कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है और पूरी प्रक्रिया राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र प्रबंधित करता है. न्यायमूर्ति महाजन ने एक उम्मीदवार को जेईई (एडवांस्ड) के लिए रजिस्ट्रेशन की अनुमति देते हुए निर्देश दिया कि आवेदन पर कार्रवाई की जाए. हालांकि रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 2 मई को बीत चुकी थी.
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