तथागत अवतार तुलसी जिन्हें कभी एक प्रतिभाशाली बच्चे के रूप में पहचाना जाता था, आज बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. 9 सितंबर 1987 को बिहार में जन्मे तुलसी ने 9 साल की उम्र में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर ली थी. 11 साल की उम्र में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त करके इतिहास रच दिया और 12 साल की उम्र में उन्होंने उसी कॉलेज से एमएससी की भी डिग्री हासिल की. अपनी शैक्षणिक यात्रा को आगे बढ़ाते हुए तुलसी ने बैंगलोर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज में पीएचडी की और 21 साल की छोटी उम्र में पीएचडी पूरा करने की भी उपलब्धि हासिल कर ली.
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साल 2010 में बने थे IIT बॉम्बे के असिस्टेंट प्रोफेसर
साल 2010 में तुलसी को आईआईटी बॉम्बे में कॉन्ट्रैक्ट पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पढ़ाने की पेशकश की गई थी लेकिन साल 2019 में उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिनकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी. तुलसी के अनुसार बीमारी के कारण लंबी छुट्टी के बाद आईआईटी बॉम्बे के प्रशासन ने असिस्टेंट प्रोफेसर की उनकी सेवाएं समाप्त कर दी.
इस बीमारी की वजह से नौकरी से धोना पड़ा हाथ
तुलसी की स्वास्थ्य समस्याएं साल 2011 में शुरू हुई थी. सबसे पहले उन्हें तेज़ बुखार हुआ और बाद में उन्हें पता चला कि उन्हें एलर्जी है. आईआईटी बॉम्बे से चार साल की छुट्टी लेकर वे 2013 में पटना चले गए, जहाँ वे तब से रह रहे हैं. दुर्भाग्य से साल 2019 में उन्हें आधिकारिक तौर पर उनके पद से सस्पेंड कर दिया गया. वर्तमान में बेरोज़गार तुलसी कानून की पढ़ाई में जुटे हुए हैं.
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इस सब्जेक्ट पर की थी पीएचडी
जब 17 साल की उम्र में उन्होंने पीएचडी करने के लिए आवेदन किया तो IISc के तत्कालीन फिजिक्स डिपार्टमेंट के डीन ने उनकी जमकर तारीफ की. तुलसी की पीएचडी थिसिस का विषय 'Generalizations of the Quantum Search Algorithm' था. इसके अलाला उन्होंने Lov Grover के साथ मिलकर 'A New Algorithm for Fixed-point Quantum Search' नाम से एक मैनुस्क्रिप्ट भी लिखा. हालांकि उनका यह रिसर्च कभी पब्लिश नहीं हो पाया.
एक समय एशिया के सबसे प्रतिभाशाली बच्चों में से एक माने जाने वाले तुलसी को साइंस ने 'सुपरटीन', द टाइम्स ने 'फिजिक्स प्रोडिजी' और 'द वीक' ने 'मास्टर माइंड' जैसे कई उपनाम भी दिए थे.
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वह जीनियस जो 22 की उम्र में बन गया IIT प्रोफेसर, इस वजह से आज है बेरोजगार