'जब मैं मंच पर गया, तो राज्यपाल ने मुझसे पूछा कि इस उम्र में गोल्ड मेडल और डिग्री कैसे प्राप्त की? मैंने उनसे कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया, मैं अपने मृत बेटे, नकीब्राजा की ओर से यह गोल्ड मेडल और डिग्री प्राप्त करने आया हूं.' यह भावुक बयान है इम्तियाज शेख का, जो वलसाड जिले के एक छोटे से वड़ा पाव विक्रेता हैं. 23 वर्षीय नकीब्राजा की सड़क दुर्घटना में अचानक मृत्यु हो गई, लेकिन उनका सपना और कड़ी मेहनत अब भी उनके पिता के दिल में जीवित हैं.
सपना अधूरा रह गया
नकीब्राजा ने अपनी मेहनत से वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (VNSGU) में बीएससी (फिजिक्स) की पढ़ाई पूरी की और गोल्ड मेडल प्राप्त किया. उनका सपना था कि वे फिजिक्स में पीएचडी करें, लेकिन नियति ने उन्हें एक अलग रास्ते पर भेज दिया. 15 सितंबर 2024 को एक सड़क दुर्घटना में नकीब्राजा का निधन हो गया, जब वह अपनी स्कूटी पर घर लौट रहे थे और एक बस ने उन्हें कुचल दिया. जिसके कारण उनका यह सपना अधूरा रह गया, लेकिन उनके पिता ने उनका सपना पूरा करने का निर्णय लिया.
गोल्ड मेडल प्राप्ति पर गर्व
VNSGU के 56वें दीक्षांत समारोह में, जब इम्तियाज शेख अपने बेटे की डिग्री और गोल्ड मेडल प्राप्त करने के लिए मंच पर चढ़े, तो उनका दिल गर्व से भरा हुआ था. राज्यपाल के सामने जब उन्होंने कहा कि वे यह सम्मान अपने बेटे की ओर से ले रहे हैं, तो वहां मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू थे. इंडियन एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इम्तियाज कहते हैं, अब मुझे गर्व है कि लोग मुझे नकीब्राजा के पिता के रूप में पहचानते हैं. मैं अब अपने गांव में सम्मानित महसूस करता हूं.
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इम्तियाज का संघर्ष और गर्व
दरअसल, इम्तियाज पहले केवल वड़ा पाव बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे, आज अपने बेटे की सफलता पर गर्व महसूस करते हैं. उनका कहना है, 'पहले मुझे कोई नहीं जानता था, लेकिन अब मेरे गांव के लोग मुझे सम्मान देते हैं और अपने बच्चों को मेरे बेटे की तरह बनने की प्रेरणा देते हैं.
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