डीएनए हिंदी. साहित्यकार और राज्यसभा सांसद महुआ माजी इन दिनों काफी व्यस्त हैं. एक तरफ राजनीतिक गतिविधियां जारी हैं तो दूसरी तरफ अपने तीसरे उपन्यास को फाइनल रूप देने में जुटी हैं. फोन पर अनुराग अन्वेषी से हुई लंबी बातचीत में उन्होंने अपनी रचना प्रक्रिया की तो चर्चा की ही, अपने नए उपन्यास के बारे में भी बताया. 

महुआ माजी कहती हैं कि उनका पहला उपन्यास 'मैं बोरिशाइल्ला' बांग्ला देश के ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर रचा गया है. इसमें बांग्लादेशियों पर पाकिस्तानी हुकूमत के अत्याचार की घटनाएं तो हैं ही, मुक्तिवाहिनी की संघर्ष गाथा भी है. इसी तरह 'मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ' उपन्यास आदिवासी जीवन पर तो है ही, इसमें विकिरण की समस्या पर भी निगाह है.

यह पूछे जाने पर कि पहला उपन्यास 2006 में आया और दूसरा उपन्यास छह वर्ष बाद 2012 में आया. इस तीसरे उपन्यास के आने में इतना वक्त क्यों लग रहा - महुआ कहती हैं 'मेरे पहले उपन्यास को लोगों ने पसंद किया. मेरे उपन्यास बोरिशाइल्ला का विषय कोई नया नहीं है, वही बांग्लादेश की स्थितियां हैं, जिसे लोग पहले से जानते थे. लेकिन उसी बात को कहने का अंदाज बोरिशाइल्ला में नया रहा. नतीजतन लोगों ने उसे पसंद किया. इसी तरह आदिवासी जीवन के प्लॉट पर लिखा गया उपन्यास 'मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ' भी पाठकों को रास आया. मुझे लगता है कि लेखक के पास दो चुनौतियां होती हैं, एक तो यह कि वह किसी की कॉपी न करे और दूसरा कि वह खुद की भी कॉपी न करे. तो बतौर लेखक मेरी भी जिम्मेवारी होती है कि अपने पाठकों को दोहराव से बचाऊं. एक बात यह भी है कि किसी विषय को, किसी कहानी को पकने में वक्त लगता है....' 

लेकिन इस बार वक्त कुछ ज्यादा लग रहा, कहीं ऐसा तो नहीं कि राजनीति में सक्रिय हो जाने की वजह से सांसद महुआ माजी तो मुखर दिखती हैं लेकिन साहित्यकार महुआ माजी कहीं नेपथ्य में चली गई हैं. 

महुआ माजी ने इस बात से इनकार करते हुए कहा 'राजनीति में आने के बाद भी मैंने अपने नए उपन्यास पर काम जारी रखा. यह उपन्यास मेरे भीतर लगातार बहता रहा है, मैं कभी इससे मुक्त नहीं हो पाई. जब भी वक्त मिला इसके ड्राफ्ट को देखती रही, कुछ नया जोड़ती रही. इसका भी विषय बहुत महत्त्वपूर्ण है. मेरे पहले के दोनों उपन्यास सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रहे हैं और उसके नायक पुरुष रहे हैं. इस बार मैंने स्त्री समस्याओं पर काम करना शुरू किया. रिसर्च किए, आकड़े जुटाए. उपन्यास भी शुरू किया. इस बीच राज्य महिला आयोग की जिम्मेवारी मिली. यहां काम करने के दौरान कई नए तरह के अनुभव मिले. पारिवारिक रिश्तों को, सामाजिक संबंधों को, स्त्रियों की समस्याओं को, उनके नजरिए को जानने-समझने की दृष्टि और परिपक्व हुई, अनुभव का दायरा बड़ा हुआ.

क्या यह उपन्यास स्थान विशेष की स्त्री समस्या पर केंद्रित है - यह पूछे जाने पर महुआ जी ने बताया कि नहीं, यह भारतीय परिवेश की स्त्रियों की मनोदशा, उनकी समस्याओं पर केंद्रित है. कब तक पाठकों के बीच आ जाने के सवाल पर कहती हैं कि उम्मीद करनी चाहिए कि नए साल में यह उपन्यास लोगों के बीच आ जाएगा. उन्होंने जोड़ा 'इनफैक्ट, यह उपन्यास प्रकाशक के पास है, वे इसे छापने को तैयार बैठे हैं, पर मैं ही उन्हें रोक रही हूं क्योंकि इसमें मुझे दो-तीन अध्याय और जोड़ने की दरकार लग रही है. अभी तो पर्व-त्योहारों का सिलसिला शुरू हो गया है. इसके बाद शीतकालीन सत्र शुरू हो जाएगा. इन व्यस्तताओं से समय निकाल कर जल्द ही इस उपन्यास में कुछ हिस्से जोड़कर फाइनल कर लूंगी और तब यह पाठकों के बीच जल्द आ जाएगा.' 

Url Title
third novel of rajya sabha mp and litterateur mahua maji will be published soon
Short Title
राज्यसभा सांसद और साहित्यकार महुआ माजी ने बताया- जल्द आएगा मेरा तीसरा उपन्यास
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
सांसद और साहित्यकार महुआ माजी का तीसरा उपन्यास जल्द होगा प्रकाशित.
Caption

सांसद और साहित्यकार महुआ माजी का तीसरा उपन्यास जल्द होगा प्रकाशित.

Date updated
Date published
Home Title

राज्यसभा सांसद और साहित्यकार महुआ माजी ने कहा- आनेवाला है मेरा तीसरा उपन्यास

Word Count
591