जीवन और समाज को समझने के लिए किताबों से दोस्ती जरूरी है. इन दिनों कई किताबें चर्चा में हैं. 'विपश्यना में प्रेम', 'बोलना ही है', 'आखिरी आवाज', 'मां, मन और माटी' और 'वीराना जिंदा होता है' - ऐसी ही कुछ किताबें हैं जिन्हें आपको जल्द से जल्द पढ़ लेना चाहिए.
इन किताबों के लेखक, प्रकाशक और थीम के बारे में एक छोटी सी जानकारी हम आपके साथ साझा कर रहे हैं, ताकि आप तय कर सकें कि इन्हें कितनी जल्दी मंगवाना है.

विपश्यना में प्रेम


किताब - विपश्यना में प्रेम (​उपन्यास) 
उपन्यासकार - दयानंद पांडेय 
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन
मूल्य - 499 

विपश्यना में प्रेम उपन्यास में कथावस्तु के साथ दो महत्त्वपूर्ण अवयवों - भाषा और शैली - की परख की जा सकती है. कथा के विस्तार में अन्योक्ति नहीं है और शैली के स्तर पर सामासिक अभिव्यक्ति है. आलंकारिक सौंदर्य की शाब्दिक उपमाएं हैं. ये दोनों बाते इस किताब को बेहद खास बनाती हैं. 

bolana hi hai

किताब - बोलना ही है (समाजशास्त्र/राजनीति)
लेखक - रवीश कुमार 
प्रकाशक -  राजकमल प्रकाशन
मूल्य - 269 

रवीश कुमार अपनी इस किताब में अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता की बात करते हैं. अपनी टिप्पणियों में वे बताते हैं कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है. परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे लोगों के बीच कम होती गई है. इस किताब की टिप्पणियां बताती हैं कि देश में नफरत और असहिष्णुता बढ़ी हैं. 

akhiri aawaz

किताब - आखिरी आवाज (उपन्यास) 
उपन्यासकार - रांगेय राघव 
प्रकाशक - राजपाल प्रकाशन
मूल्य - 395 

रांगेय राघव की लिखी 'आखिरी आवाज' हमारे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और घूसखोरी की कलई खोलती है. हालांकि इस पुस्तक का पहला प्रकाशन 1962 में हुआ था. लेकिन आज जब हम इस पुस्तक से बतौर पाठक जुड़ते हैं तो यह हमें बासी नहीं लगती. ऐसा लगता है कि रांगेय राघव तो आज के दौर की ही बात कर रहे हैं. इस पुस्तक की भाषा जबर्दस्त आकर्षक है. 

MAA, MAN AUR MATI

किताब - मां, मन और माटी (कविता संग्रह)
कवि - सतीश कुमार 
प्रकाशक - सेतु प्रकाशन 
मूल्य - 213 

किताब में लेखक ने उन भावों को कविताओं में पिरोया है जो हैं तो बहुत साधारण मगर जो हमारे जीवन में गहरी छाप छोड़ते हैं. लेखक ने अपने आसपास की घटनाओं को जैसे कविताओं में पिरोया वो काबिल-ए-गौर है.

Veerana zinda hota hai


किताब - वीराना जिन्दा होता है (गजल संग्रह) 
रचनाकार - सुरेन्द्र चतुर्वेदी 
प्रकाशक - अभिनव प्रकाशन 
मूल्य - 120 

अपने नाम के ठीक उलट वीराना जिंदा होता है एक ऐसी किताब है, जिसमें कविताओं, शेर शायरी के जरिए उस अकेलेपन पर बात की गई है, जिसका सामना हममें से अधिकांश लोग अक्सर ही अपने जीवन में करते हैं. 

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five important and best books of recent times
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Best Five Books: मन-बुद्धि की Tonic हैं ये 5 किताबें, जल्द से जल्द पढ़ डालें
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मन खुश कर देंगी ये किताबें.
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मन खुश कर देंगी ये किताबें.

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Best Five Books: मन-बुद्धि की Tonic हैं ये 5 किताबें, जल्द से जल्द पढ़ डालें

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