डीएनए हिंदी. जोड़ियां तो आसमान में बनती हैं से लेकर रब ने बना दी जोड़ी तक, शादी के बंधन को भारत में कई तरह की रस्मों और कसमों से जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में कहीं अगर आप रस्मों और कसमों से अलग बेहद सरल और सहज अंदाज में शादी करना चाहते हैं तो कोर्ट मैरिज आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है. 

कई लोग जो कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं उन्हें इससे जुड़ी सही और पूरी जानकारी नहीं होती है. अगर आप भी कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं तो इस पूरी प्रक्रिया को समझना जरूरी है. इस बारे में हमने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहीं वकील अनमोल शर्मा से बातचीत की और उन सभी सवालों के जवाब ढूंढे जो कोर्ट मैरिज के बारे में आपके मन में आ सकते हैं-

क्या आप कोर्ट मैरिज करने के योग्य हैं?
-कोर्ट मैरिज के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी जरूरी है.  
-दोनों में कोई भी किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए.
-शादी के लिए दोनों की पूरी रजामंदी होनी चाहिए.
-लड़का या लड़की में से कोई भी पहले से शादीशुदा नहीं होना चाहिए. 

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किन डॉक्यूमेंट्स की होती है जरूरत?
1. एक एप्लीकेशन फॉर्म जिसे लड़का और लड़की दोनों ने साइन किया हो
2. दोनों के बर्थ सर्टिफिकेट्स
3. दोनों के रेजिडेंशियल प्रूफ
4. दोनों की दो पासपोर्ट साइज फोटो
5. रजिस्टरार ऑफिस में एप्लीकेशन भरते वक्त दी गई फीस की स्लिप
6. दोनों के पैन कार्ड
7. दोनों के आधार कार्ड
8. यदि कोई पहले से शादीशुदा रहा हो, तो उसका डायवोर्स ऑर्डर पेपर या पहले पति या पत्नी की मृत्यु हो चुकी हो तो उनका डेथ सर्टिफिकेट

कैसे होती है कोर्ट मैरिज
कोर्ट मैरिज स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत होती है. इसकी एक प्रक्रिया है. इसके लिए लड़का और लड़की दोनों को मैरिज रजिस्टरार ऑफिस जाकर एप्लाई करना होता है. ज्यादातर जगहों पर एसडीएम यानी सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट ही मैरिज रजिस्टरार की भूमिका निभाते हैं. इस तरह से कोर्ट मैरिज की ये प्रक्रिया एसडीएम कोर्ट में होती है. कुछ मामलों में डीसी ऑफिस में भी ये प्रक्रिया पूरी की जाती है. हर शहर या प्रदेश में इसका अलग विकल्प हो सकता है. 

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क्या होती है कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया
एक बार जब आप कोर्ट मैरिज के लिए एप्लीकेशन जमा कर देते हैं तो 30 दिन के लिए मैरिज रजिस्टरार ऑफिस में एक बोर्ड पर नोटिस लगा दिया जाता है. इस दौरान कोई भी इस शादी पर आपत्ति दर्ज कर सकता है. अगर ऐसा कोई ऑब्जेक्शन आता है तो मैरिज रजिस्टरार इसके सारे पहलूओं को वेरिफाई करता है. वेरिफिकेशन के आधार पर ही शादी करवाने या रोकने का फैसला किया जाता है.  ऑब्जेक्शन के कुछ आधार हो सकते हैं. मसलन कोई व्यक्ति दोबारा शादी करने वाला है, लेकिन उसने अपने तलाक की बात या पहले पार्टनर की मौत की बात साबित नहीं की है, तो वो शादी नहीं कर सकता.

इसमें अभिभावकों की मंजूरी ना होना ऑब्जेक्शन नहीं माना जाता है. 30 दिन का समय पूरा होने के बाद दुल्हा और दुल्हन मैरिज रजिस्टरार के ऑफिस में जाकर डिक्लेरेशेन फॉर्म साइन करते हैं. इसमें उनके साथ तीन विटनेस भी होने जरूरी हैं. डिक्लेरेशन फॉर्म में लड़का और लड़की की तरफ से शादी की रजामंदी शामिल होती है. इसके बाद मैरिज रजिस्टरार कोर्ट मैरिज के सर्टिफिकेट में मैरिज से जुड़ी सभी डिटेल्स डाल देता है. ये सर्टिफिकेट 15-30 दिन के अंदर मिल जाता है. 

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कोर्ट मैरिज की फीस
अलग-अलग प्रदेशों में कोर्ट मैरिज की फीस अलग-अलग होती है. आमतौर पर ये फीस 500 रुपये से एक हजार रुपये तक हो सकती है. कोर्ट मैरिज का एप्लीकेशन फॉर्म भरते वक्त आप उसमें फीस भी चेक कर लें. 

अगर अलग धर्म या जाति के हों लड़का लड़की
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के अनुसार एक वयस्क लड़का , एक वयस्क लड़की से शादी कर सकता है. इसमें उनका धर्म या जाति कोई बाधा नहीं बन सकती.  ये एक्ट एनआरआई लोगों के लिए भी काफी लाभदायक है. एनआरआई दुल्हा या दुल्हन के लिए डिप्लोमेट या काउंसलर ऑफिसर मैरिज रजिस्टरार की भूमिका निभाते हैं. कोर्ट मैरिज हिंदू मैरिज एक्ट के तहत दर्ज नहीं की जाती है. कोर्ट में की गई शादी को मान्य करने के लिए किसी तरह के फेरों या हिंदू रीति रिवाजों को फॉलो करने की जरूरत नहीं होती है. भारत में शादियां धर्म से जुड़े पर्सनल लॉ के आधार पर होती हैं या फिर स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत. 

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शादी सीजन 2022: अगर सिंपल तरीके से करनी है शादी तो Court Marriage है विकल्प, जान
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शादी सीजन 2022: अगर सिंपल तरीके से करनी है शादी तो Court Marriage है विकल्प, जानें क्या होती है पूरी प्रक्रिया