डीएनए हिंदी: चीन के बीजिंग शहर में शीतकालीन ओलंपिक (Beijing Winter Olympics 2022) का आगाज हो गया है. कोरोना काल के बीच हो रहा यह ओलंपिक कई कारणों के चलते चर्चा में बना हुआ है. इस बीच ओलंपिक के सिंबल को लेकर भी सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. लोगो के रिंग्स का अलग-अलग रंग चर्चा का विषय बन गया है.
गेम की भावना को बनाए रखना था मकसद
बता दें कि ओलंपिक सिंबल जिसे अब ओलंपिक रिंग्स कहा जाता है, को सबसे पहले पिअर डे कोबेर्टिन ने डिजाइन किया था. इसके पीछे गेम की भावना को बनाए रखने का मकसद था.
ओलंपिक चार्टर के रूल आठ के अनुसार, ओलंपिक सिंबल ओलंपिक मूवमेंट को दर्शाता है. इसमें ब्लू, येलो, ब्लैक, ग्रीन और रेड कलर के पांच रिंग्स मौजूद हैं जिनका साइज एक होता है. वहीं ज्यादातर लोगों को लगता है कि ओलंपिक सिंबल में मौजूद पांच रिंग्स पांच महाद्वीपों को रिप्रेसेंट करते हैं. इन महाद्वीपों के खिलाड़ी इस महाकुंभ में एक जगह जुटते हैं. हालांकि यह कहना कि हर एक रिंग अलग महाद्वीप को रिप्रेसेंट करता है, गलत होगा.
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दरअसल इस सिंबल को 1913 में बनाया गया था. उस समय झंडे के सफेद बैकग्राउंड के साथ इन 5 रंगों को मिलाकर सारे देशों के झंडे को एक कर दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसे बनाने वाले ने उस समय मौजूद हर झंडे के रंगों को इन पांच रंगों में बदल कर एकता के लिए इसे ऐसी शेप और कलर दिया था. यानी रिंग के पांच कलर हर देश को दर्शाते हैं. इनका किसी एक द्वीप से कोई लेना-देना नहीं है.
फिलहाल चीन के बीजिंग शहर में शीतकालीन ओलंपिक का आगाज शुरू हो गया है. दुनिया के कई देशों ने मानवाधिकार के हनन को लेकर इसका राजनयिक बहिष्कार किया है. सबसे पहले अमेरिका ने ऐसा करने की की घोषणा की थी. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, नीदरलैंड, भारत और न्यूजीलैंड ने भी इसका बहिष्कार कर दिया है.
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Olympic Games Beijing 2022: ओलंपिक रिंग्स का क्यों होता है अलग-अलग रंग? क्या है इनका मतलब?