अमेरिका की एक खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 11 देशों की सूची में शुमार है जहां जलवायु परिवर्तन बेहद खतरनाक स्तर पर है. लगातार हो रहा जलवायु परिवर्तन सेंट्रल अफ्रीकी देशों और छोटे आइलैंड स्टेट्स के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

अमेरिका की खुफिया एजेंसियों (Intelligence Agencies) का दावा है कि जलवायु परिवर्तन के लिए भारत अन्य 10 देशों के साथ बेहद संवेदनशील जगहों में शुमार है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देश खराब जलवायु परिवर्तन की स्थिति में संकट का सामना नहीं कर सकेंगे. जलवायु परिवर्तन का असर सामाजिक तौर भी इन देशों पर पड़ेगा.

रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ये देश ग्लोबल वॉर्मिंग का खामियाजा भुगतेंगे जिसमें तेज गर्म हवाओं की लहर, सूखा, पानी और बिजली की कमी जैसी स्थितियां सामने आएंगी. अनियमित और लगातार और तीव्र चक्रवातों की वजह से जल स्रोतों के दूषित होने की आशंका भी भविष्य में बढ़ेगी.

किन देशों पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव?

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अगर जलवायु परिवर्तन बिगड़ा तो भारत, अफगानिस्तान, ग्वाटेमाला, हैती, होंडुरास, इराक और पाकिस्तान में डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी आएगी. भारत के अलावा, अफगानिस्तान, ग्वाटेमाला, हैती, होंडुरास, इराक, पाकिस्तान, निकारागुआ, कोलंबिया, म्यांमार और उत्तर कोरिया जैसे देश जलवायु परिवर्तन के लिए चिंताग्रस्त देशों (Countries of Concern) की लिस्ट में शामिल हैं.

ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बढ़ेंगी चुनौतियां?

द ऑफिस ऑफ डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ODNI) ने अनुमान जताया है कि अगले 4 दशकों में ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ेगी और कई चुनौतियां दस्तक देंगी. अमेरीकी नेशनल सिक्योरिटी ने भविष्य के खतरों को लेकर आगाह किया है.

अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से मध्य अफ्रीका के देशों और प्रशांत महासागर के छोटे आइलैंड राज्यों में अस्थिरता के जोखिम में वृद्धि होने की आशंका है. यह दुनिया के दो सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक हैं. रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से निपटने में वैश्विक नजरिए में असामनता और असहमतियों का भी जिक्र किया गया है.

किन देशों पर पड़ा सबसे बुरा असर?

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो देश अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए जीवाश्म ईंधन के निर्यात (Fossil fuel export) निर्भर हैं वे जीरो-कार्बन वर्ल्ड का विरोध करेंगे क्योंकि ऐसे देशों की आर्थिक, राजनीतिक और भी राजनीतिक स्थितियां उन्हें विरोध करने के लिए बाध्य करती हैं.

पूरी दुनिया ने साल 2020-21 में जलवायु परिवर्तन का सबसे खराब प्रभाव आर्कटिक क्षेत्र में देखा है. यह रिपोर्ट क्लाइमेट चेंज की उसी चिंता को और बढ़ा रही है. आर्कटिक और गैर आर्कटिक राज्यों में बेहद तेजी से प्रतिस्पर्धा के मामले बढ़ेंगे जिसकी वजह से इस क्षेत्र में तापमान बढ़ेगा और बर्फ का पिघलना तेज होगा. दुनियाभर में इस रिपोर्ट को लेकर चर्चा देखने को मिल रही है.
 

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India among 11 highly vulnerable countries climate change US intelligence report
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जलवायु परिवर्तन का बुरा असर, 11 खतरनाक देशों में भारत भी शुमार
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सांकेतिक तस्वीर- रॉयटर्स.
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सांकेतिक तस्वीर- रॉयटर्स.

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