डीएनए हिंदी: पड़ोसी देश पाकिस्तान में चाय की प्याली से कुछ ज्यादा ही धुआं उठ रहा है. पाकिस्तान की अवाम चाय की दीवानी है, मगर सरकार चाहती है कि लोग अपनी चाय की तलब पर काबू रखें. आर्थिक दुरावस्था से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए चायनोशी ने अभूतपूर्व मुसीबतें खड़ी कर दी हैं. हालात कुछ ऐसे बने हैं कि पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने लोगों से गुजारिश की है कि वे चाय कम पिया करें. जनाब इकबाल ने पब्लिक से अपील की है कि वह अपनी रोजमर्रा की आदतें बदलें और रोजाना एक-दो प्याली की कटौती करें. मिनिस्टर साहब ने यूं तो यह अपील भी की है कि लोगबाग रात साढ़े आठ बजे दुकानों के शटर गिरा दिया करें, ताकि बदहाल मुल्क ऊर्जा संकट से बच सके, मगर उनकी सबसे ज्यादा लानत-मलामत ‘चाय कम पीजिये’ को लेकर हो रही है. सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ फब्तियों की बाढ़ आई हुई है.चाय को लेकर सरकार के ‘डर’ के बारे में जानने से पेश्तर आएं और चाय के बारे में कुछ जान लें.
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दुनिया को चाय एशिया और वह भी पूर्वी एशिया की देन है. चाय की उत्पत्ति पर चीन का दावा तगड़ा है, अलबत्ता शोध से यह तथ्य उभरा है कि दक्षिण-पश्चिमी चीन, पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और तिब्बत का सम्मिलित भूभाग चाय की जन्मस्थली है. कैमेलिया साइनेंसिस (और कैमेलिया टैलियेंसिस) के स्वाद और तासीर ने सारी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रखा है. यह नशे का तोड़ है और अपने आप में नशा भी. चाय आज के समय में पानी के बाद दुनिया में सर्वाधिक पिया जाने वाला पेय है. कॉफी, कोल्ड ड्रिंक और वाइन साथ खड़े होकर भी इसके सामने पानी भरते हैं. ईसा पूर्व एक दौर ऐसा भी था, जब चीन में चाय की कसैली पत्तियां चबायी जाती थीं और उन्हें सूप में डालकर पिया जाता था. पानी में उबाल और छानकर पीने का चलन चीन के युनान प्रांत से शुरू हुआ.
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विलायत से शुरू हुई चाय में दूध मिलाने की परंपरा
उसमें दूध मिलाने की परंपरा विलायत से शुरू हुई. दूसरी सदी ईसा पूर्व के सम्राट जिंग के मकबरे से इस बात की पुष्टि हुई कि हान शासक चाय पीते थे, अलबत्ता चाय की खोज 2723 ईसा पूर्व हुई. 59 ईसा पूर्व में चीनी लेखक बांग बाओ ने अफनी कृति ‘युवक का अनुबंध’ में बतौर पेय चाय का जिक्र किया. तांग-शासन में चाय कोरिया, जापान और वियतनाम में फैली. चाय को पुर्तगाली सन् 1590 में मकाओ से यूरोप ले गए. सन् 1607 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने चाय से लदा पहला जहाज (कार्गो) मकाओ से जावा भेजा. सन् 1609 में डच चाय को हिराडो से यूरोप ले गए. उनकी बदौलत चाय जर्मनी, फ्रांस और न्यूयॉर्क में फैली और हेग में उसका फैशन चल निकला.
दुनिया भर में चाय
मंगोल खान ने सन् 1638 में रूस के त्सार (जार) माइकेल प्रथम को 65-70 किग्रा चाय की पेटियां दान कीं. 1679 में रूस के राजदूत वसीली स्ताकोव को चीन के सम्राट ने 250 पौंड चाय भेंट की तो उसने पहले तो मना कर दिया. फिर ऐसी नौबत आई कि रूस ने कीमती फरों के बदले ऊंटों के कारवां से चाय मंगाने का करार किया. बहरहाल, लंदन में सन् 1657 में काफी हाउस में चाय बिकने लगी थी. सन् 1662 में चार्ल्स द्वितीय से शादी के बाद ब्रगांझा की युवराज्ञी कैथेरीन ने इसे राजदरबार में प्रचलित किया.
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चाय के विश्वव्यापी, विशेष कर भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलन में ईस्ट इडिया कंपनी और ब्रिटिश व्यापारियों की अहम भूमिका है. इंग्लैंड और चीन के संबंधों के बनने-बिगड़ने में चाय की खासी भूमिका रही है. उसने खूब गुल खिलाए हैं. चाय उत्पादन में विश्व में चीन, भारत, केन्या व श्रीलंका अग्रणी हैं. भारत का हिस्सा 20 फीसद और चीन का करीब 42 प्रतिशत है. सन् 2020 में दुनिया में 7 मिलियन टन चाय का उत्पादन हुआ. पाकिस्तान की बात करें तो सन् 2021-22 में पाकिस्तानी 83.88 बिलियन रुपयों की चाय सुड़क गए. सन् 2020-21 में चाय के आयात पर पाकिस्तान ने 13 बिलियन खर्च किए. सरकार को डर है कि अगर्चे लोगों ने चाय की तलब को ऐड़ नहीं लगायी, तो 'चयास' सिकुड़ते विदेशी मुद्रा भंडार में सेंध लगा सकती है. बहरहाल, किसे मालूम था कि एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब चाय यूं बर्बाद करेगी.
डॉ. सुधीर सक्सेना लेखक, पत्रकार और कवि हैं. 'माया' और 'दुनिया इन दिनों' के संपादक रह चुके हैं.)
(यहां दिए गए विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)
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