डीएनए हिंदी: जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) के हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद रिक्त हो गया है. ऐसे वक्त में जब देश सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन से लगातार जूझ रहा रहै इस महत्वपूर्ण पद को ज्यादा दिन तक रिक्त नहीं रखा जा सकता. केंद्र सरकार अगले 7 से 10 दिनों के भीतर नए सीडीएस के नाम का ऐलान कर सकती है. सेना से जुड़े हुए शीर्ष सूत्रों का दावा है कि जल्द ही नए सीडीएस की नियुक्ति की जा सकती है.
सीडीएस बिपिन रावत के निधन से बाद अब देश के सीनियर मोस्ट सैन्य अधिकारी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Narvane) बन गए हैं. सेना के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती और उत्तरी आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी पदानुक्रम (Hierarchy) में सबसे आगे हैं.
जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे. उन्हें जनवरी 2019 में सीडीएस नियुक्त किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने साल 2019 में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर ऐलान किया था कि केंद्र सरकार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति करेगी जो तीनों सेनाओं के प्रमुखों का सीनियर होगा.
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डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह आज (गुरुवार) को लोकसभा में बयान जारी करेंगे. नए सीडीएस की नियुक्ति की जरूरत और ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि भारत चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है.
CDS पद के लिए क्या है योग्यता?
केंद्र सरकार की ओर से तय किए गए नियमों के मुताबिक वायु, जल, थल सेना और आर्म्ड फोर्सेज के कमांडिंग अधिकारी या फ्लैग अधिकारी इस पद के लिए योग्यता रखते हैं. सामान्य तौर पर सीडीएस की नियुक्ति के लिए अधिकतम उम्र 65 वर्ष है. शेकातकर कमेटी (Shekatkar committee) ने रिकमंड किया था कि सरकार को इन्हीं तीनों सेनाओं में से किसी अधिकारी को सीडीएस के पद पर नियुक्त करना चाहिए.
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सुरक्षा प्रतिष्ठानों में तैनात अधिकारियों का भी कहना है कि शुरुआती 2 से 3 चीफ ऑफ डिफेंस केवल सेना से ही हों. लोगों का कहना है कि सेना लगातार सीमाओं पर विरोधियों से संघर्ष कर रही है. ऐसे में जमीनी रणनीति सेना के पास ही सबसे बेहतर है.
क्यों हुई थी सीडीएस पद पर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति?
जनरल बिपिन रावत की सैन्य रणनीति बेहद मजबूत रही है. जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से निपटने की उनकी नीति अलग रही है. ऑपरेशन ऑल आउट की मंजूरी उन्होंने ही दी थी. उत्तर-पूर्वी राज्यों में उग्रवाद से निपटने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. यही वजह थी कि जनरल बिपिन रावत ने जनरल प्रवीण बख्शी (General Praveen Bakshi) और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हरीज (PM Hariz) जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद हासिल किया था.
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