डीएनए हिंदी: 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' दुनियाभर में धूम मचा रही है. यह पहली फिल्म है जिसने सबसे पहले बॉक्स ऑफिस पर 1 बिलियन डॉलर का कारोबार किया है. फिल्म का जलवा इंडियन बॉक्स ऑफिस पर भी जारी है. कभी सोचा है कि इस फिल्म की शूटिंग कैसे हुई होगी. हॉलीवुड (Hollywood) और बॉलीवुड (Bollywood) फिल्मों में कई बार फिल्मों का हीरो हैरतअंगेज स्टंट करता है. साइंस-फिक्शन फिल्मों में कई बार हम पर्दे पर दूसरी दुनिया में पहुंच जाते हैं. धरती पर बैठे-बैठे सारा अंतरिक्ष हमारे पर पर्दे पर उतर आता है. कभी जानने की कोशिश की है कि ऐसे नजारे दुनिया में कहां हैं? कभी यह जानना चाहा है कि कहां ऐसे लोकेशन हैं?
अगर आप ऐसी जगहों को खोजने जाएंगे तो ढूंढते ही रह जाएंगे. न तो ऐसे फिल्म के सेट्स तैयार किए जाते हैं न ही ऐसा कर पाना मुमकिन है. सवाल ये है कि आखिर कैसे ऐसे सीन की शूटिंग होती है.
ये कमाल एक हरे रंग के पर्दे का है. स्टूडियो या फिल्म सेट्स पर जादुई नजारे दिखाने का सारा कमाल हरे पर्दे का होता है. जिस तकनीक का इस्तेमाल ऐसे सीन को फिल्माने में किया जाता है उसे 'क्रोमा की' (Chroma Key) कहते हैं.
कैसे हटाया जाता है बैकग्राउंड?
क्रोमा तकनीक के जरिए एक ही रंग के पर्दे के सामने सारे सीन शूट किए जाते हैं. आमतौर पर ऐसे पर्दों का रंग नीला या हरा रखा जाता है. ऐसे बैकग्राउंड में शूट हुए सीन को एडिट करने में आसानी होती है. यही वजह है कि क्रोमा को 'ब्लू स्क्रीन' या 'ग्रीन स्क्रीन' के तौर पर जाना जाता है. एडिटिंग के दौरान कंप्युटर प्रोग्राम्स के जरिए एडिटर आसानी से फिल्म के कुछ हिस्सों को हटा देते हैं और वहां अलग सीन क्रिएट कर देते हैं. इसके जरिए बैकग्राउंड पूरी तरह से बदला जा सकता है.
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ऐसा मुमकिन है कि जब आप हीरो को किसी पहाड़ों से कूदते, झीलों में डूबते या हवा में लड़ते देखते हों, उन्हें शूट किसी पर्दे के सामने किया गया. बस हीरो मेन ऑब्जेक्ट होता है और पूरा बैकग्राउंड ऑब्जेक्ट चेंज हो जाता है. क्रोमा की का ही इफेक्ट है कि आप अपने सुपर हीरोज को कभी मंगल ग्रह पर देखते हैं तो कभी पेंडूरा ग्रह पर तो कभी चांद पर. एवेंजर्स सिरीज तो याद है न? ज्यादातर शूटिंग उसकी 'क्रोमा' मेथड के जरिए ही हुई थी. फिल्म मेकिंग में इसी तकनीक का इस्तेमाल होता है.
क्यों हरे पर्दे पर होती है शूटिंग?
क्रोमा एडिटिंग आासन काम नहीं है. वीडियो और पिक्चर एडिटर्स को इसके लिए कई बारिकियों पर काम करना होता है. हरे रंग के बैकग्राउंड को हटाने के लिए एडिटर्स को सारे स्पेशल रंगों को हटाना पड़ता है. अगर ऑब्जेक्ट ने हरे रंग का कुछ भी पहना है और हरे रंग का ही क्रोमा है तो बैकग्राउंड हटाते वक्त वह हिस्सा पारदर्शी हो जाता है. शूटिंग के लिए सबसे ज्यादा हरे रंग के पर्दे का इस्तेमाल होता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इंसानी शरीर का कोई भी हिस्सा हरे रंग का नहीं होता. न ही बालों का रंग कोई हरे रंग का कराता है. ऐसे में बाल और स्किन और कपड़ों के रंग को कैप्चर कर लिया जाता है. सलेक्टेड पार्ट का रंग नहीं बदलता लेकिन सारा बैकग्राउंड बदल जाता है. जब हरे रंग का ऑब्जेक्ट हो तब स्क्रीन को ब्लू रखा जाता है.
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