डीएनए हिंदी: Strange News- यदि आप बॉलीवुड फिल्मों के शौकीन हैं तो 80-90 के दशक की फिल्मों में मशहूर खलनायक अमरीश पुरी (Actor Amrish Puri) के डायलॉग याद कीजिए. एक डायलॉग 'तेरी खाल खिंचवाकर जूता बनवा दूंगा' तकरीबन हर फिल्म में सुनने को मिलता था. क्या कभी आपने सोचा है कि सच में इंसानी खाल से बना जूता कैसा होगा और उसकी कीमत क्या होगी? आप कहेंगे कि ऐसा भी कोई जूता होता है क्या? यदि हम कहें कि सच में ऐसा जूता है और बाकायदा इंटरनेट पर बिक्री के लिए भी मौजूद है तो शायद आप चौंक जाएंगे. दरअसल इंटरनेट पर इंसानी खाल से बना जूता ही नहीं बल्कि पर्स से लेकर बेल्ट तक चमड़े के तकरीबन हर वो प्रॉडक्ट मौजूद हैं, जिन्हें आप जानवरों की खाल से बनवाकर इस्तेमाल करते हैं. ये प्रॉडक्ट मौजूद हैं डार्क वेब (Dark Web) पर यानी इंटरनेट का वो हिस्सा, जिसे आप 'ऑनलाइन काला बाजार (Online Black Market)' भी कह सकते हैं.
जानते हैं इंसानी खाल के प्रॉडक्ट्स की कीमत
साल 2018 में एक वेबसाइट medium.com पर आए लेख में बताया गया था कि डार्क वेब पर इंसानी खाल के जूते की कीमत 14,000 डॉलर है यानी मौजूदा समय के हिसाब से अंदाजा लगाएं तो यह जूता करीब 11 लाख भारतीय रुपये का है. इसी तरह इंसानी खाल से बने लेडिज पर्स को भी डार्कवेब पर इसी कीमत में बेचा जा रहा है. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इंसानी खाल डार्कवेब पर 827 रुपये प्रति इंच के हिसाब से बिक्री के लिए उपलब्ध होने का भी दावा किया गया है.
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ब्रिटिश कंपनी चला रही है बाकायदा वेबसाइट
एक वेबसाइट wrytin.com पर एक लेख में एक ब्रिटिश कंपनी human leatherके बारे में बताया गया है, जो डार्कवेब पर इंसानी खाल से बने प्रॉडक्ट्स की वेबसाइट humanleather.co.uk चला रही है. इस कंपनी ने अपने प्रोफाइल में लिखा है कि 'सभी प्रॉडक्ट्स बेहद सावधानी से अनुभवी मास्टर क्राफ्ट्समैन द्वारा हाथ से तैयार किए जाते हैं. अपने सालों के अनुभव से ये क्राफ्ट्समैन सबसे फाइन लेदर को संभालते हैं, जिसे हम Human Leather (इंसानी खाल) के तौर पर जानते हैं.'
क्या है डार्कवेब और कैसे है आम इंटरनेट से अलग
आपको बता दें कि हम रोजमर्रा की जिंदगी में जिस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, इसे सर्फिंग वेब (Surfing Web) कहा जाता है, जो असल में इंटरनेट के जाल का महज 4% हिस्सा है. इस जाल के दो अन्य हिस्से डार्कवेब और डीप वेब (Deep Web) हैं. दुनिया के इंटरनेट का 90% हिस्सा डीप वेब का है, जिस तक आम आदमी की पहुंच नहीं होती बल्कि विभिन्न देशों के सरकारी विभाग और निजी कंपनियां गोपनीय तरीके से इसका इस्तेमाल करती हैं. बाकी बचा हिस्सा डार्कवेब होता है, जिसकी शुरुआत कभी अमेरिकी सेना ने अपनी गतिविधियों को चुपचाप और बिना किसी की नजर में आए पूरी दुनिया में आपसी कम्युनिकेशन के लिए की थी. बाद में यह डार्कवेब धीरे-धीरे अंडरवर्ल्ड के हाथों में पहुंच गया और आज की तारीख में इसे 'ऑनलाइन माफिया' कहा जा सकता है, जो पूरी दुनिया में गैरकानूनी गतिविधियों को हैंडल कर रहा है.
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Bizarre News: यहां मिल रहा इंसानी खाल से बना जूता, जानिए कितनी है कीमत