डीएनए हिंदीं: अहिल्याबाई होलकर का नाम तो आपने सुना होगा! वह भारतीय इतिहास की एक ऐसी कुशल महिला शासक रही हैं, जिसकी निष्पक्षता और सुशासन की आज भी मिसाल दी जाती है. उनका जन्म 31 मई, 1725 को हुआ था. महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के जामखेड के नजदीक चोंडी गांव में जन्म लेने वाली अहिल्याबाई का शुरुआती जीवन बहुत मुश्किलों भरा रहा.
8 साल की उम्र में हो गई थी शादी
अहिल्याबाई कभी स्कूल नहीं जा पाईं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ना-लिखना सिखाया. सिर्फ आठ साल की उम्र में ही उनकी शादी मालवा के राजा मल्हार राव खांडेकर के बेटे खांडेराव होलकर से कर दी गई थी. 21 साल की उम्र में ही वह विधवा हो गई थीं.उस समय प्रथा के अनुसार पति की मौत के बाद पत्नी को भी सती होना पड़ता था. मगर अहिल्याबाई ने यह स्वीकार नहीं किया. उन्होंने इस प्रथा का विरोध किया और सती बनने से इनकार कर दिया. उनके इस फैसले पर बेशक पूरे समाज को ऐतराज था, लेकिन उनके ससुर मल्हार राव खांडेकर उनके साथ थे.
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पति, ससुर और बेटे की मौत
किस्मत को शायद ये साथ मंजूर नहीं था और कुछ ही समय बाद मल्हार राव खांडेकर का भी निधन हो गया. अहिल्याबाई ने अपने बेटे मालेराव होल्कर को सिंहासन सौंपा, पर वह भी ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सके. एक साल बाद ही अहिल्याबाई ने अपने बेटे को भी खो दिया. एक-एक करके जिस महिला का पति, ससुर और बेटा तीनों दुनिया को अलविदा कह गए, उस पर क्या बीती होगी इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. मगर अहिल्याबाई ने दुखों के इस दरिया को बेहद हिम्मत से पार किया और अपने राज्य को भी संभाला. इस त्रासदी के बाद उन्होंने इंदौर की शासक के तौर पर शपथ ली.
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सुशासन की मिसाल
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि अहिल्याबाई ने अपने शासन के दौरान कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए. बांध, घाट, टैंक और तालाब बनवाने के साथ ही कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी उन्होंने अहम योगदान दिया. उनकी शासन व्यवस्था ऐसी थी कि लोगों ने उन्हें संत की उपाधि भी दी.
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Ahilyabai Holkar: इंदौर की इस रानी के बारे में जानते हैं आप! आज भी दी जाती है इनकी निष्पक्षता की मिसाल