एनसीपी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक को दाऊद इब्राहिम से लिंक और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में अरेस्ट किया गया है. मलिक महाराष्ट्र के प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में माने जाते हैं. महाराष्ट्र की सियासत में मलिक की धमक लगभग 3 दशक से है. जानें कैसे यूपी से महाराष्ट्र तक का यह सफर उन्होंने पार किया है.
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20 जून 1959 को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में जन्म हुआ था. मलिक का परिवार 1970 के दशक में मुंबई में जाकर बस गया. मलिक कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और सियासत में आने से पहले वह अच्छे बिजनेसमैन भी थे. उन्होंने बुरहानी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था और कुछ समय तक कारोबार भी किया. राजनीति में दिलचस्पी के कारण इस तरफ मुड़ गए थे.
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मलिक की राजनीति हमेशा एनसीपी से जुड़ी नहीं रही है. उन्होंने समाजवादी पार्टी से राजनीति शुरू की थी और 1996 में मुंबई के नेहरू नगर सीट से उप-चुनाव जीता था. 1999 में भी इस सीट से जीते लेकिन 2004 में सपा छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए थे. 2004 में उन्होंने नेहरू नगर से तीसरी बार जीत दर्ज की थी.
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2009 में अणुशक्ति नगर से चुनाव लड़ा और चौथी बार जीते थे. 2014 के चुनावों में मामूली अंतर से शिवसेना उम्मीदवार से हार गए थे. 2019 में अणुशक्ति नगर से फिर जीते और पांचवी बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं. नवाब मलिक को एनसीपी के कोटे से अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया है. मलिक बीजेपी और आरएसएस पर भी खासे हमलावर रहे हैं.
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एनसीपी में नवाब मलिक ने तेजी से अपनी जगह बनाई और अब वह पार्टी का प्रमुख मुस्लिम चेहरा हैं. ईडी ने उन्हें दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर से पूछताछ के बाद अरेस्ट किया है. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. नवाब मलिक एनसीपी के दूसरे मंत्री है जिन्हें ED ने गिरफ्तार किया है. इससे पहले पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया गया था.
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नवाब मलिक महाराष्ट्र की राजनीति में लगभग 3 दशक से चर्चा में रहे हैं. देश भर में उनकी चर्चा आर्यन खान ड्रग्स केस मामले के बाद होने लगी है. उन्होंने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पर गंभीर आरोप लगाए थे. मलिक ने वानखेड़े पर उगाही के लिए ड्रग्स केस में फंसाने, भ्रष्टाचार, नौकरी के लिए फर्जी सर्टिफिकेट लगाने जैसे आरोप लगाए थे.