पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद पीडीपी की कमान महबूबा मुफ्ती ने संभाली थी. वह प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनी थीं. बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाने के बाद वह सरकार से अलग हो गई थीं. पिछले कुछ वक्त से वह लगातार अपने विवादित बयानों की वजह से ही चर्चा में रहती हैं. जन्मदिन पर जानें उनकी जिंदगी के कुछ दिलचस्प पहलू.
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जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार बनाने के बाद महबूबा मुफ्ती ने पीएम नरेंद्र मोदी को देश और कश्मीर के लिए उम्मीद बताया था. उस वक्त पीडीपी प्रमुख का कहना था कि पीएम मोदी दूरदर्शी नेता हैं और उनके नेतृत्व में देश को नई दिशा मिल सकती है. उन्होंने कश्मीर के लिए भी पीएम मोदी को उम्मीद बताया था.
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महबूबा ने 1996 में अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की और जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की टिकट पर बीजबिहाड़ा से विधानसभा चुनाव जीता था. उसके बाद उन्होंने 1999 में श्रीनगर से संसद का चुनाव लड़ा पर उमर अब्दुल्ला से हार गईं थी. इसके बाद पीडीपी का गठन हुआ और इस पार्टी की ओर से वह प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनी थीं.
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जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से महबूबा मुफ्ती के सुर पीएम मोदी और बीजेपी के लिए बेहद तल्ख हैं. कभी वह बीजेपी और पीएम मोदी को कश्मीर के अरमानों को कुचलने वाला बताती हैं तो कभी सेना को कश्मीर में दमन का प्रतीक बताती हैं. पिछले कुछ समय से वह लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं और अक्सर विवादित बयानों की वजह से ही चर्चा में रहती हैं.
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महबूबा मुफ्ती को कश्मीर में पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक अक्सर बाजी या आपी कहते हैं. इसका मतलब बड़ी बहन होता है. उनकी गिनती प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की चर्चित राजनीतिक हस्तियों के तौर पर की जाती है. उनकी 2 बहनें हैं और दोनों ही डॉक्टर हैं. महबूबा ने श्रीनगर यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है.
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ज्ञानवापी विवाद पर महबूबा मुफ्ती ने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि किसी में दम नहीं है कि ताजमहल और लाल किला को कभी मंदिर बना सकें. उनके बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी और इसे लोगों की भावनाओं के साथ खेलने वाला बयान बताया गया था.