प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सोमवार को मुलाकात की. दोनों देशों के बीच बीते 20 वर्षों से अहम वार्षिक बैठक होती रही है. कोरोना महामारी के दौरान यह बैठक बाधित हो गई थी. वैश्विक स्तर पर भारत के दोस्ताना संबंध भले ही अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ बेहतर रहे हों लेकिन यह सच है कि रूस, भारत का सबसे अच्छा दोस्त रहा है.
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दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में अहम भागीदारी है. हैदराबाद हाउस में दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है. आखिरी बार दोनों नेता व्यक्तिगत रूप से ब्रिक्स (BRICS) समिट में 2019 में मिले थे.
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रूस के राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'दोनों देशों के बीच खास रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है. कोविड-19 महामारी के बाद भी भारत और रूस के रिश्तों पर कोई असर नहीं आया.'
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रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि वह भारत आकर बेहद खुश हैं. कोरोना की वजह से यह मुलाकात नहीं हो पाई ती लेकिन भारत आने के न्योते के लिए पीमएम मोदी का आभार जताता हूं. हम भारत को एक मजबूत ताकत मानते हैं और इस साल दोनों देशों के बीच व्यापार में भी बढ़ोतरी हुई है.
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व्लादिमीर पुतिन के इस दौरे से रक्षा क्षेत्र में कुछ अहम सौदौं पर सहमति बनी है. एके-203 असॉल्ट राइफ को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ है. 2021 से 2031 के बीच इंडो रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड से देश को 6 लाख एके-203 राइफल मिलेंगे. दरअसल 18 फरवरी 2019 को कलाश्निकोव श्रृंखला के छोटे हथियारों के निर्माण के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और रूस के बीच एक समझौते को लेकर सहमति बनी थी. एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी भी जल्द शुरू हो सकती है. यह रूस का एक आधुनिक मिसाइल सिस्टम है.
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अमेरिका ने ट्रंप शासनकाल के दौरान 2017 में काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन ऐक्ट पास किया था. इसके तहत जो भी देश रूस से सैन्य उपकरण खरीदता है अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगा देता है. भारत ने भी रूस के साथ S-400 की भी डील की है. पहले ही कई रक्षा संबंधी डील भारत रूस से कर चुका है. ऐसे में अमेरिका अपने एक्ट पर अमल करता है या भारत-रूस की संप्रभुता का सम्मान करता है यह देखने वाली बात होगी.
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भारत अभी सबसे ज्यादा हथियार रूस से ही खरीदता है. एक अनुमान के मुताबिक भारत करीब 62 फीसदी हथियार रूस से खरीदता है. इस बैठक में दोनों देशों ने चार समझौतों, अनुबंधों और प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं. प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने किए हैं.
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डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के बीच संबंध ज्यादा प्रगाढ़ हो गए थे. चाहे पीएम मोदी का अमेरिका में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम हो या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ट्रंप के साथ नजदीकी, रूस के लिए ये समीकरण ठीक नहीं थे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस के साथ भारत दूर जाता दिख रहा था.
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अमेरिका में जो बाइडेन शासनकाल में भारत के साथ समीकरणों में थोड़ा बदलाव आया है. वैश्विक मंच पर दोनों नेताओं के बीच वैसी बॉन्डिंग नजर नहीं आती है. ऐसे में एक बार फिर भारत-रूस के बीच नजदीकी बढ़ सकती है.