खुशियां किसी तारीख का इंतजार नहीं करतीं. इंतजार हमें रहता है कुछ तारीखों का, ताकि हम खुशियों को बुला सकें. उनके आने का उत्सव मना सकें. एक बार फिर कुछ तारीखें आहट दे रही हैं. लोहड़ी की तारीख, होली की तारीख, दिवाली की तारीख. इस साल इन तारीखों के साथ कुछ नई तारीखों को जोड़ें और खुशियों को बढ़ाएं. जानते हैं कैसे-
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न्यू ईयर पार्टी के बाद 2 जनवरी को आप मना सकते हैं नेशनल मोटिवेशन एंड इंस्पीरेशन डे. इसकी शुरुआत साल 2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हुए आतंकी हमले से उबरने के उद्देश्य से की गई थी. रोजमर्रा की जिंदगी में प्रेरणा और प्रोत्साहन की जरूरत पर जोर देते हुए मोटिवेशनल स्पीकर केविन एल. मैकक्रूडन ने यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस में इसका प्रस्ताव रखा था, जिसे मंजूरी भी मिली थी. धीरे-धीरे मैकक्रूडन का ये आइडिया अमेरिका के बाहर भी प्रचलित हुआ अब दुनिया भर के कई हिस्सों में इस दिन को मनाया जाता है.
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दुनिया के 46 देशों में सन् 2002 से इस दिन को उत्सव की तरह मनाया जा रहा है. नए-नए आइडिया पर बात करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से लोग इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन की शुरुआत भी एक आइडिया से ही हुई थी. दुनिया भर में मशहूर कनाडा के क्रिएटिविटी स्पेशलिस्ट मार्की सीगल को एक अखबार की हेडलाइन पढ़ने के बाद ये आइडिया आया. हेडलाइ थी- कनाडा इन क्रिएटिविटी क्राइसिस. सीगल ने इस बारे में कुछ करने की ठानी और 21 अप्रैल की तारीख को इसके नाम कर दिया. अब कनाडा ही नहीं दुनिया भर में ये दिन पॉपुलर है.
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सोशल मीडिया-डे की शुरुआत सन् 2010 में पॉपुलर वेबसाइट मैशेबल ने की थी. इन दिनों सोशल मीडिया हर कहीं मौजूद हैं. अब आपकी जिंदगी से जुड़ी बातों से लेकर देश-दुनिया की खबरों तक सब कुछ पहले फेसबुक और ट्वीटर पर सामने आता है, इसके बाद कहीं और. तो सोशल मीडिया डे मनाना भी बनता है. इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए कोई हैशटैग शुरू करें. फोटो अपलोड करें या अपने फ्रेंड्स नेटवर्क के साथ इसे सेलिब्रेट करें.
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इस दिन अपनी फेवरेट किताब पढ़ें, लाइब्रेरी जाएं. किसी बुक लवर को उसकी फेवरेट किताब उपहार में दें. अमेरिका में ये दिन नेशनल बुक लवर्स डे के तौर पर मनाया जाता है. शोध बताते हैं कि अपनी पसंद की किताबें पढ़ने से सिर्फ मनोरंजन ही नहीं होता, बल्कि तनाव भी कम होता है.
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इसकी शुरुआत सन् 1965 में हवाई में हुई. यहां आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एक फैसला लिया गया कि हर साल औपचारिक रूप से एक दिन दुनिया की उन सभी बेहतरीन चीजों का आभार व्यक्त करने के लिए होना चाहिए, जो हमें खुशी देती हैं. इस मुलाकात के बाद सन् 1966 से यह दिन 21 सितंबर को उन सभी देशों में मनाया जाने लगा जो उस सम्मेलन में शामिल थे. तब से अब तक इस दिन को सेलिब्रेट करने वाले लोगों की संख्या हर दिन बढ़ रही है. इस दिन आप उन लोगों का शुक्रिया अदा करें जिनके होने से आपको खुशी मिली.
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ये दिन है उन महिलाओं के लिए, जिनकी पहचान सिर्फ एक होममेकर के तौर पर होती है. इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई इस बारे में सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं, मगर इसे सेलिब्रेट करने का मौका शायद ही आप छोड़ना चाहें. अगर आप होममेकर हैं, तो इस दिन को अपने नाम करें.