भारतीय जनता पार्टी आज (6 अप्रैल) अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है. 6 अप्रैल, 1980 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में जनसंघ से निकले लोगों ने बीजेपी बनाई थी. कभी 2 सांसदों से अब लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत वाली पार्टी की कहानी बनने की यात्रा में कई दिलचस्प पड़ाव रहे हैं. अटल-आडवाणी की बीजेपी अब मोदी-शाह के नेतृत्व में लगातार मजबूत हो रही है. देखें, कैसा रहा है बीजेपी के 42 सालों का सफर.
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वाजपेयी और लंबे अरसे तक उनकी परछाई रहे पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने मिलकर पार्टी को 1984 में दो सीट से 1998 में 182 सीटों तक ला खड़ा किया था. जनसंघ छोड़कर निकले लोगों ने बीजेपी बनाई और अपने जन्म के 30 साल बाद पार्टी ने पूर्ण बहुमत से केंद्र में सरकार बनाई. बीजेपी के उदय के बारे में लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है,'दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में 5-6 अप्रैल, 1980 के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में 3, 500 से अधिक प्रतिनिधि एकत्र हुए और 6 अप्रैल को एक नए राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन की घोषणा की गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी को इसका पहला अध्यक्ष चुना गया था. मुझे सिकंदर बख्त और सूरजभान के साथ महासचिव की जिम्मेदारी दी गई थी.'
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1984 के लोकसभा चुनाव में केवल 2 सीटें जीतने के बाद, पार्टी हिंदुत्व की तरफ आकर्षित हुई थी. राम जन्मभूमि को एजेंडा बनाकर वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी ने बीजेपी को मुख्यधारा की राजनीति में ला दिया था. 1989 में बीजेपी ने 85 लोकसभा सीटें जीतीं, फिर 1991 में 120 सीटों पर कब्जा जमा लिया था. वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने देश को पहली स्थायी गठबंधन की सरकार दी थी. 2004 में बीजेपी के चुनाव हारने के बाद पार्टी में अगले दौर के नेताओं की खोज शुरू हो गई थी.
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बीजेपी के समर्थक इसके हिंदुत्व और धारा 370 को हटाने जैसे मु्द्दों की वजह से हर हाल में समर्थन देती है. दूसरी तरफ बीजेपी के आलोचकों का कहना है कि यह पार्टी विभाजनकारी एजेंडे के तहत हिंदुत्व को आगे बढ़ा रही है. विपक्ष और समर्थकों के विवाद से अलग आज बीजेपी देश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी है जबकि विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ है.
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2009 के लोकसभा चुनाव में भी जब बीजेपी वापसी नहीं कर सकी तो तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को जिम्मा सौंपा गया था. 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने मोदी के चेहरे को आगे कर लड़ा था. उन चुनावों में बीजेपी ने तब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था. पार्टी को 282 सीटें हासिल हुई थीं और पूर्ण बहुमत के साथ देश में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी. अगले लोकसभा चुनावों ने बीजेपी की टैली को और मजबूत होते हुए ही देखा गया है. 2019 में बीजेपी ने 303 सीटें जीतीं और मोदी फिर प्रधानमंत्री बने हैं.
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बीजेपी और आरएसएस का संबंध जगजाहिर है. बीजेपी के लगभग सभी बड़े नेता संघ की कार्यशाला में से तपकर निकले हैं. अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम बड़े नेताओं का संघ से जुड़ाव रहा है. बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी भी संघ के बड़े नेताओं में से रहे हैं.