अफगानिस्तान में आज महीनों के इंतजार के बाद स्कूल खुले थे लेकिन वहां से लड़कियों को घर लौटा दिया गया. लड़कियों की पढ़ाई नहीं कर पाने पर पूरी दुनिया में अफसोस जताया जा रहा है. एक हफ्ते पहले ही तालिबान की ओर से लड़कियों के स्कूल खोलने की बात कही गई थी. माना जा रहा था कि ऐसे कदमों के जरिए तालिबान वैश्विक समुदाय में मान्यता पाने की कोशिश कर रहा है. जानें तालिबान ने लड़कियों के पढ़ने के लिए क्या-क्या शर्तें रखी थीं.
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तालिबान सरकार ने ऐलान किया है कि अगले हफ्ते से देश में महिलाओं के लिये स्कूल-कॉलेज खुलेंगे. तालिबान सरकार में शिक्षा मंत्री अजीज अहमद रयान ने कहा कि अगले हफअत से लड़के-लड़कियों दोनों के लिये स्कूल खुलेंगे. हालांकि, इस ऐलान के बाद तालिबान ने आज स्कूल खुलते ही फिर से बंद कर दिया है. तालिबान ने स्कूल खोलने से पहले ही कई शर्तें लगाई थीं.
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तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा के लिए कई कठोर शर्तें रखी थीं. आदेश में कहा गया था कि लड़के-लड़कियां अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई करेंगे. लड़कियों के स्कूल में सिर्फ लेडीज टीचर ही पढ़ा सकेंगी. कोई भी महिला बिना बुर्के के घर से बाहर नहीं निकलेगी. साथ ही, आदेश में कहा गया था कि लड़कियों को सिर्फ महिला शिक्षक ही पढ़ा सकेंगी.
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अब पूरे विश्व में यह सवाल उठाया जा रहा है कि तालिबान का अगला कदम क्या होगा. माना जा रहा है कि तालिबान के राज में एक बार फिर लड़कियों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ सकता है. तालिबान के शासन में महिला शिक्षा पर सख्त पाबंदी थी. स्कूल जाने की वजह से पाकिस्तान के स्वात वैली में तालिबानी आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मारी थी.
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तालिबान ने अफगानिस्तान में इस्लामी कानून लागू कर रखा है. यही नहीं, उनका फरमान है कि कोई महिला अकेले बाहर नहीं निकलेगी. अगर किसी महिला को अकेले घर से बाहर निकलने की जरूरत भी पड़े तो उसके साथ किसी पुरुष का होना बहुत जरूरी है. सत्ता संभालने के बाद से तालिबान महिलाओं पर लगातार पाबंदियां लगा रहा है.
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तालिबान के राज में महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियों और उन्हें शिक्षा से वंचित किए जाने पर पीएम मोदी ने भी चिंता जताई है. आपको बता दें कि अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर पीएम मोदी भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं. उन्होंने शंघाई समिट में अफगान महिलाओं के अधिकारों के लिये दुनियों के देशों को आगाह किया था.