डीएनए हिंदीः करीब 200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर (Noida Twin Tower) अब इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं. एक दशक से चली आ रही कानूनी लड़ाई आखिरकार खत्म हो गई. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इमारत के मानदंडों का उल्लंघन करने और उन्हें गिराने का आदेश देने के लगभग एक साल बाद 100 मीटर ऊंचे ढांचे को गिरा दिया गया. अब लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर इन टावर का मालिक कौन था? इन्हें बनाने में कितनी लागत आई थी. कंपनी को इससे कितना नुकसान हुआ. कंपनी फिलहाल किस हाल में हैं. ऐसे ना जाने कितने सवाल लोगों के मन में हैं. कंपनी के मालिक से लेकर उसके इतिहास तक पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं.
कौन है ट्विन टावर का मालिक?
इन ट्विन टावर का निर्माण सुपरटेक बिल्डर ने कराया था. आरके अरोड़ा (R.K.Arora) इस कंपनी के हैं. आरके अरोड़ा के नाम कुल 34 कंपनियां हैं. ये कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जाता है कि आरके अरोड़ा ने कब्रगाह बनाने तक की कंपनी भी खोली है. 7 दिसंबर 1995 को आरके अरोड़ा ने सुपरटेक लिमिटेट कंपनी की शुरुआत की थी. कंपनी ने 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है. इनमें मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के कई शहर शामिल हैं.
एक के बाद एक कई कंपनियों के मालिक बने अरोरा
आरके अरोरा ने सबसे पहले सुपरटेक लिमिटेड कंपनी बनाई थी. इसके 4 साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली. आरके अरोरा ने अपने बेटे मोहित अरोड़ा के साथ मिलकर पॉवर जेनरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन और बिलिंग सेक्टर में काम शुरू किया, जिसके लिए सुपरटेक एनर्जी एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई गई.
70 हजार से अधिक फ्लैट का किया निर्माण
सुपरटेक की गिनती देश के बड़े बिल्डर के रूप में की जाती है. दिल्ली-एनसीआर में इसके कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. सुपरटेक एक तक 70 हजार से अधिक फ्लैट का निर्माण कर लोगों को दे चुका है. वहीं सुपरटेक हिल एस्टेट-सोहना, सुपरटेक सफारी स्टूडियो- 17ए यमुना एक्सप्रेसवे, सुपरटेक 27 हाइट्स- सेक्टर 82 नोएडा, गुरुग्राम के सेक्टर 79 में कई प्रोजेक्ट्स, गुरुग्राम के सेक्टर 68 में कई प्रोजेक्ट्स, सुपरटेक संभव होम्स - सेक्टर-17, सोहना, सुपरटेक रेनेसा- सेक्टर-118, नोएडा और सुपरटेक द रोमानो- सेक्टर-118, नोएडा जैसे कई प्रोजेक्ट्स पर अभी काम चल रहा है.
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कंपनी को हुआ कितना नुकसान?
जानकारी के मुताबिक सुपरटेक समूह का मूल्य 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है. हालांकि, फर्म को निर्माण और धनवापसी सहित ट्विन टावर्स के कारण 500 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा, जो इसे कुल मूल्यांकन का 5 प्रतिशत के करीब है. ट्विन टावर को गिराए जाने के आदेश के बाद से ही लोगों ने सुपरटेक में पैसे लगाने बंद कर दिए हैं. इसके कई बड़े प्रोजेक्ट फेल हो गए.
दिवालिया हुई कंपनी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुकिंग अमाउंट और 12 प्रतिशत ब्याज की रकम मिलाकर 652 निवेशकों के दावे सेटल करने थे. कंपनी की हालत लगातार खराब होती जा रही थी. इनमें 300 से अधिक ने रिफंड का विकल्प अपनाया, जबकि बाकी ने मार्केट या बुकिंग वैल्यू और ब्याज की रकम जोड़कर जो राशि बनी उसके अनुसार दूसरी परियोजनाओं में प्रॉपर्टी ले ली. प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम जमा कराई गई. सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था. सुपरटेक नाम से आरके अरोड़ा के पास कई कंपनी हैं लेकिन जिसे दिवालिया घोषित किया गया वो वहीं कंपनी है जिसने ट्विन टावरों का निर्माण किया.
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432 करोड़ रुपये का है कर्ज
एक जानकारी के मुताबिक सुपरटेक पर करीब 432 करोड़ रुपये का कर्ज है. यह कर्ज यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बने बैंक के कंसोशिर्यम से लिया गया था. कर्ज नहीं चुकाने पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी. इसके बाद NCLT ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था.
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