डीएनए हिंदी: पैरोल आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण पहलू है. पैरोल आमतौर पर अच्छे व्यवहार के बदले में एक सजा की समाप्ति से पहले एक कैदी की अस्थायी या स्थायी रिहाई को कहा जाता है. इसे इस तरह समझ सकते हैं- जब कोई व्यक्ति अपराध करता है तो पुलिस उसको गिरफ्तार कर लेती है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस 24 घंटे के अंदर उसको मजिस्ट्रेट या कोर्ट में हाजिर करती है, कोर्ट में अपराध के आधार पर मजिस्ट्रेट सजा सुनाते हैं. साथ ही उस व्यक्ति या अपराधी को जेल भेज देती है. 

अगर सजा की अवधि पूरी ना हुई हो या सजा की अवधि समाप्त  होने से पहले उस व्यक्ति को अस्थाई रूप से जेल से रिहा कर दिया जाए तो उसे पैरोल कहा जाता है. यह व्यक्ति के अच्छे आचरण को नजर में रखते हुए किया जाता है.

भारत में Parole के लिए आवेदन
1894 के जेल अधिनियम और 1900 के कैदी अधिनियम के तहत अधिनियम कानून भारत में पैरोल के पुरस्कार को नियंत्रित करते हैं. प्रत्येक राज्य में पैरोल दिशा-निर्देशों का अपना सेट होता है, जो एक-दूसरे से थोड़ा भिन्न होता है. जेल (बॉम्बे फरलो और पैरोल) नियम 1959, कारागार अधिनियम, 1984 की धारा 59 (5) के तहत जारी किए गए थे.

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दो तरह की होती हैं पैरोल
पैरोल दो तरह की होती हैं- कस्टडी और रेगुलर पैरोल. राज्य के खिलाफ अपराधों के दोषी या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले गैर भारतीय नागरिक और अन्य पैरोल के लिए पात्र नहीं हैं.हत्या, बच्चों के बलात्कार, कई हत्याओं और अपराधों के दोषी लोगों को तब तक छूट दी जाती है जब तक कि जारी करने वाला प्राधिकारी अन्यथा निर्णय ना ले.

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किन्हें मिलती है पैरोल

1. एक दोषी को छूट में बिताए गए किसी भी समय को छोड़कर कम से कम एक साल जेल में रहना चाहिए. 

2. अपराधी का व्यवहार समान रूप से अच्छा होना चाहिए.

3. अपराधी को पैरोल की अवधि के दौरान कोई अपराध नहीं करना चाहिए यि यह पहले दी गई हो तो.

4. अपराधी को अपनी पिछली रिहाई के किसी भी नियम और प्रतिबंध को नहीं तोड़ना चाहिए.

5. पिछली पैरोल समाप्त होने के बाद से कम से कम छह महीने बीत जाने चाहिए.

आपातकालीन स्थिति में कस्टडी पैरोल
आपातकालीन स्थिति में कस्टडी पैरोल प्रदान की जाती है. विदेशियों और मौत की सजा काटने वालों को छोड़कर सभी अपराधी 14 दिनों के लिए आपातकालीन पैरोल के लिए पात्र हो सकते हैं जैसे कि परिवार में किसी की मृत्यु या उनका विवाह. ऐसे समय पर एमरजेंसी पैरोल दी जाती है. 

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नियमित पैरोल
असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर जिन अपराधियों ने कम से कम एक वर्ष जेल की सजा काट ली है वो अधिकतम एक महीने के लिए नियमित पैरोल के पात्र हैं. यह विभिन्न कारणों से प्रदान की जाती है.

1. परिवार के किसी सदस्य की गंभीर बीमारी
2. परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु या दुर्घटना 
3. परिवार के सदस्य की शादी
4. दोषी की पत्नी बच्चे को जन्म देती है
5. अपराधी को जेल की सजा मिलने से पहले उसका किसी प्रकार का सरकारी कार्य अधूरा रह गया हो तो उस सरकारी कार्य को पूरा करने के लिए पैरोल पर रिहा किया जाता है.
6. यदि अपराधी अपनी संपत्ति की वसीयत बनाना चाहता है तो उसे पैरोल मिल सकती है.
7. यदि अपराधी को अपनी संपत्ति बेचनी हो तो उसके लिए कैदी पैरोल ले सकता है.
8. यदि कैदी की कोई भी संतान ना हो, ऐसे में अपराधी और उसकी पानी की सहमति के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए पैरोल के लिए आवेदन किया जा सकता है.
9. यदि कैदी किसी ऐसे रोग से ग्रसित है जिसका इलाज जेल के चिकित्सालय में नहीं हो सकता तो इलाज के लिए कैदी पैरोल ले सकता है.

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क्या होती है पैरोल और कब कैदियों को मिलती है इस तरह की रिहाई
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क्या होती है पैरोल और कब कैदियों को मिलती है इस तरह की रिहाई