डीएनए हिंदी: वैसे तो हिंदी के बारे में बात करने के लिए हिंदी दिवस (Hindi Diwas) का इंतजार करना जरूरी नहीं है. फिर भी हर साल हम 14 सितंबर के दिन अपनी भाषा को इस तरह याद करते हैं जैसे वो कहीं खो गई हो. मशहूर हिंदी प्रकाशन हिंद युग्म के फाउंडर और एडिटर इस पर स्पष्ट व्यंग्य करते हुए कहते हैं, ' हिंदी को आप सितंबर में याद करिए या मत करिए अक्टूबर में जरूर करिए'. मतलब सीधा सा है कि हिंदी के लिए एक खास दिन या महीना नहीं होना चाहिए. हिंदी का सेलिब्रेशन औपचारिक नहीं होना चाहिए. हिंदी हर दिन होनी चाहिए. हिंदी और हिंदी लेखन के प्रचार-प्रसार से जुड़े ऐसे ही कई और मुद्दों पर हमने की खास बातचीत शैलेश भरतवासी से-
इंजीनियरिंग छोड़कर शुरू किया हिंदी में काम
शैलेश भरतवासी (shailesh Bharatwasi) ने आज से 12 साल पहले इंजीनियरिंग की डिग्री और एक अच्छी नौकरी का ऑफर लेटर छोड़कर हिंदी के प्रचार-प्रसार का काम शुरू कर दिया. इसके लिए एक ब्लॉग बनाया Hindyugm.com. पूछने पर कि आखिर इंजीनियरिंग छोड़कर हिंदी की दुनिया में कैसे आना हुआ तो कहते हैं, ' मेरी पूरी पढ़ाई हिंदी भाषा में हुई और सभी संगी साथी हिंदी में खूब लिखने और पढ़ने वाले थे. संयोग ऐसा बनता गया कि इंजीनियरिंग छोड़ना भी बुरा नहीं लगा बल्कि अपनी तकनीकी शिक्षा का इस्तेमाल ही मैंने हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए किया. ब्लॉग से शुरुआत की और धीरे-धीरे साथियों की मदद और उनके मार्गदर्शन में ही हिंद युग्म एक प्रकाशन बन गया, जिसकी कोई योजना नहीं थी.
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हिंदी को नई वाली हिंदी क्यों बना दिया?
शैलेश भरतवासी के प्रकाशन हिंद युग्म की टैगलाइन है- नई वाली हिंदी (Nai Wali Hindi). आखिर हिंदी को नई वाली हिंदी क्यों बना दिया? इसके जवाब में शैलेश कहते हैं, किताबों के प्रकाशन के दौरान लोगों से जितना मिलना हुआ, उन्हें जितना समझा उससे एक बात सामने आई कि हिंदी का पाठक हिंदी किताबें पढ़ने के मामले में खुद को बेहद कमतर और अलग समझता है. उसे लगता हिंदी की दुनिया गंभीर है , इसमें उसके मतलब और उसके हिसाब का कुछ नहीं है. ये उसका भ्रम भी हो सकता है और उसका अनुभव भी, बस हमें इसी को बदलना था. इसलिए हमने नई वाली हिंदी के अंब्रेला में जब अपनी किताबें बाजार में पेश कीं तो पाठक मिलने लगे. बस वहीं से नई वाली हिंदी की शुरुआत हुई. नई वाली हिंदी का मतलब है आपकी अपनी हिंदी जो आप बोलते हैं, जो आप समझते हैं.
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सफल हिंदी लेखक बनने के लिए 5 Tips क्या है?
हिंदी में लिखना और फिर एक सफल हिंदी लेखक बनने का सफर कैसा होता है? क्या तरीका है? किन बातों का ध्यान रखना चाहिए (How To Be a Good Hindi Writer)
1. अगर आप लिखना चाहते हैं, लेखक बनना चाहते हैं तो आपके पास औसत होने का विकल्प नहीं है. दूसरे प्रोफेशन में आप औसत होकर भी अच्छा कमा सकते हैं, लेखन में ऐसा नहीं होता. तभी लिखें जब आपको यह अंदर से आवाज आए अगर इसके बिना आप लेखक बनने का सोच रहे हैं तो ऐसा ना करें.
2. इसमें जोखिम बहुत है इससे ना डरें. एक किताब लिखकर आप मशहूर हो जाएंगे, अच्छा कमा लेंगे ऐसा नहीं होता. इसमें लेखन की निरंतरता और लेखन की गुणवत्ता की निरंतरता भी बहुत जरूरी है.
3. पढ़ना बहुत जरूरी है. लिखने से पहले पढ़ना एक जरूरी नियम है. इसका कोई विकल्प नहीं है. समकालीन लेखकों को जरूर पढ़ें. विश्व साहित्य पढ़ें.
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4. लगातार लिखने का अभ्यास करते रहें और उसे खुद ही रिजेक्ट भी करें. बस आपने सोच लिया है कि लिखना है और जो लिखा है वो पहली ही बार में सबसे अच्छा है ऐसा ना सोचें.
5. आंख-कान जरूर खुले रखें. एक लेखक की ऑब्जर्वेशन क्षमता एक सामान्य व्यक्ति से ज्यादा होनी चाहिए. बिना इसके आप लेखक नहीं हो सकते.
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5 Points में जानें सफल हिंदी लेखक बनने का तरीका, मशहूर प्रकाशक ने बताए ये खास टिप्स