डीएनए हिंदीः राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने प्रचंड जीत हासिल की है. करीब 65 फीसदी वोटों के साथ वह देश की अगली राष्ट्रपति बनने जा रही हैं. भारत के लिए यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. 25 जुलाई को वह राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी. इस दौरान वह एक शाही बग्घी (President House Bagghi) में बैठकर राष्ट्रपति भवन में शपथ लेने जा सकती है. इस बग्घी का इतिहास काफी पुराना रहा है. 

बंटवारे से जुड़ा है बग्घी का इतिहास 
1947 में देश की आजादी के समय भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारा हो रहा था. तब दोनों देशों के बीच जमीन और सेना से लेकर हर चीच के बंटवारे को लेकर नियम तय होने थे. इसमें भारत के प्रतिनिधि थे एच. एम. पटेल और पाकिस्तान के चौधरी मुहम्मद अली को ये अधिकार दिया गया था कि वो अपने अपने देश का पक्ष रखते हुए इस बंटवारे के काम को आसान करें. दोनों देशों के बीच आजादी के बाद गवर्नर जनरल के बॉडीगार्ड, जिन्हें अब राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड के रूप में जाना जाता है, को 2:1 के अनुपात में भारत-पाकिस्तान के बीच बांट दिया गया. जब वायसराय की बग्घी की बारी आई तो दोनों देश इस पर अपना दावा ठोकने लगे.  

ये भी पढ़ेंः अमेरिका-रूस समेत अन्य देशों के राष्ट्रपति से कितनी अलग होंगी द्रौपदी मुर्मू को मिलने वाली सुविधाएं

टॉस के बाद भारत के हिस्से में आई बग्घी
'गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स' के कमांडेंट और उनके डिप्टी ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक सिक्के का सहारा लिया. राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड रेजिमेंट के पहले कमांडडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के साहबजादा याकूब खान के बीच बग्घी को लेकर टॉस हुआ. इसमें भारत ने टॉस जीता और यह बग्घी भारत की हो गई.  

क्या है बग्घी की खासियत 
इस बग्घी के ऊपर सोने की परत चढ़ी है. अंग्रेजों के शासन में यह बग्घी वायसराय को मिली थी. वह इसी बग्घी में सवारी किया करते थे. हालांकि आजादी के बाद खास मौके पर इस बग्घी का इस्तेमाल देश के राष्ट्रपति भी करने लगे. शुरुआती सालों में भारत के राष्ट्रपति सभी सेरेमनी में इसी बग्घी से जाते थे और साथ ही 330 एकड़ में फैले राष्ट्रपति भवन के आसपास भी इसी से चलते थे. पहली बार इस बग्घी का इस्तेमाल भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र डॉ. प्रसाद ने 1950 में गणतंत्र दिवस के मौके पर किया था. इसके बाद से इसका चलन शुरू हो गया. इस बग्घी को खीचने के लिए खास घोड़े चुने जाते हैं। उस समय 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े इसे खींचा करते थे लेकिन अब इसमें चार घोड़ों का ही इस्तेमाल किया जाता है.  

ये भी पढ़ेंः PBG क्या है? सिर्फ चुनिंदा लोग ही क्यों बन सकते हैं राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड, जानें इतिहास

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बुलेटप्रूफ गाड़ी से चलने लगे राष्ट्रपति 
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से राष्ट्रपति की सुरक्षा को देखने हुए बग्घी को हटा दिया गया. इसकी जगह बुलेटप्रूफ कार ने ले ली. करीब 30 साल तक इस बग्घी का इस्तेमाल बंद रहा. बग्घी को राष्ट्रपति भवन में रखा गया और इसकी देखभाल होती रही. 

प्रणब मुखर्जी ने शुरू किया चलन
2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर बग्घी का इस्तेमाल किया. वह बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इसी बग्घी में पहुंचे थे. 25 जुलाई 2017 के दिन शानदार कार के बजाय रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने राष्ट्रपति भवन से संसद तक का सफर ऐतिहासिक बग्घी में तय किया था. उस समय निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बग्घी में बाएं बैठे थे जबकि नए राष्ट्रपति कोविंद दाईं ओर बैठे थे. कोविंद के शपथ लेने के बाद बग्घी में दोनों की जगह बदल गई और लौटते समय प्रणब दाईं और कोविंद बाईं ओर बैठे थे. प्रणब से पहले 2002 से 2007 तक देश के 11वें राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी कभी-कभार राष्ट्रपति भवन में घूमने के लिए बग्घी का इस्तेमाल करते थे.  

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रपति होते हैं देश के पहले नागरिक, जानिए आपका लिस्ट में कौन सा है नंबर

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Presidential Election 2022 buggy used by presidents was won over coin toss with pakistan know its specialities
Short Title
पाकिस्तान से टॉस में जीती थी राष्ट्रपति की शाही बग्घी, क्या है खासियत
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
President House Bagghi
Date updated
Date published
Home Title

पाकिस्तान से टॉस में जीती थी राष्ट्रपति की शाही बग्घी, क्या रहा इतिहास और क्या है खासियत