डीएनए हिन्दी: उत्तर प्रदेश की राजनीति के 'पर्याय' रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने अपने 5 दशकों से अधिक लंबे पॉलिटिकल करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे. वह जमीन से जुड़े एक अनुभवी राजनेता थे. भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश के वह 3 बार मुख्यमंत्री रहे. उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई भी दल मुलायम सिंह को 'दरकिनार' नहीं कर सकता था. मुलायम सिंह राजनीति के इतने 'पक्के' खिलाड़ी थे कि लोग उन्हें प्यार से 'नेताजी' कहकर बुलाते थे.
22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्म हुआ था. वह उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री बने. केंद्र सरकार में वह रक्षा मंत्री के रूप में भी रहे. मुलायम अपने राजनीतिक सफर के दौरान 10 बार विधायक और 7 बार लोकसभा सांसद चुने गए. उनका राजनीतिक जीवन जितना लंबा था, विवाद भी उनके साथ उतने ही जुड़े.
एक वक्त वह पीएम बनते-बनते रह गए. यह कहानी है 1996 की. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई थी और संयुक्त मोर्चा सरकार बनाने की तैयारी कर रहा था. ऐसा माना जा रहा ता कि गंठबंधन का नेतृत्व मुलायम सिंह यादव करेंगे. उनका नाम तय माना जा रहा था. लेकिन, ऐन वक्त पर बिहार के तातकवर नेता लालू प्रसाद यादव और कुछ अन्य नेताओं ने उनका विरोध कर दिया और मुलायम पीएम बनते-बनते रह गए. 2014 में जब कांग्रेस कमजोर हुई तो मुलायम ने पीएम बनने का संपना फिर संजोया. लेकिन, उस चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की ऐसी लहर आई की मुलायम का सपना धरा का धरा रह गया. इसी के साथ मुलायम सिंह यादव के पीएम बनने की संभावना लगभग खत्म सी हो गई. यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश के सबसे बड़े प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री होने के बावजूद मुलायम देश के पीएम कभी नहीं बन पाए.
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मुलायम को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि उनका राजनीतिक करियर 1967 में 28 साल की उम्र में शुरू हुआ था. एक बार राजनीति के अखाड़े में 'साइकिल' पर चढ़ने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की. बाद में उनके बेटे अखिलेश यादव ने इसकी कमान संभाली और वर्तमान में वही इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
बताया जाता है कि 1990 में राममंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी रथयात्रा पर निकले थे तो यूपी में प्रवेश करते ही उन्हें मुलायम सिंह यादव ने गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली थी. लेकिन, उसके पहले ही बिहार के समस्तीपुर में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और मुलायम के सपनों पर पानी फेर दिया.
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लालू और मुलायम दोनों ने 1970 के दशक में जेपी आंदोलन के बड़े सिपाही रहे. मुलायम सिंह पर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का भी बड़ा प्रभाव रहा. 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब देश में आपातकाल लगाया तो उस दौरान मुलायम सिंह यादव 19 महीने जेल में रहे थे.
2008 में यूपीए की सरकार थी. देश ऊर्जा संकट के दौर से गुजर रहा था. भारत को परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करना था. वामपंथी पार्टियां इसके सख्त विरोध में थीं. ऐसा लग रहा था कि मुलायम सिंह वामपंथी पार्टियों के साथ जाएंगे, लेकिन ऐन वक्त पर मुलायम ने परमाणु समझौते का समर्थन किया.
राजनीति के इस खिलाड़ी के ऊपर कई नेताओं के साथ छोड़ने और वादे तोड़ने के आरोप भी लगते रहे हैं. शुरू में वह पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह के पक्के दोस्त थे, लेकिन बाद में उन्होंने खुले तौर पर उनका विरोध किया और चंद्रशेखर का समर्थन किया. यूपी में 1990 के दशक में उन्होंने अपने चीर प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाजवादी पार्टी से गठबंधन करके सबको चौंका दिया था. लेकिन, बीच में 'गेस्टहाउस' की घटना की वजह से गठबंधन टूट गया था. मुलायम मूल रूप से बीजेपी की हिन्दुत्व की राजनीति के आलोचक कर रहे, लेकिन 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने के बीजेपी के मुहिम का समर्थन करके सबको चौंका दिया था. यही नहीं पिछले साल एक समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुलायम सिंह यादव की एक तस्वीर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी.
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...कुछ यूं प्रधानमंत्री बनते-बनते चूक गए थे मुलायम सिंह यादव!